जयपुर,बनीपार्क,राजस्थान: विश्व शांति दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा विशेष सामूहिक राजयोग साधना का आयोजन शास्त्री नगर के जनोपयोगी भवन में बड़े धूमधाम से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य “आध्यात्मिक उन्नति और विश्व शांति की स्थापना” था। इस आयोजन में वृद्ध, युवा और मध्य – सभी आयु वर्ग के लोग शामिल थे। सभी ने अपनी एवं संसार के समस्त मनुष्यत्माओं की आंतरिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम लगभग दो घंटे चला, जिसमें प्रारंभिक चरण में सभी साधकों ने गहन ध्यान साधना की। साधना का मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार करना था। कार्यक्रम के दौरान, आयोजन स्थल के मध्य में एक विश्व ग्लोब को प्रतिष्ठित किया गया था, जिस पर सभी साधकों ने मिलकर अपनी शुभकामनाओं की ऊर्जा को पूरे विश्व में शांति और समृद्धि के लिए प्रसारित किया।
इसके साथ ही, बनीपार्क, शास्त्री नगर एवं विद्याधर नगर सेवाकेंद्रों से आई हुई ब्रह्माकुमारी बहनों ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी ने साधकों को राजयोग की गहन अनुभूति कराई गई, जिसमें सभी ने अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत किया और उसे पूरे विश्व में शांति के प्रसार के लिए समर्पित किया। लक्ष्मी दीदी ने अपने संबोधन में बताया कि “जब हम आत्मिक दृष्टि को धारण करते हैं और सभी को आत्माओं के रूप में देखते हैं, तो हमारे भीतर से सकारात्मक ऊर्जा का प्रक्षेपण होता है। यह ऊर्जा न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को शांति से भर देती है, बल्कि समूचे विश्व में भी सुख और शांति का वातावरण उत्पन्न करती है।”
साधना के दौरान ध्यान को कई रचनात्मक गतिविधियों के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे साधकों का ध्यान केंद्रित हुआ और उन्हें आत्मिक शांति का गहन अनुभव हुआ। विशेष रूप से विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों और प्राकृतिक असंतुलनों को ध्यान में रखकर सकाश (सकारात्मक ऊर्जा का प्रेषण) किया गया। इस साधना से उपस्थित साधकों ने न केवल आत्मिक शांति का अनुभव किया, बल्कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर शांति की स्थापना हेतु अपने संकल्प को भी और अधिक दृढ़ किया।
कार्यक्रम के मध्य में ब्रह्माकुमार कुनाल भाई ने भी अपनी उपस्थिति से साधकों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “राजयोग एक साधना मात्र नहीं है, यह आत्मा और परमात्मा के बीच का एक दिव्य संवाद है। जब हम अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं, तो हमारे भीतर शांति और शक्ति का संचार होता है। इसी संचार को हम विश्व शांति की स्थापना के लिए प्रकृति को भेजते हैं।”
कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभी साधकों ने मिलकर विश्व शांति के लिए सामूहिक प्रार्थना की, जिसमें हर एक ने शांति के प्रकाश को फैलाने और समूचे विश्व को प्रेम, करुणा और सद्भाव के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। इस आयोजन ने सभी साधकों के भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का पुनरुद्धार किया, जो आने वाले समय में उन्हें विश्व के कल्याण के लिए प्रेरित करेगी।
आयोजन के बाद, प्रतिभागियों ने इस अनुभव को जीवन में आत्मसात करने की प्रतिज्ञा की और यह विश्वास प्रकट किया कि यदि हम सभी आत्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर हों, तो शीघ्र ही विश्व में शांति की स्थापना संभव हो सकेगी।