मुख पृष्ठराज्यमध्य प्रदेश।बेगमगंज: ब्रह्माकुमारीज़ में होली स्नेह मिलन का आयोजन

बेगमगंज: ब्रह्माकुमारीज़ में होली स्नेह मिलन का आयोजन

होली अर्थात घृणा, नफरत की भावना को बाहर कर प्रेम स्नेह की भावनाओं को भीतर भरना : बीके डॉ. रीना दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ बेगमगंज में होली स्नेह मिलन समारोह मनाया गया ।फूलों से खेली होली, बुराइयों को त्यागने का दिया संदेश

बेगमगंज,मध्य प्रदेश। ब्रह्माकुमारीज़ बेगमगंज में होली का पावन पर्व मनाया गया। फूलों की होली खेलकर होली की खुशियां मनाई।

भोपाल से पधारीं राजयोगिनी बीके डॉ. रीना दीदी ने होली के महत्व को समझाया। दीदी ने कहा कि अपने जीवन को होली अर्थात पवित्र बनाकर आध्यात्मिक रूप से होली खेलने में ही इस पर्व की सार्थकता है। आज हमें प्यार और सम्मान का रंग एक दूजे को लगाना है। उसके लिए हमें अपनी अंदर की बुराई, व्यसन व अवगुण रूपी होलिका को ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग मेडिटेशन की अग्नि में जलाकर भस्म करना है।

होलिका दहन हमें यह याद दिलाता है कि पापी अपने ही किए पाप के ताप से जल मरता है; अतः हमे कोई पाप नहीं करना चाहिए। उसके लिए हमें प्रह्लाद की तरह मन, बुद्धि और हृदय से भगवान का हो जाना चाहिए अर्थात ईश्वरीय ज्ञान, गुण, शक्ति और मर्यादाओं को जीवन में धारण कर जीना शुरू करना है। मैं आत्मा अब ईश्वर अर्पण हो गई, अब जो भी कर्म करना है, वह ईश्वर की मत पर ही करना है, तीसरा होली अर्थात पवित्र। होली उत्सव में पहले होलिका दहन और फिर रंगों का उत्सव मनाया जाता है। यह हमें अपनी कमजोरियों और बुराइयों को परमात्म याद रूपी अग्नि से जलाने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि जब कमजोरियां समाप्त होंगी, तब सद्गुणों और दिव्य गुणों से आत्मा भरपूर होगी। परमात्मा शिव के रंग में रंगना ही श्रेष्ठ होली मनाना है, होली अर्थात घृणा, नफरत की भावना को बाहर कर प्रेम, स्नेह की भावनाओं को भीतर भरना सच्ची होली मानना है। होली अर्थात् परमात्म ज्ञान, गुण, शक्ति और मर्यादाओं को मन, बुद्धि और हृदय से स्वीकार कर जीवन को उत्सव की तरह जीना होली का महान पर्व हमें सिखाता है।

आध्यात्मिक ज्ञान के रंग से अंतरात्मा को रंगना ही वास्तविक होली मनाना है। माया का रंग तो हर एक मनुष्य पर चढ़ा हुआ है। अब ईश्वरीय संग के रंग में आत्मा को रंगना ही आध्यात्मिक होली है। परमात्मा के संग व ज्ञान का रंग खुशियां देने वाला रंग है।

होली का पावन पर्व, हमारे जीवन में नई उमंग, उत्साह, हर्ष, उल्लास और खुशी के रंग बिखेरता है। हम बाहरी तौर पर स्थूल रंगों से होली खेलते, मनाते व जलाते हैं, वे सब हमारे भीतर की भावनाओं को प्रकाशित करते हैं। होली का उत्सव हमें आपसी भेदभाव, मन मुटाव, अहंकार व तमाम सामाजिक बंधनों को तोड़कर अपनी अंदर की भावना, उमंग, उल्लास को प्रकट करने का अवसर देता है।

अबीर व गुलाल लगाकर एक या दो दिन का आपसी स्नेह मिलन तो हो सकता है, पर सच्चा मंगल मिलन तो तभी होगा, जब हृदय शुद्ध हो और एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, गुस्सा आदि समाप्त हों।

बीके रिचा दीदी ने बहुत ही सुंदर होली के गीत पर उपस्थित सभी भाई बहनों को नृत्य करा कर परमात्मा रंग में रंगने के लिए खुशियों से भर दिया।

कार्यक्रम में बीके डॉ.पी एस ठाकुर, बीके सुरेश भाई, बीके प्रीतम भाई, बीके विनोद भाई, बीके वृंदावन भाई, बीके बीएल शर्मा, बीके राहुल, बीके राम, बीके रिचा दीदी, बीके मेघा दीदी, बीके कमला बहन, बीके विनीता बहन, बीके आशा बहन, बीके आरती बहन, बीके अनीता बहन साथ साथ नगर के कई सम्माननीय भाई बहने कार्यक्रम में उपस्थित थे।

होली मिलन समारोह में उपस्थित सभी भाई-बहनों ने फूलों की होली खेली। सभी ने एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के समापन पर सभी को प्रसाद (भोग)वितरित किया गया।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments