श्रेष्ठ भाग्य का आधार श्रेष्ठ कर्म ब्र. कु. शिवानी
नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय नरसिंहपुर के तत्वावधान में इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी जी के पावन सानिध्य में भाग्य की कलम आपके हाथ विषय पर 3 फरवरी 2025 संध्या 4:30 बजे से 7:30 बजे तक परमहंस ग्राउंड खैरी नाका नरसिंहपुर में एक विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
कार्यक्रम की शुरुआत में कला एवं संस्कृति प्रभाग के द्वारा शानदार स्वागत नृत्य एवं प्रेरणादायक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई।
इसके बाद अतिथि इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर ब्र कु शिवानी दीदी, क्षेत्रीय इंदौर जोनल प्रभारी ब्रह्माकुमारी हेमा दीदी, उज्जैन से ब्र कु उषा दीदी, दिल्ली गुड़गांव से ब्र कु विधात्रि दीदी, अहमदाबाद गुजरात से सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक गायिका डॉ. दामिनी दीदी, पूर्व विधायक भ्राता सुनील जायसवाल , पूर्व राज्यसभा सांसद भ्राता कैलाश सोनी , नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष भाजपा भ्राता , नगर पालिका अध्यक्ष भ्राता पं नीरज महाराज , वरिष्ठ समाज सेवी भ्राता सुनील कोठारी , नगर पालिका नेता प्रतिपक्ष भ्राता रुद्रेश तिवारी, जिला संचालिका ब्र कु कुसुम दीदी , परमहंस कॉलेज प्रबंधक भ्राता पंकज नेमा, ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
नरसिंहपुर सेवा केंद्र की ओर से ब्र कु कुसुम दीदी ने ब्र कु शिवानी दीदी, अतिथि पूर्व राज्य मंत्री भ्राता जालम सिंह पटेल, नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष भाजपा भ्राता राम स्नेही पाठक सहित सभागार में उपस्थित लगभग 8000 से अधिक श्रद्धालुओं का आगंतुक सभी का शब्द सुमन से स्वागत किया।
इस अवसर पर ब्र कु शिवानी दीदी जी ने कहा कि हम अपने भाग्य के निर्माता स्वयं है। मेरे साथ जो भी हो रहा है उसका जिम्मेदार मैं स्वयं हूं । जैसा मेरा कर्म वैसा मेरा भाग्य होगा ।मेरे कर्म मेरे हाथ में है। ज्योतिषी हमें यह तो बता सकते हैं कि मेरी जन्म कुंडली में क्या लिखा है पर क्या लिखना है यह मेरा कर्म तय करता है ।राजयोग हमें सिखाता है कि आने वाली परिस्थिति का सामना कैसे करना है । मेरी सोच, मेरी भावनाओं के अनुसार मेरे कर्म होते हैं । जिससे जो बोलो वही भावनाओं में होना चाहिए। कर्म अर्थात मेरा भाव। अपने भाव की गहरी चेकिंग करनी है ।कर्म अर्थात भाव, भावना, सोच ,बोल और व्यवहार इन चार बातों के आधार पर भाग्य बनता है। सोच का परिणाम व्यवहार में आता है ।जो मेरे साथ हो रहा है वह मेरा भाग्य है। दूसरे क्या कर रहे हैं हम वह देखकर करते हैं। “सदा याद रखो मेरा कर्म, मेरा भाग्य मुझे सिर्फ और सिर्फ सही कर्म ही करना है चाहे सारे शहर में से मैं अकेला हूं “। मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है इसका जवाब मेरे द्वारा किए गए कर्म का ही फल है । मेरे कर्म में सबसे ज्यादा शक्ति है। दूसरों के नहीं अपने कर्म पर फोकस करो ।आज पक्का करो मेरे साथ किसने क्या भी किया हो मुझे दूसरों के साथ अच्छा ही करना है ।”यदि अपने साथ अच्छा चाहते हो तो दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करो” ।
दीदी ने कहा कि क्या हम उनको दुआएं दे सकते हैं जो हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं । संकल्प करो अपने कर्मों के लिए मैं आत्मा आपसे क्षमा मांगती हूं । बीती सो बीती, पुराने हिसाब किताब को खत्म करते हैं । मेरी तरफ से आपको दुआएं हैं ।हर आत्मा बहुत शुद्ध है दुआ देना, क्षमा करना बहुत सहज है ।
जैसे कैमरे की रिकॉर्ड की हुई चीज बदली नहीं जा सकती ऐसे ही हमारे द्वारा किए हुए कर्म बदले नहीं जा सकते इसके लिए सही बोल सही कर्म करें तो रिकॉर्डिंग अच्छी होगी । हर आत्मा के साथ कर्म और संस्कार साथ में जाएंगे। मेरे कर्मों की रिकॉर्डिंग एक जन्म नहीं जन्म-जन्म के लिए हो रही है इसलिए हमेशा अपने ही कर्मों पर ध्यान देकर अच्छे ही कर्म करने हैं । मेरा श्रेष्ठ भाग्य तो मेरे श्रेष्ठ कर्मों से ही होने वाला है ।हमारे भाग्य पर हमारे ही कर्मों की नजर लगती है। “जिसके ऊपर परमात्मा की नजर हो उसे किसी की बुरी नजर नहीं लग सकती”। “किसी को क्षमा करने से अपना हृदय स्वस्थ हो जाएगा”।आज से एक मंत्र पक्का करो सबको दुआएं देना है । संकल्प सही करो तो भाग्य श्रेष्ठ होना ही है ।चार बातें धन,अन्न,मन और जन इस की प्राप्ति से भाग्य को समझा जाता है ।धन कितना कमाया यह नहीं ,धन कैसे कमाया है। सबको सुख देते हुए दुआएं देते हुए धन कमाना है । सिर्फ सड़क पर नहीं जीवन के हर लाल सिग्नल पर रुकना है ।धन ध्यान से कामना है ।अन्न से मन की स्थिति बनती है ।जैसा अन्य वैसा मन होता है । दुख , दर्द किसी की हिंसा वाला भोजन नहीं खाना है। सिर्फ शाकाहारी भोजन ही खाना है। परमात्मा की याद में भोजन बनाना और खाना है ।यह बहुत ही बड़ी शक्ति है। हमारा घर स्वर्ग है ऐसा सकारात्मक संकल्प भोजन बनाते समय करना है । शुद्ध अन्न से मन, मन से कर्म ,कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है। जो हम सुनते हैं जो हम पढ़ते हैं जो हम देखते हैं सोचते हैं वही हमारा भाग्य बनता है ।
आगे दीदी ने कहा आज हम इस मोबाइल फोन के गुलाम बन गए हैं अब मालिक बनकर इसका उपयोग करना है। राजयोग अर्थात् परमात्मा के साथ संबंध जोड़ना इससे आत्मा शक्तिशाली बनती है । दीदी ने जानकारी देते हुए बताया कि राजयोग से आत्म विकास के लिए दिल्ली गुड़गांव से राजयोग प्रशिक्षिका ब्र कु विधात्रि दीदी द्वारा स्थानीय सेवा केंद्र प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय दिव्य संस्कार भवन हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी नरसिंहपुर में आत्म विकास के लिए त्रिदिवसीय निशुल्क ध्यान सत्र दिनांक 4से 6 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन प्रातः है 8 से 9 एवं संध्या 7:30 से रात 9:00 बजे तक आयोजित किया जा रहा है। इसका लाभ लें और अपने जीवन का श्रेष्ठ कर्म द्वारा श्रेष्ठ भाग्य बनाएं और राजयोग से अपनी आत्मा को सशक्त बनाएं।
ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने अंत में 10 मिनट सभी को राजयोग का अभ्यास कराया।









