भ्राता नरेंद्र सिंह जी प्रिंसिपल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को पत्रिका देते हुए

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भ्राता नरेंद्र सिंह जी प्रिंसिपल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय को पत्रिका देते हुए ब्रह्मा कुमार नारायण भाई, ब्रह्माकुमारी किंजल बहन और साथ में अरुण गहलोत समाज सेवी एवं भेरू सिंह चौहान विद्यालय प्रभारी।

जो मन से नहीं हारता वह बुझे दीपकों को जला सकता है।  कोई साथी बने या न बनें अपने मन को  साथी बनाइए… ब्रहमा कुमार नारायण भाई अलीराजपुर

अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। जीवन में बाहर की हार जीत नहीं अन्दर की हार जीत प्रकर्ति तय करती है क्योंकि आप तब तक नहीं हारते जब तक आप मन से नहीं हारते। शरीर को सजाने से अधिक मन की सजावट पर ध्यान दिया जाए तो बाहरी सुन्दरता पर मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि सुन्दर मन के पास तन भी स्वस्थ ही होता है यह निश्चित है। कितनी भी बड़ी मुसीबत हो,जो मन से नहीं हारता वह जीवन के हर बुझे दीपक को फिर से जला सकता है। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बोरखड़ में विद्यार्थियों को मनोबल कैसे बढ़ाए इस विषय पर संबोधित करते हुए बताया किकोई भी कठिनाई वास्तव में आपके द्वारा भेजी गई नाकारात्मक उर्जा है उस से बचने के लिए पुण्य कर्म की कमाई व प्यारे प्रभू की याद को अपना नियम बना लें डूबती नैया किनारे लग सकती है। कुछ लोग छोटी छोटी बातों पर निराश हो जाते हैं और कुछ बड़ी बड़ी बातों पर भी स्थिर रहते हैं यह आत्मिक बल के कारण है जिसका आधार है मन,वचन व कर्म की पवित्रता ।कोई साथी बने न बने अपने मन को साथी बनाना सिखिये क्योंकि इसके साथ से तो भगवान भी मित्र बन सकता है। मन को साथी बनाने का अर्थ है उसे अपने हित के अनुरूप चलाना और अपना हित तो केवल परमात्म याद में है।क्या फर्क पड़ता है लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, फर्क तो पड़ता है  यदि आप उसके बारे में नहीं सोचे । इस अवसर पर ब्रह्मा कुमारी किंजल बहन ने मन का पंछी को पिंजरे से कैसे आजाद करे अपना अनुभव बताया कि मन की बेचैनी और उदासी का मुख्य कारण है मन हर समय कुछ ना कुछ व्यर्थ सोचता ही रहता है। जितने संकलप कम और शुभ होंगे मन उतना ही आजाद महसूस करेगा। इसलिए आज से हम परमात्मा की और ध्यान लगाकर मन के व्यर्थ संकल्पों रूपी पिंजरे को तोड़े व शुभ और जरूरी संकल्प कर मन का पंछी आजाद करें।कहते हैं कि उड़ना तो आता है लेकिन आजाद होना नहीं आता। ए मन के पंछी,,, तुझे खुद के पिंजरे से ही निकलना नहीं आता। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय प्राचार्य नरेंद्र मालवी  ने सभी का आभार प्रकट करते हुए बताया कि अच्छी सफलता में एकाग्रता, शांत मन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ब्रहमा कुमार अर्जुन भाई ने राजयोग पर आधारित सुंदर गीत प्रस्तुत कर के  मन को शांत व एकाग्र कराया।

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