– धर्म के आधार से ही पावन श्रेष्ठाचारी सुखमय भारत की पुनर्स्थापना संभव
– देश, धर्म और जाति से ऊपर उठकर विश्व नव निर्माण का कार्य कर रही है ब्रह्माकुमारीज़ संस्था – स्वामी सर्वानंद जी महाराज
– विश्व के सभी धर्मों को एक साथ लाने का श्रेष्ठ कार्य कर रही है ब्रह्माकुमारीज़ – गोस्वामी सुशील जी महाराज
– तीन दिवसीय अखिल भारतीय साधु संत महासम्मेलन का आयोजन
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ कार्यक्रम
भोरा कलां,गुरुग्राम, हरियाणा।
ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में तीन दिवसीय अखिल भारतीय साधु संत महासम्मेलन का आयोजन हुआ। पावन श्रेष्ठाचारी सुखमय भारत की पुनर्स्थापना विषय पर आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अनेक संतों ने अपने विचार रखे। दादी प्रकाशमणी सभागार में बोलते हुए महाशक्ति पीठ दिल्ली से आए महामंडलेश्वर सर्वानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म का वास्तविक अर्थ धारणाओं से है। आज हमने संप्रदाय को ही धर्म समझ लिया है। ब्रह्माकुमारीज़ देश, धर्म और जाति से ऊपर उठकर कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि पवित्रता के आधार से नई दुनिया की पुनर्स्थापना धर्म सत्ता ही कर सकती है। हमें सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदर से साधु बनने की जरूरत है।
रुड़की से आए महामंडलेश्वर स्वामी दिनेशानंद भारती ने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाले की रक्षा धर्म स्वयं करता है। उन्होंने कहा कि पाप की मूल जड़ें अशुद्ध कामनाएं हैं। श्रेष्ठाचारी भारत के निर्माण का आधार धर्म है।
ऋषिकेश से पधारे महामंडलेश्वर स्वामी स्वतंत्रानंद जी महाराज ने कहा कि सम्मान उन्हीं का होता है जो जोड़ने का कार्य करता है। हमें जीवन को आज सामाजिक समरसता बहुत जरूरी है।
हरि मंदिर पटौदी से महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव जी ने कहा कि संतों की वजह से ही आज पूरे विश्व में भारत का नाम बड़े गौरव से लिया जाता है। भारत विश्व गुरु है क्योंकि भारत ही पूरे विश्व को अज्ञान अंधकार से निकालता है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था सनातन धर्म की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।
हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद जी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म एक मात्र ऐसा है जो सारे विश्व को परिवार मानता है। भारत परमात्मा की अवतरण भूमि है। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो इस महान भूमि में पैदा हुए।
अयोध्या से आये रसिक पीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण जी महाराज ने कहा कि परमात्मा से जुड़ने का एक मात्र सूत्र प्रेम है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में ईश्वर से मिलाने वाला केवल एक ब्रह्माकुमारीज विश्व विद्यालय है।
हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का जन्म ही धर्म के साथ होता है। आत्मा के मूल गुण ही वास्तव में धर्म का स्वरूप है। बिना धर्म के जीवन पशु तुल्य है। अपने मूल स्वरूप अर्थात धर्मानुकूल कर्म करने से ही श्रेष्ठ समाज की स्थापना होगी। कर्म की कुशलता का नाम ही योग है।
कटनी, मध्य प्रदेश से पधारे आचार्य परमानंद जी महाराज ने कहा कि सुखमय भारत की पुनर्स्थापना में धर्म की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि विधर्म को मिटाने के लिए विधर्म की सोच को मिटाना जरूरी है। जब तक मानसिक शुद्धि नहीं होगी, तब तक सनातन धर्म पुनर्स्थापित नहीं होगा।
महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान को मैंने स्वयं अपनी आंखों से पल्लवित और पुष्पित होते देखा है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की कथनी और करनी समान है। विश्व भर में सभी धर्मों को एक साथ लाने का कार्य ब्रह्माकुमारीज़ ने किया है।
दिल्ली, एनसीआर के संत महामंडल की अध्यक्षा महामंडलेश्वर स्वामी विद्यागिरी जी महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बहनें नारी शक्ति को जगाने का सराहनीय कार्य कर रही हैं।
ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के प्रमुख महासचिव राजयोगी बृजमोहन ने कहा कि परमात्म प्रेम ही वास्तव में सत्य है। परमात्मा अविनाशी होने के कारण उसका प्रेम भी अविनाशी है। परमात्म प्रेम में ही सच्चा सुख है। वर्तमान समय मनुष्य जिसे प्रेम समझते हैं, वो विनाशी है। विनाशी व्यक्तियों और वस्तुओं से होने के कारण उसमें दुःख समाया हुआ हो। परमात्मा से सच्चे स्नेह के आधार से ही श्रेष्ठ भारत की पुनर्स्थापना हो सकती है।
ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि ब्रह्मा बाबा सदा ही साधु संतों का सम्मान करते थे। ब्रह्मा बाबा सदा यही कहा करते थे कि संन्यासियों के त्याग, तपस्या और पवित्रता के कारण ही भारत की संस्कृति को कोई मिटा नहीं पाया।
माउंट आबू से पधारी बीके उषा ने सबको राजयोग का गहन अभ्यास कराया।
कार्यक्रम में दिल्ली, पहाड़गंज से महामंडलेश्वर स्वामी हरिओम जी महाराज, मुंबई से आए महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी जी महाराज, ऋषिकेश योग धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष योगीराज प्रणव चैतन्य जी महाराज ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में देशभर से पधारे अनेक साधु, संत, महात्माओं सहित धार्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने काफी संख्या में शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन बीके लक्ष्मी एवं बीके वीणा ने किया।