बिजनौर: महाशिवरात्रि के उपलक्ष में कलश यात्रा

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बिजनौर,उत्तर प्रदेश: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा बैराज रोड की ओर से परमात्मा शिव के यादगार में महाशिवरात्रि के उपलक्ष में एक कलश यात्रा का कार्यक्रम रखा गया। जिसका उद्घाटन नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमति इंद्रा सिंह और डॉ बीरबल सिंह जी किया।

जिसमें सभी भाई बहनों ने भाग लिया इस यात्रा में परमात्मा शिव का परिचय दिया गया और बताया गया की शिवरात्रि परमात्मा शिव के यादगार का दिवस है।

यह कलश यात्रा सेंटर से शुरू हो कर नुमाइश चौक से शक्ति से डाक चौक से नुमाइश से आवास विकास से वापस सेंटर पर समाप्त हुई।

उसके पश्चात सेंटर पर शिवरात्रि का प्रोग्राम रखा गया जिसमें मुख्य अतिथि बीके एल्विन बहन arto रुड़की रही । विशेष अतिथि डॉ गोमती अग्रवाल मेडिकल विंग माउंट आबू से रही। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के द्वारा शुरू किया गया।

मंच संचालन बीके अनीता दीदी ने किया।

बीके रीता दीदी ने संस्था का परिचय दिया कि संस्था पिछले 89 वर्षों से समाज की सेवा कर रही है। ये बहनों के द्वारा संचालित संस्था है। जिसकी स्थापना स्वयं ज्योति विंदु परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के तन का आधार ले की है।

इसमें मनुष्य से देवता बनाने का कार्य किया जाता है।

विकारों से छुड़ाया जाता है घर में सुख शांति स्थापित की जाती है।

मुख्य अतिथि ने बताया कि उन्हें संस्था से जुड़े 10 वर्षों से अधिक हो गए उन्हें बहुत खुशी मिलती है हमेशा तनाव मुक्त रहती है। जॉब करते भी आध्यात्मिक जीवन जीती है। 

सरिता दीदी ने जीवन में शांति पाने के लिए स्वयं के विचारों को ध्यान देना अपने को बदलना है स्वयं को आत्मा समझना है। संतुष्ट रहना है।

बीके प्रवेश दीदी ने सभी को खुश रहने का उपाय बताया कि सभी भगवान को सम्बन्ध के रुप में याद करे हमेशा ये सोचो कि मैं बहुत खुश नसीब आत्मा हूँ ।स्वयं भगवान ने मुझे अपना बनाया है। 

बीके डॉ गोमती अग्रवाल ने सम्बन्धों में मधुरता के लिए बताया। हमें अपने सातों गुणों को जानना होगा। जब हम सम्बन्धों में आते है तो हमारे गुणों का अदन प्रदान होता है।

बस हमें स्वयं को आत्मा समझ कर एक दूसरे के साथ व्यवहार करना है।

बीके जगपाल भाई जी ने आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने की सभी को सलाह दी। जिससे हम महान बन सकते है।

बीके सुरेश दीदी ने सभी को शिव जयंती की शुभ कामनाएं दी और सभी को राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति करवाई।

बाद में सभी ने शिव ध्वज लहराया और ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया।

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