आप स्वयं इतनी शक्तिशाली है कि संसार की समस्या टिक नहीं सकती है।
युवा अर्थात जो मन से सदा सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है। ब्रह्मा कुमार नारायण भाई।
अलीराजपुर,मध्य प्रदेश। स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर वास्तव में युवा कौन है जो अपनी आंतरिक शक्तियों को जानता है पहचानता है वही युवा है। मन से जो सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता है सभी के प्रति शुभ भावना कल्याण की भावना रखता है किसी से वेर विरोध नहीं करता है सभी के साथ मिलजुल कर रहता है। सहयोग की भावना रखता है वही युवा है। आज का युवा दिशा भ्रमित होकर शक्तिहीन बनता जा रहा है ।आज का युग चुनौतियां भरा युग है और चुनौतियां हर व्यक्ति के सामने समय-समय पर आती रहती है ।यही चुनौतियां किसी किसी के लिए अवसर के द्वार खोल देती है, किसी-किसी को पछाड़ने की अनुभूति करने वाली होती है। देखा गया जो व्यक्ति चुनौती के वक्त जीवन में सही निर्णय ले लेता है उसके लिए वह अवसर के द्वार खोल देती है। लेकिन जो व्यक्ति चुनौती के वक्त अल्प प्राप्ति के लालच में आकर दूर दृष्टि नहीं रखता है गलत निर्णय से नकारात्मक दिशा चुन लेता है उसे बाद में जीवन में बहुत पश्चाताप करना पड़ता है। गलत निर्णय क्यों लिया क्योंकि उसकी अंतर्दृष्टि धुंधली थी ।भविष्य उसके सामने स्पष्ट नहीं था स्वामी विवेकानंद ने यही आध्यात्मिक ज्ञान सत्य ज्ञान सारी विश्व को दिया था कि स्वयं को जानो और पहचानो। आप स्वयं इतनी शक्तिशाली है कि आपके सामने संसार की समस्या टिक नहीं सकती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि मुझे अगर सौ ब्रह्मचारी युवा मिल जाए तो मैं सारे विश्व का नक्शा पलट सकता हूं ।अगर आज का युवा राजयोग के गहन अभ्यास करले तो बुद्धि इतनी शक्तिशाली बन जाती है जो कई बार भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्वानुभूति भी होने लगती है ।राजयोग बुद्धि को सशक्त करने का सफल मार्ग है जिससे सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला की प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीराजपुर के सभागृह में स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसरयुवा दिवस पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बता रहे थे। इससे पूर्व ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने सभी को सामूहिक योगाभ्यास सूर्य नमस्कार प्राणायाम व विभिन्न आयाम शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से कराए गए तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए राजयोग का अभ्यास कराया गया ।राजयोग में उन्होंने बताया की स्वयं में जो हूं मैं देह नहीं, इस देह को चलाने वाली एक शक्तिशाली आत्मा हूं, इस स्वरूप में स्थित होकर जब हम अपने मन का योग सर्वशक्तिमान परमात्मा के साथ जोड़ लेते हैं तो आत्मा की शक्तियों में वृद्धि होने लगती है ।बिल पावर बढ़ने लगती है जिससे हमारे मानसिक संतुलन बना रहता है। अनेक तनाव चिंता भय से मुक्त रहने लगते हैं। इस तरह हम शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य को राजयोग के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। प्रोफेसर मानसिंह डोडवा अध्यक्ष पद से बोलते हुए बताया कि आज का युवा दिशा भ्रमित होने के कारण भटक गया है लक्ष्य विहीन जीवन जी रहा है। प्रत्येक युवक को अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए प्रोफेसर इगला लोहारिया ने संबोधित करती हुए बताया की विवेकानंद का जीवन एक आदर्श जीवन था उनके सामने अनेक चुनौतियां होते हुई भी कभी हारे नहीं चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते गए। डॉ प्रदीप ने बताया जिस देश का व्यक्ति इतना विद्वान हो वह भारत देश इतना गरीब कैसे हो सकता है जहां विवेक से युक्त ऐसी आत्माएं हो वह देश गरीब नहीं विकसित देश है। कार्यक्रम का आभार व्यक्त करते हुए डॉक्टर सुरजीत सिंह ने बताया की विवेकानंद का राजयोग हमारे जीवन में आरोग्य प्रदान करता है राजयोग से जीवन में हेल्थ वेल्थ की प्राप्ति होती है और इसी से हम सर्वांगीण विकास कर सकते हैं।