राइट-रॉन्ग को समझना और समाना इसमें फर्क है। रॉन्ग बात को समझके दिल में समाया तो रॉन्ग अन्दर आ गया, तो दिल दु:ख फील करेगा, उदासी, परेशानी होगी, मन अशान्त होगा इसलिए बाबा ने कहा समाओ नहीं, समझो भले। नॉलेजफुल के हिसाब से रॉन्ग-राइट को समझो भले लेकिन दिल में नहीं समाओ। दिल में समाने से उस व्यक्ति के साथ उसी दृष्टि से हम देखेंगे, बोलेंगे और चलेेंगे। दिल में जिसे समायेंगे वही बात याद आती रहेगी। मन में अच्छी बात को ही समाना है। मन में कीचड़ा समाया रहेगा तो बाबा नहीं याद आयेगा। बाबा की याद से ही सर्व प्राप्तियाँ होंगी और सर्व खज़ानों से प्राप्ति वालों को ही खुशी होगी। तो समझदारी से हर आत्मा के प्रति शुभभावना, शुभकामना रख एक-दो के स्नेही बनो तो सुखी रहेंगे, सन्तुष्ट रहेंगे।
हम ब्राह्मण बने ही हैं बेफिकर बादशाह बनने के लिए। इतने बड़े संगठन में जो भी बातें होती हैं वो दिल में न रखें, कभी उसका चिंतन नहीं करना है, गिरी हुई आत्मा के प्रति घृणा रखते हैं तो जैसे हमने गिरे हुए तो लात मारी। ऐसे को शुभभावना, शुभकामना…. सहारा देना यह पुण्य का काम है। तो बाबा हमसे क्या चाहता है, वो हरेक को सोचना चाहिए, जो बाबा चाहता है उसी प्रमाण मेरी जीवन है? अभी क्रतीव्रञ्ज पुरूषार्थ चाहिए वो भी क्रसदाञ्ज चाहिए। इसके लिए हर कर्म करते हुए अपनी बीच-बीच में चेकिंग करेंगे तभी चेंज होंगे क्योंकि हमें सिर्फ कर्म नहीं करना है, कर्म और योग का बैलेंस रखके कर्मयोगी सो कर्मातीत बनना है। बाबा क्या चाहता है? हरेक राजा बच्चा बने। स्व के ऊपर राज्य है तो वो स्वराज्य अधिकारी बच्चे हुए। आत्मा मालिक है, अपनी अवस्था में अच्छा है, अधिकारी है राज्य करने के तो सब ऑर्डर में चलेंगे, कभी कोई रिपोर्ट नहीं निकलेगी। अगर साथी सन्तुष्ट नहीं है तो असन्तुष्टता की बातें सुनके किसी के भी व्यर्थ संकल्प चलेंगे। योगयुक्त अवस्था नहीं हो सकती। योगयुक्त अवस्था माना डबल लाइट। आत्मा तो है ही लाइट, तो उसी स्थिति में स्थित होंगे। कोई फिर नहीं, बेफिकर बादशाह। तो बाबा से प्यार है, बहनों से प्यार, दादियों से प्यार, आपस में प्यार….इसी प्यार ने तो आकर्षण किया है। प्यार ऐसी चीज़ है जो छोटी-सी चीज़ भी सन्तुष्ट कर देती है। बाबा से प्यार है माना जो उनकी विशेषता है उस पर न्यौछावर। बाबा से प्यार है तो उसका रिटर्न है जो बाबा ने कहा वो मैंने किया, बस।
हर मुरली में रोज़ हम सबको श्रीमत मिलती है-क्या करो, क्या नहीं करो। याद करो तो कैसे करो, धारण क्या करो। बाबा एक ही मुरली में चारों सब्जेक्ट पर प्रकाश डालते हैं। अभी हमारे से बुरा काम तो नहीं होगा लेकिन रात्रि को जब सोने जाते हो तो उस समय सारे दिन का समाचार अच्छा या साधारण जो भी हुआ, उसे बाबा को सुनाकर खाली होकर सो जाओ तो नींद बहुत अच्छी आयेगी। फिर दूसरे दिन नया दिन, नई बातें। जो कुछ है वो सब बाबा को सुना दो। इससे खाली भी हो जायेंगे, बाबा से दृष्टि भी मिलेगी और दिल से मेरा बाबा कहेंगे तो बाबा इमर्ज हो जायेगा। अपने को अकेले नहीं समझो। खुदा दोस्त समझ उससे बातें करो। जहाँ भी हैं वहाँ बाबा को दिल से याद करो तो बाबा हमारा सुनेगा और बाबा हमको रेस्पॉन्ड देगा और मदद भी करेगा।
योगयुक्त अवस्था माना डबल लाइट
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