नोएडा, उत्तर प्रदेश: ब्रह्माकुमारीज़, सेक्टर 46 ने 18 जनवरी 2025 को विश्व शांति और आध्यात्मिकता दिवस का आयोजन किया। यह दिन प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के 55 वर्ष पूर्व देह त्याग को याद करते हुए स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में एकता, शांति और आध्यात्मिकता के महत्व को उजागर करना था, जिससे सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाए जा सकें।
कार्यक्रम का उद्देश्य: एक दिव्य संदेश
इस विशेष अवसर पर ध्यान, योग और प्रेरणादायक विचार-विमर्श के सत्रों का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सभी वर्गों के लोगों को आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा देने का एक मंच था। विशेष प्रदर्शनियों के द्वारा ब्रह्मा बाबा की आत्मज्ञान , सदाचार और शांति की शिक्षाओं को दर्शाया गया । कार्यक्रम में डॉक्टर सुचित्रा बहन ने मधुर स्वर में गीत गाकर उपस्थित जनसमूह को भावुक कर दिया।
ब्रह्मा बाबा: एक दिव्य मार्गदर्शक
ब्रह्माकुमारी सेंटर (सेक्टर 51, सेक्टर 46 और सेक्टर 15) की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी कीर्ति लीना दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा ने एक ऐसी दुनिया का सपना देखा था, जहां लोग एकता और सद्भाव से जीवन जीते हैं। उनका मानना था कि हम सभी परमात्मा की संतान हैं और हमारे भीतर एक दिव्य आत्मिक बल है, जो हमें शांति की ओर ले जा सकता है.
आध्यात्मिकता: आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की ओर यात्रा
लीना दीदी ने बताया कि आत्मज्ञान वह प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को समझता है। राजयोग के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को शुद्ध करता है और परमात्मा से जुड़ने का अनुभव करता है। यह आध्यात्मिक विधि जीवन को संतुलित और शांतिपूर्ण बनाने में सहायक होती है।
कर्म का सिद्धांत: जीवन का नियम
लीना दीदी ने कहा कि हमारे कर्म हमारे जीवन का निर्धारण करते हैं। अच्छे कर्म सुख और शांति लाते हैं, इसलिए सद्गुणों का पालन करना आवश्यक है।
महिला सशक्तिकरण: आध्यात्मिक दृष्टिकोण से परिवर्तन
ब्रह्माकुमारी शेफाली बहन ने बताया कि ब्रह्मा बाबा ने माताओं और बहनों को समाज की रीढ़ मानते हुए उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा दी। उनका विश्वास था कि महिलाओं को सशक्त बनाने से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा।
प्रजापिता ब्रह्मा का जीवन: एक उदाहरण
प्रजापिता ब्रह्मा का जन्म 1876 में हुआ था। उन्होंने 1936 में एक दिव्य अनुभव प्राप्त किया, जिसके बाद वह अपनी भौतिक संपत्तियों को छोड़कर आध्यात्मिक कार्य में समर्पित हो गए। उन्होंने ज्ञान की सरल व्याख्या शुरू की, और उनका सत्संग ओम मंडली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इस शुरूआत से लेकर ब्रह्माकुमारीज़ तक का सफर प्रेरणादायक रहा। इसका उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत आत्मा की शांति बल्कि समाज में शांति फैलाना भी था। राजयोग के अभ्यास ने लाखों लोगों को आत्मसाक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन दिया है।इस अवसर पर एक लघु नाटिका के द्वारा ब्रह्माकुमारीज़ के इस एक आध्यात्मिक आंदोलन को मनभावन तरीक़े से प्रस्तुत किया गया ।
कार्यक्रम में वक्ताओं के विचार:- इस विशेष कार्यक्रम में कई प्रमुख वक्ताओं ने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आध्यात्मिकता से व्यक्ति को आंतरिक शांति मिलती है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होती है।