ईश्वर का ध्यान और शुद्ध संकल्पों की समृद्धि से बढ़ेगी धरती की समृद्धि – ब्रह्माकुमारीज़ स्वर्णिम भारत का निर्माण, योगिक खेती व्यसन मुक्त किसान
छतरपुर,मध्य प्रदेश। सशक्त भारत की शान आत्मनिर्भर किसान ग्राम विकास प्रभाग द्वारा छतरपुर सेवा केंद्र किशोर सागर से प्रारंभ अभियान के द्वारा छतरपुर ब्लॉक के गांव कैंड़ी, भगवंतपुरा, बनगांय ,राजापुरवा, पठापुर, हतना, देरी,धौरी, कालापानी, खौंप जाकर अभियान कर्ताओं ने ग्रामवासियों को योगिक खेती की विस्तृत जानकारी दी।
बीके रजनी दीदी ने किसान भाइयों को संदेश देते हुए कहा कि किसान माना अन्नदाता एक व ईश्वर दाता दूसरा धरती मां का पुत्र किसान अन्नदाता जो सभी की पूर्ति करता है जिसके बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। जैसे देखा गया है कोरोना काल में हर एक पर रोक थी चाहे निर्माण का कार्य हो, स्कूल कॉलेज हो, या दुकानें हो सभी बंद थी पर किसान भाइयों की खेती पर कोई रोक नहीं थी, क्योंकि साधनों के बिना कुछ समय तक इस दुनिया को चलाया जा सकता है पर भोजन सामग्री के बिना दुनिया को 2 दिन भी चलाना मुश्किल है। तो जरा सोचो किसान आज सभी की पूर्ति करने वाला दाता समान फिर भी दुखी है कारण संस्कारों को भूल बुरी संगति में आज का किसान फस गया।
भारत की संस्कृति समृद्धि थी क्योंकि हर कार्य में संस्कार अर्थात शुभ विचार समाए हुए थे चाहे बीज, बोना चाहे हल चलाना, चाहे फसल को काटना सभी में अध्यात्म समाया हुआ था।पहले खेती की शुरुआत ईश्वरीय याद से व गीतों द्वारा की जाती थी, प्रकृति के पांचों तत्वों का आह्वान कर शुक्रिया किया जाता था , शुद्ध विचारों से बीजों को चार्ज किया जाता था वहीं आज के समय में हम इन संस्कारों को भूलकर तामसिक वस्तुओं मादक पदार्थों का सेवन कर खेती की शुरुआत करते हैं।इसीलिए जैसे विचार रखते हैं उसी भाव से प्रकृति भी रिटर्न करती हैं।
बीके भारती दीदी ने किसानों के दुख का बड़ा कारण व्यसन बताते हुए कहा कि आज किसान भाई दुखी है और दुख के अनेक कारण हैं। परंतु सबसे बड़ा कारण व्यसन है जिसको आज हमने फैशन के रूप में ले लिया है जिससे ना केवल व्यसन करने वाला व्यक्ति दुखी होता है बल्कि उससे संपूर्ण समाज दुखी होता है। क्योंकि वह किसी का भाई किसी का पुत्र किसी का पति होता है और जब वह व्यसन कर घर पहुंचता है तो सबसे ज्यादा दुखी माताएं और बहनें होती है।
बीके पूनम दीदी ने सभी को ईश्वरीय परिचय देते हुए सभी से व्यसन मुक्त होने के संकल्प कराएं।