किेसी भी बात को न देख अपने को देखो

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बाबा ने हम बच्चों को याद दिलाया है- बच्चे यह तुम्हारा अंतिम जन्म है, तुम देह सहित देह के सभी संबंधों को भूलो। बाबा ने हमें यज्ञ सेवाधारी बनाया तो हम ब्राह्मण बने। जो ब्राह्मण नहीं बनते वो देवता नहीं बन सकते। बाबा ने गोद में लिया, यज्ञ रचा सेवा कराने के लिए। बाबा का बच्चा बनने से, सेवाधारी बनने से ब्राह्मण बन गये। जैसे शिवबाबा का नाम गुणवाचक है, ऐसे हमारे गुण-कर्त्तव्य पर नाम मिला ब्राह्मण। हमारा बाप वृक्षपति है, कल्याणकारी है, जिसे यह याद है उसके ऊपर ग्रहचारी आ नहीं सकती। गृहचारी किस पर आती है? धन, सम्बन्ध और शरीर पर। जब वृक्षपति बाप के बच्चे बने तो शरीर की गृहचारी भी चली गई, सम्बन्ध में सुख है, झगड़ा हो नहीं सकता। सम्पत्ति में भी किसके सामने हाथ नहीं फैला सकते। दाता के बच्चे हैं। बृहस्पति की दशा है। वृक्षपति बाप के बच्चों को सुख देखना है ज़रूर। मैं वृक्षपति बाप का बेटा हूँ- यह वरदान सदा याद रहे। अगर ब्रह्मा मुखवंशावली हूँ तो सबकी जन्म पत्री वाचने, देखने वाला हूँ, सफलता का सितारा हूँ- हमारे ऊपर गृहचारी आ नहीं सकती। अगर आती है तो हटा देनी चाहिए। जो अच्छे ऊंचे ब्राह्मण हैं वो औरों की भी ग्रहचारी हटा देते हैं। नीच ब्राह्मण जादू मंत्र डालने वाले होते हैं। वो हैं जैलेसी वाले ब्राह्मण। किसी को सुखी देख सहन नहीं कर सकते। कोई ऐसे भी हैं जो एक-दो से कंपटीशन करते रहते, किसी से भेंट करना, किसी को क्रिटिसाइज़ करना – यह ऊंचे ब्राह्मणों का धंधा नहीं है। उनकी एकरस स्थिति बन नहीं सकती। उन्हें अन्दर से सबकी दुआयें मिल नहीं सकती। अगर स्थिति अच्छी है तो सबकी दुआयें मिलेंगी। वो किसी को भी न देख एक ईश्वर को देखेगा। न पुरानी दुनिया को देखेगा, न यहाँ किसी को देखेगा। क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है, हमको क्या करना है। क्या मुझे चेकिंग करने की डयूटी मिली हुई है? हरेक को डयूटी मिली है- अपने आपको सम्भालने की। जो अपने आपको नहीं सम्भालता उसे बाबा कोई डयूटी नहीं देता। तो मुख्य बात है अपनी स्थिति को अन्दर मजबूत
बनाना है। सयाना वह है जो अन्दर की लगन में मगन रहे। लगन को कम न करे।
बीती बातों का ख्याल कर रोना नहीं है, अगर रोते हैं तो एकरस स्थिति नहीं है। स्थिति नीचे-ऊपर तब होती है जब हमारी मजऱ्ी से काम नहीं होता है। मेरी मर्जी कहाँ से आई! हमारी सदा शुभ भावना, शुभ कामना रहे। ड्रामा की नूँध है। हम कभी लड़ाई-झगड़ा कर नहीं सकते क्योंकि हमें अपकारियों पर उपकार करना है, मुख चलाना नहीं है। अगर मूड भी बदल जाता है तो यह भी ठीक नहीं है। अब तक भी इस प्रकार के संंस्कार हैं तो ठीक नहीं। इसके लिए जितना चेक करेंगे उतना अच्छा है। चेक वह कर सकता है जो अन्तर्मुखी है, जिसे एकरस स्थिति बनाने का लक्ष्य है। किसी भी बात को न देख अपने को देखो, बाबा को देखो, जो बाबा को नहीं देखता उसे बाबा भी नहीं देखता।
जो अपने को चेक करता है उसे फट से पता चलता है कि मेरे में क्या कमी है। जो अपनी कमी को स्वीकार करता है बाबा उसे इशारा देता है, किसी के द्वारा दे देगा या स्वप्न में दे देगा।

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