– सदा ही विनम्रता की प्रतिमूर्ति रहे शिवानंद महाराज
– 128 वर्ष में भी युवाओं-सा उत्साह रहा कायम
भोरा कलां- गुरुग्राम,हरियाणा:
व्यक्ति अपने श्रेष्ठ आचरण और व्यवहारिक जीवन से समाज में एक अमित छाप छोड़ देता है। एक ऐसा ही प्रभावशाली व्यक्तित्व रहा है पद्मश्री शिवानंद महाराज जी का। पद्मश्री शिवानंद महाराज जी का ब्रह्माकुमारीज़ से गहरा सम्बन्ध रहा। 128 वर्ष की आयु में देह त्याग करने वाले शिवानंद महाराज जी 2 वर्ष पूर्व संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू भी जा चुके हैं। पिछले मास 10 अप्रैल को उनका आगमन गुरुग्राम के भोराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ। जहाँ उन्होंने अपने आध्यात्मिक जीवन की गहराइयों का अनुभव किया। उन्होंने अपने अनुभव में बताया कि उन्हें हर तरफ अपनापन नज़र आया। उन्होंने कहा कि यहाँ की पवित्रता उन्हें आकर्षित करती है। उन्हें लगता था कि ये उनका अपना ही घर है। ओआरसी से राजयोग शिक्षिका बीके येशु ने बताया कि उनका जीवन बहुत ही सरल एवं निर्मान था। आयु में सबसे बड़े होने के बावजूद भी वो सभी को बहुत सम्मान देते रहे। वो सदैव ही विनम्रता की प्रतिमूर्ति रहे। बीके यीशु ने कहा कि इतनी आयु तक भी वो हमेशा पढ़ते रहे। उन्हें आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था। शालीनता एवं विनम्रता के कारण उनका जीवन सदैव प्रेरणा देता रहेगा।











