अलीराजपुर: आदर्श विद्यार्थी का पहला लक्षण है उसे सदा लक्ष्य को निर्धारित करके ही आगे बढ़ना चाहिए

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अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। विद्यार्थी का उद्देश्य ज्ञान का अर्जन करना है। विभिन्न विषयों के अर्जित ज्ञान से ही उसकी पहचान होती है ।एक आदर्श विद्यार्थी में ज्ञान के साथ-साथ उसके अंदर श्रेष्ठ मानसिक गुणों एवं मानवीय मूल्यों का होना आवश्यक है । परंतु विद्यार्थियों का जिज्ञासु एवं कोमल मन संसार की अनेक आकर्षक, बुराइयों की ओर आकर्षित हो जाता है। इससे वह अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं एवं नशीले पदार्थों के सेवन का शिकार हो जाते हैं। जीवन के सबसे ऊर्जावान कीमती समय को नष्ट कर देते हैं । मूल्य शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन का मार्ग दर्शन करके जीवन के मंजिल की राह को सहज बनाती है। यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान अलीराजपुर  में छात्र छात्राओं को आदर्श विद्यार्थी जीवन के बारे में संबोधित करते हुए बताया कि आदर्श विद्यार्थी का पहला लक्षण है उसे सदा लक्ष्य को निर्धारित करके ही आगे बढ़ना चाहिए। लक्ष्य विहीन शिक्षा प्राप्त करना अनियंत्रित घोड़े के समान है, जो केवल दौड़ता तो रहता है परंतु उसकी कोई दिशा नहीं होती है। परिस्थितियां तो स्वाभाविक रूप से प्रत्येक मनुष्य के जीवन में आती है, परंतु मानसिक दृढ़ता पूर्वक उनका सामना करते हुए लक्ष्य की ओर सदा गतिमान रहना चाहिए।  आत्म बल और मानसिक दृढ़ता के आगे सभी समस्याएं और परिस्थितियां हार जाती है। विद्यार्थियों में सदैव स्वयं सीखने की प्रवृत्ति आवश्यक है। इससे जीवन में अनुभव बढ़ता है। शिक्षकों, माता-पिता एवं अन्य बड़े लोगों का सम्मान करना चाहिए इससे उन्हें बड़ों का आशीर्वाद स्नेह प्राप्त होता है। जिससे उनकी मंजिल आसान होती है ।विषय को रटने के बजाय अपने ढंग से प्रस्तुत करने की शक्ति से नए वस्तुओं के निर्माण और अनुसंधान करने की प्रवृत्ति का विकास होता है। इस अवसर पर विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक हल सिंह तोमर  ने बताया कि जीवन में आध्यात्मिक गुणों एवं मूल्यों का होना आवश्यक है। आध्यात्मिक गुण जैसे शांति, प्रेम ,पवित्रता, ज्ञान ,सत्यता प्रसन्नता आदि सच्चे मार्गदर्शक की तरह जीवन के प्रत्येक मोड़ पर सदा मार्गदर्शन करते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान से मन और बुद्धि पर आंतरिक अनुशासन स्थापित होता है। विद्यार्थियों को नकारात्मक और व्यर्थ चिंतन से सदा दूर रहना चाहिए ।क्योंकि नकारात्मक चिंतन के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए धीरे-धीरे मादक द्रव्यों के सेवन की आदत पड़ जाती है जिसकी जीवन में भारी कीमत चुकानी पड़ती है। कार्यक्रम में प्रभारी प्रिंस प्रिंसिपल कैलाश चंद्र सिसोदिया ने बताया किआध्यात्मिक शिक्षा से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास का विकास होता है यही सफलता प्राप्त करने का मूल मंत्र है ।कार्यक्रम में अनूप दुबे जिला समन्वयक, पीपुल संस्था ने सभी का आभार प्रदर्शन करते हुए बताया कि राजयोग से ही जीवन में संयम धरयता  आती है। हमें प्रत्येक दिन की शुरुआत राजयोग से करने से जीवन में एकाग्रता आती है उसी से हमें सफलता प्राप्त होती है।

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