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भोपाल: ब्रह्माकुमारीज़, ब्लेसिंग हाउस में दादी हृदय मोहिनी जी की चतुर्थ पुण्य स्मृति दिव्यता दिवस के रूप में मनाई गई 

ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी को पुष्प अर्पित कर दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि

राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी की स्मृति में दिव्यता दिवस पर विश्व शांति के लिए की गई सामूहिक योग साधना

भोपाल,मध्य प्रदेश। नर्मदापुरम रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज़, ब्लेसिंग हाउस सेवाकेंद्र में दिव्यता दिवस मनाया गया। दिव्यता दिवस पर सुबह से ही विश्व शांति के लिए की गई सामूहिक योग साधना में ब्रह्मा वत्सों का आगमन हुआ।

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी की चतुर्थ अव्यक्त पुण्य स्मृति पर भारी संख्या में उपस्थित ब्रह्मा वत्सों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। ब्लेसिंग हाउस सेवाकेंद्र की निर्देशिका बी.के. डॉ. रीना दीदी ने राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी के दिव्य जीवन में प्रकाश डालते हुए कहा की दादी जी इस जगत की दादी मां थी। दादी जी परमात्मा के दिव्य गुणों से सुसज्जित साक्षात दिव्यमूर्ति थीं। हम सभी आज यह संकल्प लें कि जिस प्रकार से दादी जी ने परमात्मा शिव की बताई हुई श्रीमत पर चलकर अपना इतना सुंदर दिव्य व्यक्तित्व बनाया है, हम सब ब्रह्मावत्स दादी जी के कदमों पर चलकर उनके जैसा बन करके दिखाएंगे।

दादी जी सदैव अचल अडोल रहे, क्योंकि दादी जी का यह पाठ पक्का था कि करनकरावन हार करा रहा है, जीवन के हर दृश्य को दादी जी ने एक समस्या की बजाय एक परीक्षा के रूप में लिया और हर परिस्थिति को कल्याण के रूप में देखा।

दादी जी इस जगत के लिए एक उदाहरणमूर्त है।

दादीजी के जीवन की अनमोल शिक्षाएं:-

दादीजी कहती थीं कि परेशान होने के पांच शब्द हैं – पहला है क्यों, क्यों कहा और व्यर्थ संकल्पों की क्यू चालू हो जाती है, इसने ये कहा, उसने ये कहा और मन में व्यर्थ संकल्प चालू हो जाते हैं। क्योंकि जो बीत चुका वह हमारे हाथ में नहीं है। फ्यूचर ही हमारे हाथ में है। क्या, क्यों, कौन, कब और कैसे… ये पांच शब्द हमें परेशान करते हैं। खुशी के जाने के यह पांच शब्द ही हैं, दादी जी हमेशा कहते थे जीवन में कुछ भी हो जाए लेकिन खुशी ना जाए, खुशी जैसी खुराक नहीं।

दिव्यता दिवस के इस अवसर पर दादी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए सैकड़ो की संख्या में ब्रह्मावत्स उपस्थित थे।

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