उसलापुर, छत्तीसगढ़ : पृथ्वी हमारी माता है ।बिना पृथ्वी के संपूर्ण सृष्टि पर जीवन संभव नहीं है। पानी, वायु ऑक्सीजन ,भोजन यह पृथ्वी पर ही उपलब्ध है लेकिन मानव अपनी अनैतिकता के कारण पृथ्वी अपनी ही संरचना को नष्ट कर रही है ।पर्यावरण व आध्यात्म का गहरा संबंध है। हमारे जीवन शैली पर्यावरण शैली मित्र के रूप में रही है जिसके कारण भारत प्राचीन होते हुए भी टिका हुआ है ।वर्तमान समय आज पाश्चात्य जीवन शैली के कारण आध्यात्म से दूर चले गए हैं अब जागने का समय है। हमें अपनी मन से सबके प्रति शुभ भावना शुभ विचार की तरंगे फैला कर वातावरण को श्रेष्ठ बनाना है। मन में किसी के प्रति भी नकारात्मक विचार करके किसी के मन को कलुषित नहीं करना है। यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने उसलापुर में स्थित ब्रह्मकुमारी ओम शांति भवन के सभागार में 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर नागरिकों को संबोधित करते हुए बताया ।इस अवसर पर सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी छाया बहन ने बताया की पर्यावरण को बचाने के लिए हमें प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करना है, पानी की बचत व बिजली की बचत करनी है। ज्यादा से ज्यादा हमें पेड़ पौधे लगाना है। सभी को संकल्प दिलाया कि अपने जीवन में एक पेड़ अपनी मां के नाम पर अवश्य लगे जो कई वर्षों तक हमें ऑक्सीजन व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करता रहता है ।कार्यक्रम के अंत में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक लघु नाटिका बच्चों ने प्रस्तुत की और अंत में सभी ने हाथ खड़ा करके प्रतिज्ञा की पर्यावरण संरक्षण के लिए हम प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेंगे ।पृथ्वी माता की रक्षा करेंगे, पेड़ पौधे लगाएंगे।





