वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं की कार्यशाला ब्रह्माकुमारीज में कार्यक्रम हुआ संपन्न

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मानव अपने मूल्यों को यदि आप साथ कर ले तो वह कभी दुखी और अशांत नहीं हो सकता   ” राजयोगी भारत भूषण जी हरियाणा पानीपत”-वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं की कार्यशाला ब्रह्माकुमारीज में कार्यक्रम हुआ संपन्न-अनेक बुद्धिजीवियों ने लिया भागसदा प्रसन्न रहने के लिए बताए गए कई सहज उपाय

रीवा,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय शांति धाम झिरिया रीवा में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में पानीपत हरियाणा से पधारे अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर एवं नेशनल कोआर्डिनेटर साइंटिस्ट एंड इंजीनियरिंग विंग राजयोगी भारत भूषण रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रमुख अभियंता श्री आर के सिंह जी ने किया तथा राजयोग मेडिटेशन व आशीर्वचन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन जी ने प्रदान किया।अपने मुख्य संबोधन में राजयोगी भारत भूषण ने वैज्ञानिकों एवं अभियंताओं के उपस्थित समूह को संबोधित करते हुए कहा कि मानव अपने स्वभाव में यदि मैट्रिक व आध्यात्मिक मूल्यों का समावेश कर ले और उसे जीवन का अंग बना ले तो वह सदैव आनंदित रह सकता है। मनुष्य के दुखों का कारण है कि वह सकारात्मक विचार विनम्रता धैर्य संयम सात्विक संस्कारों को भूल गया है। यदि समय प्रसन्नता को कायम रखना है तो 7 प्रकार के मूल्यों को पुनः धारण करना होगा। अपने संबोधन में राज योगी भाई साहब ने कहा कि एक समय था जबकि सभी मानव बहुत संयमी एवं नियम दृढ़ होते थे तो वह संसार सुखमय कहलाता था कालांतर में मूल्यों को विस्मृत करने के कारण मानव में कमी व कमजोरी आ गई है। समय की मांग के अनुरूप हमें पुनः श्रेष्ठ विचारों को जीवन में धारण कर एक सात्विक मानव समाज बनाने का दृढ़ संकल्प रखना है तभी समूची मानवता एक नई दुनिया सात्विक संसार सतयुग में प्रवेश करेगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रमुख अभियंता आरके सिंह ने कहा कि मैं अपने संपूर्ण सेवाकाल में सभी को प्रोत्साहित करते हुए सभी को सुखी बनाते हुए जो समय व्यतीत किया उसी का परिणाम है कि मैं आज 90 वर्ष में भी पूरी तरह से सक्रिय होकर सेवा कार्यों में समाज सेवा में लगा रहता हूं। अपने आशीर्वचन व मेडिटेशन के संबोधन में राजयोगिनी बीके निर्मला बहन ने कहा कि मैं और मेरा का पूर्ण ज्ञान होने से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है और वह पूर्ण रीति सुखी और प्रसन्न रह सकता है। इसके अलावा उसके पुराने संस्कार भी सदा सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं। प्रारंभ में अतिथियों के सम्मान में दिव्य गीतों की प्रस्तुति विंध्य के लोकप्रिय गीतकार भ्राता नीलेश श्रीवास्तव ने की और सभी को परमात्म चिंतन व योग दर्शन के प्रति सहज रूप से प्रेरित किया। मंच का सकुशल संचालन राजयोगी ब्रह्माकुमार बीके प्रकाश भाई द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में पधारने वाले अतिथियों में सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता शेर बहादुर सिंह परिहार, सेवानिवृत्त अधीक्षक यंत्री अनुपम श्रीवास्तव, डॉ मुकेश येंगल अध्यक्ष रिएक्ट संस्थान, शाहिद परवेज सिद्धार्थ श्रीवास्तव साकेत श्रीवास्तव एमपी मिश्रा डॉक्टर हरीश चंद्र सिंह एसबी सिंह सीपी मालवीय डीएन मिश्रा पी एन शुक्ला डॉक्टर दिनेश तिवारी ओ पी चतुर्वेदी पी पी शुक्ला आरके प्रसाद नागेंद्र सिंह राम सजीवन विजय मोहन सिंह रूप किशोर सिंह एसके सिंह एसपी तिवारी एसके दीक्षित डॉ विकास श्रीवास्तव नृपेंद्र पटेल सहित 100 से अधिक वैज्ञानिक एवं अभियंताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन श्री अनुपम श्रीवास्तव ने किया।

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