प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। 24 जनवरी 2025 को ऐतिहासिक महाकुंभ में नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत हुई सेवाओं की रिपोर्ट https://drive.google.com/drive/folders/1uw1jS-IuQf1CEZwWJ0XemESpcytwW0oL?usp=sharing
1. श्री गुरुकाष्णि आश्रम, सेक्टर 9 के भंडारे के सामने 150 लोगों के लिए
2. श्री श्री नाथ जी हवेली, श्री रसिया बाबा नगर के भंडारे के सामने 300 लोगों के लिए
3. राजस्थान मंडप, सेक्टर 7 के भंडारे के सामने करीब 250 लोगों के लिए
4. दिव्या प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार सेवा साधना शिवर, सेक्टर 6 के सामने करीब 180 लोगों के लिए
5. थाना नारायणी आश्रम, सेक्टर 10 के 50 पुलिस सुरक्षा कर्मियों के लिए
6. प्रांतीय रक्षक दल विभाग, सेक्टर 10 के 40 सुरक्षा कर्मियों के लिए
इन कार्यक्रमों द्वारा सभी के साथ एक संवाद स्थापित करते हुए नशों से होने वाली मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और नैतिक विकृतियों के बारे में बी. के. राजीव (मेडिकल विंग वक्ता) ने जागरूक किया। इन कार्यक्रमों के दौरान एक निष्कर्ष सामने आया की नशे का मुख्य कारण किसी न किसी प्रकार का मनुष्यों में बढ़ता हुआ विकार अथवा तनाव है और इस बीमारी का कारगर इलाज आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही है। यदि हरेक को खुद की असीम शक्तियों और उसकी उपयोगिता से रूबरू करा दिया जाए तो वह व्यक्ति समाज को सुसंगठित कर भारत देश की गरिमा को ऊंचाइयों की शिखर तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य – अपनी भावी युवा पीढ़ी को उसके अंदर छिपी हुई विशेषताओं से रूबरू कराना था और यदि ऐसा किया जाए तो हर बच्चा अपने अंदर छिपी हुई अनंत प्रतिभाओं को महसूस करते हुए नशीले पदार्थों व मोबाइल की लत से खुद को बचाकर समाज में अपना योगदान देकर सुंदर समाज का गठन कर सकता है।
व्यावहारिक सुधारात्मक प्रशिक्षण सत्रपहला कदम – मोबाइल वैन द्वारा वीडियो शो दिखाकर शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों के व्यक्तिगत अनुभव साझा किए गए एवं राजयोग द्वारा लोगों के जीवन में आए बदलाव की अनुभूतियाँ सबके सामने उजागर की गईं।दूसराकदम – खुद से प्यार करने का प्रशिक्षण दिया गया जिसका सभी ने आनंद लेते हुए रोजाना अपनी दिनचर्या में कम से कम 20 बार शामिल करने का वादा किया। यदि कोई भी इसका निरंतर अभ्यास करे तो अवश्य ही उसका मन प्रफुल्लित रहेगा और वह अपने लक्ष्य पर ध्यान एकाग्र कर सफलता प्राप्त सकता है।
तीसरा कदम – ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना सिखाया गया जिससे उनके अंदर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता की भावना उत्पन्न हो।
चौथा कदम – हर एक अपने जीवन में आज से एक सकारात्मक नशा अवश्य धारण करे जैसे की संगीत, नृत्य, प्राणायाम, किसी भी खेल लेकिन मोबाइल गेम्स नहीं, भाषण करना, कहानी लेखन, कला एवं शिल्पकारी, तैराकी, कुंग फू कराटे, आदि आदि।
पांचवाकदम – इन बुराइयों से बचने की शपथ लेते हुए आजीवन भर इन्हें निभाने के फायदे का अनुभव कराया गया।
छठवांकदम – युवा अपने अभिभावकों को इससे छूटने के लिए प्रेरित करते हुए शपथ दिलवाये।सातवां कदम – गणित के सरल लेकिन अति कारगर सिद्धांतों को निजी जीवन में कैसे उपयोग करें ताकि क्षेष्ठता की उच्च कोटि को प्राप्त किया जा सके।
आठवां कदम – राजयोग की अनुभूति और उसे सीखने के लिए प्रेरित किया गया।नौंवा कदम – होमियोपैथी मेडिसिन का निशुल्क वितरण किया गया।


