हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो अच्छे चरित्र का निर्माण करे… डॉ. अरूणा पल्टा, कुलपति
– शिक्षकों के अन्दर इतना नैतिक बल हो कि वह दूसरों को प्रेरित कर सके… डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल
– मूल्यनिष्ठ शिक्षा से जीवन में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और सम्मान की भावना आएगी…डॉ. रमना राव
– हमारी शिक्षा केवल रोजगार केन्द्रित नही हो… प्रो. बल्देव भाई शर्मा, कुलपति
– जीवन में सद्गुणों की प्राप्ति अध्यात्म से ही सम्भव… ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
– डिग्रियों के साथ ही अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा…ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी
रायपुर,छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में शिक्षक दिवस समारोह का आयोजन किया गया। जिसका विषय था- श्रेष्ठतम समाज के लिए मूल्य आधारित शिक्षा।
समारोह का उद्घाटन पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) के डायरेक्टर डॉ. एन.वी. रमना राव, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा, हेमचन्द विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा तथा रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और रूचिका दीदी ने दीप प्रज्वलित करके किया।
हेमचन्द विश्वविद्यालय दुर्ग के कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने स्वामी विवेकानन्द का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो अच्छे चरित्र का निर्माण करे। आज समाज में अच्छे चरित्र की सबसे अधिक कमी जरूरत महसूस हो रही है। हाल ही में कोलकाता में घटित घटना इसी तथ्य की ओर ईशारा कर रही है। अगर हम चरित्र का निर्माण नहीं कर पा रहे तो कितनी भी अच्छी शिक्षा हम दे लें उसका कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने जापान देश का उदाहरण देते हुए बतलाया कि वहाँ पर छोटे बच्चों को पहले अच्छा इन्सान बनने की शिक्षा दी जाती है। उनके कन्धों पर किताबों का बोझ नहीं होता है। वहाँ पर केवल यह सिखलाया जाता है कि किस तरह से दूसरों का आदर करना है, आस-पास के वातावरण को साफ रखना है और किस तरह से एक दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक भाई-चारे के साथ रहना है। औपचारिक पढ़ाई उनकी सात या आठ वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल ने कहा कि शिक्षकों के अन्दर इतना नैतिक बल होना चाहिए कि वह दूसरों को प्रेरित कर सके। एक समय हमारी शिक्षा व्यवस्था इतनी उन्नत थी कि हमारा देश सोने की चिडिय़ा कहलाता था। हम अब तक ब्रिटिश शिक्षा व्यवस्था को ही आगे बढ़ाते जा रहे थे। वर्ष 2019 में पहली बार सरकार ऐसी शिक्षा पद्घति लेकर आयी जिसमें आधुनिकता और भारतीयता की झलक थी। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान करते हुए कहा कि अपने विद्यार्थियों को भारतीय होने का बोध कराएं और उन्हें बतलाएं कि भारतीय होना सबसे अधिक पर गर्व की बात है। आज भी हमारे ज्ञान का भण्डार कम नहीं हुआ है। हमारा ज्ञान, हमारी परम्परा आज भी समृद्घ है। हमारी भाषा जिस लिपि में लिखी गई है उसका एक-एक अक्षर और स्वर विशेष तरंग उत्पन्न करते हैं। इतनी विज्ञान सम्मत भाषा दुनिया में कहीं नहीं है। इसीलिए हमारे जितने भी मंत्रोपचार हैं वह देवनागरी लिपि में लिखे गए हैं।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) के डायरेक्टर डॉ. एन.वी. रमना राव ने कहा कि बच्चों में जिम्मेदारी, सहानुभूति और दूसरों के प्रति आदर भाव पैदा करने के लिए नैतिक और सदाचारपूर्ण शिक्षा की जरूरत है। समाज में सहानुभूति, सद्भाव और एकता का विकास करने के लिए मानवता और करूणा की शिक्षा देने की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि समानता, न्याय और सबको समान अधिकार मिले। मूल्यनिष्ठ शिक्षा से ही जीवन में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, पर्यावरण की सुरक्षा और परस्पर सम्मान की भावना पैदा होगी।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि हमारी शिक्षा केवल रोजगार केन्द्रित नही होनी चाहिए। हमारा समाज सुखी तब बनेगा जब शिक्षक शिक्षा के माध्यम से छात्रों में मानवीय संवेदना जगाएंगे। उन्होंने कहा कि एक अच्छा शिक्षक वह है जिसमें जिन्दगी भर कुछ सीखने की ईच्छा हो। नई-नई किताबें पढऩा, लोगों से मिलकर उनके विचार जानना यह उसके अन्दर भावना होनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि आज आपाधापी में लोग इतना ज्यादा व्यस्त हैं कि उसके पास परिवार के लिए और खुशी का अनुभव करने के लिए समय ही नहीं है । किसी शायर ने खूब कहा है कि-ख्वाहिसों भरी जिन्दगी में हम सिर्फ दौड़ रहे हैं। रफ्तार धीमी करो मेरे दोस्त ताकि खुशी से जी सको।
उन्होंने आदरपूर्वक ब्रह्माकुमारी कमला दीदी का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन शिक्षा का प्रतिमान था। अपने अथक प्रयासों से उन्होंने सुदूर अंचल तक आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश फैलाया और समूचे छत्तीसगढ़ में सेवाकेन्द्र खोलने में सफल रहीं।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करने का दायित्व शिक्षक पर होता है। देश में कई ऐसी उत्कृष्ट संस्थाएं हैं जो कि अच्छे डॉक्टर्स और इन्जीनियर्स बनाने का कार्य कर रहे हैं किन्तु उन्हें अच्छा इन्सान बनाने के लिए कोई शिक्षा संस्थान नहीं है। आध्यात्मिकता हमारे जीवन को नैतिक मूल्यों से संवारने में मदद करती है। राजयोग मेडिटेशन इसमें बहुत अधिक मददगार सिद्घ हो सकती है। सद्गुणों की प्राप्ति अध्यात्म से ही हो सकती है।
इससे पहले मूल विषय को स्पष्ट करते हुए ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि वर्तमान समय हमारे देश में शिक्षित लोगों का प्रतिशत बढ़ रहा है। किन्तु इसके साथ ही समाज में अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। डिग्रियाँ बढ़ रही हैं लेकिन भाई-चारा कम हो रहा है। अगर हमें मूल्यनिष्ठ समाज बनाना है तो उसके लिए शिक्षकों को समाज के आगे आदर्श बनकर स्वयं को प्रस्तुत करना होगा।
इस अवसर पर रायपुर के बाल कलाकारों ने नैतिक मूल्यों पर आधारित परिवर्तन की सुनहरी यात्रा नामक नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। अन्त में ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने शॉल और श्रीफल भेंटकर डॉ. सच्चिदानन्द शुक्ल, डॉ. अरूणा पल्टा, डॉ. एन.वी.रमना राव और प्रो. बल्देव भाई शर्मा का अभिनन्दन किया। सभा में उपस्थित समस्त शिक्षकों का भी ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा अभिनन्दन किया गया।