ग्वालियर: नवरात्री के पावन अवसर पर ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर लगी चैतन्य देवियों की झाँकी

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नवरात्रि के पावन अवसर पर ब्रह्माकुमारीज केंद्र पर लगी चैतन्य देवियों की झाँकी

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय के प्रभु उपहार भवन माधवगंज केंद्र पर नवरात्री के पावन अवसर पर चैतन्य देवियों की झाँकी लगाई गई। झाँकी के दर्शन करने हेतु सैंकड़ो श्रद्धालु कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम में मुख्य केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी ने सभी को नवरात्री की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ दी। तथा नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि नवरात्रि का पावन उत्सव हमें हिंसक वृत्तियों पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री, माता ब्रह्मचारिणी, माता चंद्रघंटा, माता कुष्मांडा, माता स्कंदमाता, माता कात्यायनी, माता कालरात्रि, माता महागौरी, माता सिद्धिदात्री।
नवरात्री के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जो शक्ति का प्रथम स्वरुप मानी जाती है। माँ शैलपुत्री हमें यह सन्देश देती है कि आध्यात्मिक साधना में द्रढ़ता और समर्पण आवश्यक है, पहाड़ों की तरह अडिग रहने से ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। माँ शैलपुत्री की जीवनशैली सादगी और पवित्रता का प्रतीक है उनकी सरलता का यह रूप हमे सिखाता है कि साधारण जीवन में ही असली आनंद और शक्ति समायी हुई हैं। उनके हाथ में त्रिशूल से तात्पर्य तीनों लोको और तीनों कालो के ज्ञान से हैं तथा हाथ में कमल हमें पवित्र बनने की प्रेरणा देता हैं।
नवरात्री पर माँ की आराधना करने के साथ-साथ हमें अपने जीवन में बुराइयों को छोड़ने तथा दिव्यगुणों को धारण करने का संकल्प लेना चाहियें।

नौवें दिन भी सजा मां के चैतन्य नौ स्वरूपों का दरबार

नवरात्रि के पावन पर्व पर नौवें दिन भी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माधवगंज स्थित प्रभु उपहार भवन में मनमोहक चैतन्य नौ देवियों की झांकी सजाई गयी। देवियों के दर्शन हेतु सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुँचे।
इस अवसर पर बीके आदर्श दीदी ने सभी को नवरात्री की शुभकामनाएं दीं और नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि दो ही शक्तियों के साथ रात्रि शब्द का प्रयोग होता है। एक शिवरात्रि और दूसरा नवरात्री यहाँ पर रात्री शब्द का तात्पर्य अंधकार से है अर्थात कलियुग रूपी अज्ञान अँधेरी रात में जब मनुष्य आत्माएँ विकारों से विकृतियों से घिर जाती है, तब परमपिता परमात्मा शिव इस धरती पर अवतरित होते है और मनुष्यों को अज्ञान अंधेरे से छुडाते है। देवियों को शिव की शक्ति कहा जाता है, देवियाँ भी संसार में फैली आसुरी प्रवृतियों का नाश करती है। इसलिए नवरात्रि पर माँ के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आगे दीदी ने कहा कि नवरात्रि का यह पावन अनुष्ठान शुद्ध, सात्विक और चेतना को जागृत करने वाला है। साथ ही दीदी ने कहा कि महाशक्ति देवी शक्ति से ही संसार का अस्तित्व कायम है। असत्य से सत्य की ओर जाना ही सच्ची नवरात्रि मनाना है। मां भगवती के हाथ में शोभायमान कमल फूल प्रदर्शित करता है कि संसार में रहते न्यारे-प्यारे अर्थात बुराइयों से मुक्त रहना है। शंख मधुर बोल की सीख देता है। गदा आसुरी वृत्ति के संहार की निशानी है। तथा सुदर्शन चक्र परखने की शक्ति है। यह चक्र दुष्टों का संहार करता है।
तत्पश्चात बीके ज्योति दीदी ने बताया कि देवियों को अष्ट भुजाधारी दिखाया है अष्टभुजा से तात्पर्य अष्ट शक्तियों से है जो हमें बुराइयों और कमजोरियों से लड़ने में मदद करती हैं। नवरात्रि के दौरान व्रत को भी विशेष महत्व दिया जाता है, जिसमें केवल आहार संयम ही नहीं, बल्कि  वाणी और कर्मों में भी शुद्धता होनी चाहिए। इसके साथ ही क्रोध, आलोचना, और अहंकार जैसे अवगुणों से भी दूर रहना चाहिए।
वर्तमान समय स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा इस कलियुग के घोर अंधकार में माताओं-कन्याओं द्वारा सभी को ज्ञान देकर फिर से स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं। परमात्मा द्वारा दिए गए इस ज्ञान को धारण कर अब हम ऐसी नवरात्रि मनायें जो अपने अंदर के विकार है, बुराइयां है वह खत्म हो जाये और हमारा जीवन दिव्य गुणों से सज जाए।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं।

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