योग से ही होता है आत्मिक दृष्टिकोण
योग से होता है मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
योग मानसिक जबकि योगा है शारीरिक प्रक्रिया
भौरा कलां, गुरुग्राम,हरियाणा: आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के तहत ब्रह्माकुमारीज गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में मैजिक ऑफ मैडीटेशन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। तीन दिवसीय कार्यक्रम में अपने आशीर्वचन देते हुए ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि योग एक जीवन शैली है। योग से ही कर्मों में कुशलता आती है। उन्होंने कहा कि योग और योगा में अंतर है। योग में हम अपने मन को सर्वोच्च शक्ति परमात्मा से जोड़ते हैं। जबकि शारीरिक आसनों की प्रक्रिया को योगा कहते हैं। योग से आत्मिक ऊर्जा का संचार होता है। योग सकारात्मक विचारों को प्रवाहित करता है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ी चुनौती संकल्पों के नकारात्मक प्रवाह को रोकना है। मन के संकल्प मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक और शुद्ध विचार ही मस्तिष्क और शरीर दोनों को स्वस्थ रख सकते हैं।
कार्यक्रम में यूनो मिंडा ग्रुप के उप प्रबंध निदेशक एवं सीईओ रवि मेहरा ने भी योग के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि मैं काफी समय से ब्रह्माकुमारीज से जुड़ा हूँ। उन्होंने कहा कि योग से उनके जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके रमा ने कहा कि योग से नजरिए में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आता है। दैहिक दृष्टिकोण ही लड़ाई-झगडे का कारण है। योग हमें आत्मिक दृष्टिकोण प्रदान करता है। आत्मा के स्वरूप से हम सभी एक परमात्मा की संतान हैं। उन्होंने अनुभव के आधार से कहा कि योग से स्नेह की भावना पैदा होती है। अगर हम योग के सही अर्थ को समझकर उसे जीवन में उतारें तो ये संसार बहुत सुखद हो जायेगा।
संस्था के कई अन्य अनुभवी वक्ताओं ने भी योग की बारीकियां बताई। कार्यक्रम का संचालन बीके फाल्गुनी ने किया। कार्यक्रम में काफी संख्या में लोगों ने शिरकत की।