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जमशेदपुर: शिवरात्रि के महत्व और आध्यात्मिक रहस्य को यथार्थ रीति से समझकर मनाना -भगवान भाई

जमशेदपुर (झारखण्ड):

शिवरात्रि वर्तमान कलयुग के अंत और सतयुग के प्रारंभ के संगम का नाम है। जब स्वयं निराकार परमात्मा शिव साकार मानव तन, प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित होकर मनुष्य आत्माओं से विकारों और बुराइयों का, ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर त्याग कराते हैं। अतः शिवरात्रि पर विकारों और बुराइयों से व्रत रखें। रात्रि जागरण का आध्यात्मिक रहस्य है कि परमात्मा शिव के वर्तमान समय के अवतरण के काल में हम अपनी आत्मा की ज्योति को जगाएं। अतः शिवरात्रि के महत्व और आध्यात्मिक रहस्य को यथार्थ रीति से समझकर मानने से ही सभी मनुष्य आत्माओं का, संसार का कल्याण हो सकता है।

•        स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र,  कादमा जमशेदपुर  (झारखण्ड) द्वारा आयोजित

•        द्वादश ज्योतिर्लिग मेले में कदमा राजयोग सेवाकेंद्र मे एकत्रित ईश्वर पेमी भाई बहनों को शिवरात्री का आध्यत्मिक रहस्य विषय पर बोल रहे थे 

उन्होंने सभी को शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा, शिवरात्रि के दिन भक्तगण शिवलिंग पर धतूरा, बेर, बेलपत्र इत्यादि चढ़ाते हैं। शिवरात्रि पर हम जागरण करते हैं एवं अन्न का व्रत रखते हैं परंतु वास्तव में परमात्मा शिव पर यथार्थ रूप में क्या चढ़ाना चाहिए और किस प्रकार से व्रत का पालन करना चाहिए? इसके आध्यात्मिक रहस्य को समझने की आवश्यकता है तभी स्वयं का और संपूर्ण विश्व का कल्याण संभव है। धतूरा विषय विकार, बेर नफरत-घृणा का प्रतीक है। अतः हमें शिव पर विकारों, विषय–वासना एवं बुरी आदतों को चढ़ाना चाहिए अर्थात त्याग करना चाहिए।

भगवान भाई जी ने कि इस परिवर्तन की अंतिम बेला में देवों के देव महादेव; स्वयं परमपिता शिव परमात्मा अज्ञान निद्रा में सोए हुए मनुष्यों को ज्ञान और योगबल द्वारा मनुष्यों के दृष्टिकोण और सोच विचार को महान बनाने का दिव्य कर्त्तव्य करते हैं। जिससे उनके जीवन में परिवर्तन आता है और वह दैहिक संबंधों को भूलकर आत्मिक संबंधों को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान तमोप्रधान धर्म ग्लानी के समय में निराकार परमपिता परमात्मा शिव का इस धरा पर अवतरण हो चुका है। परमात्मा शिव अनेक आध्यात्मिक रहस्य का उद्घाटन करके सत्य धर्म की स्थापना का दिव्य कर्म कर रहे हैं। महाशिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को समझकर अपने तमोगुणी स्वभाव और संस्कारों का त्याग करके स्वयं के जीवन में तथा इस सृष्टि में सत्यम, शिवम, सुंदरम के मंगलमय तत्व का संचार करें।

कदमा जमशेदपुर के विधायक सरजू राय जी ने कहा कि  आत्माओं ने परमात्मा को और परमात्मा ने इन आत्माओं को अपनाया है। अब इनकी जिम्मेवारी स्वयं परमात्मा की है। केवल परमात्मा का परिचय जानना ही नहीं उनके प्रति अर्पित होना ही परमात्मा के कार्य में सहयोगी बनना है।

स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र कि संचालिका बी के संजू बहन जी ने कहा कि शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य बतलाया कि कलयुग के अंतिम चरण में जब मनुष्य धर्म भ्रष्ट और कर्म भ्रष्ट होकर तुच्क्ष बुद्धि बन जाता है, तब परमात्मा शिव संसार के कल्याण हेतु सभी मनुष्यों को दुख-दर्द, अशांति एवं विकारों के चंगुल से छुड़ाकर, ज्ञान की ज्योति और पवित्रता की किरणें बिखेर कर सुख-शांति, आनंद संपन्न मनुष्य में दिव्यता की पुनः स्थापना करते हैं। परमात्मा के अवतरण की दिव्य घटना परकाया प्रवेश द्वारा ऐसे समय पर घटती है। परमात्मा शिव के “दिव्य और अलौकिक जन्म” की पुनीत स्मृति में ही शिवरात्रि अर्थात् शिव जयंती का त्यौहार मनाया जाता है।

सीनियर राजयोगी बी के गोपाल भाई जी ने कहा कि भारत के कोने कोने में “शिव” के अनेकों मंदिर हैं, जिनमें शिव का प्रतीक शिवलिंग के रूप में स्थापित है। शिव को “स्वयंभू” भी कहा जाता है जिसका अभिप्राय है कि, वे स्वयं प्रकट होकर अपना यथार्थ परिचय देते हैं, इसलिए उनका अवतरण होता है, जन्म नहीं। निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा का गुण और कर्तव्य वाचक नाम “शिव” है, वह परम चैतन्य शक्ति हैं और उन्हें सत् चित् आनंद स्वरूप कहते हैं। वे सदा शाश्वत हैं जो जीवन-मरण के चक्र से परे हैं और सभी गुणों के सागर हैं।

समाज सेवक अशोक मोदी जी ने कहा कि मेडिटेशन को हमें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने अपने अनुभव की बात करते हुए बताया कि, हमारे प्रशासनिक जीवन में भी हमें मेडिटेशन से काफी मदद मिलती है और मन शांत रहता है। मेडिटेशन अर्थात ध्यान (राजयोग) से आत्मबल बढ़ता है, जिससे विषम और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में निर्णय को सहजता से लेने में मदद मिलती है। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित भाई-बहनों द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान से प्रेरित होकर बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लिया गया।

टाटा स्टील जुसको यूनियन अध्यक्ष रघुनाथ पांडे जी ने कहा कि आजीवन मानवता की सेवा का प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, शिव जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया

एडवोकेट रंजना मिश्रा  ने कहा कि मन के अवगुणों का त्याग करना ही सच्ची शिवरात्रि है।

उद्योगपति केशव तिवारी जी ने कहा कि जब संसार में पापाचार बढ़ता है, तब परमात्मा शिव का अवतरण होता है और वे धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। उन्होंने शिव और शंकर में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि परमात्मा शिव निराकार ज्योति स्वरूप हैं, जबकि शंकर सूक्ष्म देवधारी हैं।

कार्यक्रम में आंध्रा प्रदेश महिला भजन मण्डली कि महिलाओं का सन्मान किया गया | मिथिला समूह कि महिलाओ का भी सन्मान किया | कार्यक्रम में बी के संजू बहन , बी के प्रीति बहन जी बी के अल्का बहन जी , बी के शिवानी बहन जी बी के गंगा बहन जी भी उपस्थित थी |

कार्यक्रम के अंत में द्वादश ज्योतिर्लिंग कि आरती भी कराई |

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