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भोपाल: “सुख-शांति भवन में पूर्व सैनिकों के लिए “मेंटल हेल्थ एंड वेलबीइंग” विषय पर विशेष सेमिनार संपन्न”

“50% लकवे का कारण क्रोध है”

“शांति से बड़ी कोई औषधि नहीं, एवं चिंता से बड़ा कोई रोग नहीं”

“चार वाक्य जो जीवन में चमत्कार कर सकते हैं”

” ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद  देशवासियों द्वारा मिले समर्थन ने सैनिकों के मनोबल को बहुत बढ़ाया है- लेफ्टिनेंट जनरल प्रीतपाल सिंह जी”

“जल, थल एवं वायु सेवा के सेवानिवृत्ति सैनिकों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन”

“आध्यात्मिकता,मानवीय मूल्यों एवं दिव्यता में आज भी भारत विश्व गुरु है-  लेफ्टिनेंट जनरल प्रितपाल सिंह”

भोपाल, मध्य प्रदेश। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की इस वर्ष की अंब्रेला थीम ” विश्व एकता और विश्वास के लिए राजयोग” के अंतर्गत  सुख-शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर, नीलबड़ में सेवानिवृत्ति सैनिकों के लिए *“मेंटल हेल्थ एंड वेलबीइंग” विषय पर पूर्व सैनिकों(ECHS) हेतु एक दिवसीय विशेष सेमिनार का आयोजन रविवार को प्रातः 10:30 से दोपहर 12:30 बजे तक संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं स्वागत नृत्य के माध्यम से की गई।

कार्यक्रम में *मुख्य अतिथि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल प्रितपाल सिंह जी (जीओसी 21 कोर), तथा कर्नल जितेंद्र जी (प्रभारी अधिकारी ईसीएचएस भोपाल),  कर्नल बी. आर.दास जी(रीजनल सेंटर जबलपुर के डायरेक्टर), कर्नल राजीव खत्री जी (प्रभारी अधिकारी जिला सैनिक कल्याण बोर्ड) की गरिमामयी उपस्थिति रही।

इस अवसर पर पॉलीक्लिनिक भोपाल के प्रभारी अधिकारी कर्नल जितेंद्र जी ने  ई.सी.एच.एस एवं ब्रह्माकुमारी संस्थान के बीच पूर्व में किए गए एम ओ यू की सराहना करते हुए कहा कि पूर्व सैनिकों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए यह इस दिशा में बहुत अच्छा कदम है जिसका पूरा लाभ सेवानिवृत्ति सैनिकों को मिलेगा । उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “पहले संयुक्त परिवार होते थे, जिससे भावनात्मक सहयोग मिलता था, परंतु आज भौतिकता की होड़ में न्यूक्लियर फैमिली के कारण अकेलापन और अवसाद बढ़ रहा है। साथ ही 35 से 50 वर्ष की आयु में होने वाले अर्ली रिटायरमेंट के कारण कई सैनिक सामाजिक रूप से सहजता से समायोजित नहीं हो पाते हैं।”

डायरेक्टर कर्नल बी. दास जी* ने कहा, “पूर्व सैनिकों को जो स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ आती हैं, उनका एक बड़ा कारण तनाव है। दवाई वास्तव में एक ऐसा ज़हर है जो शरीर के भीतर के रोग रूपी ज़हर को मारती है परंतु इसके अपने साइड इफेक्ट्स है। एवं यदि हम मानसिक शांति को प्राथमिकता दें तो दवा की आवश्यकता ही कम हो सकती है।”

मेंटल हेल्थ पर मुख्य वक्ता डॉक्टर प्रियंका नेगी(इंदिरा गांधी अस्पताल) ने वर्तमान स्थिति बताते हुए कहा कि आज मानसिक तनाव एवं चिंताएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं, उन्होंने उदाहरण दिया कि लगभग 50% लकवा के शिकार मरीजों के अटैक का कारण क्रोध होता है। उन्होंने आगे बताया कि शांति से बड़ी कोई औषधि नहीं एवं चिंता से बड़ा कोई रोग नहीं है। 

उन्होंने चार ऐसे *चमत्कारिक वाक्य* बताएं जो जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, “होपोनोपोनो” तकनीक साझा करते हुए  उन्होंने बताया इन चार वाक्य को आप रोज दोहराएं :I am sorry. Forgive me. Thank you.I love you 

यह वाक्य प्रतिदिन  ज्यादा से ज्यादा  स्वयं से भी बोले, साथ ही साथ दूसरों के प्रति भी मन में दोहराएं।इससे चमत्कारिक रूप से प्रभाव देखने मिले हैं।

कार्यक्रम में एवं सहज राजयोग ध्यान की विधि पर प्रकाश डालते हुए बी के डॉक्टर देवयानी ने बताया कि शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना अति आवश्यक है। जिस प्रकार शरीर को पांच तत्वों की आवश्यकता है, ठीक उसी प्रकार आत्मा को भी शांति, प्रेम, सुख,आनंद एवं शक्ति की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने सहज राजयोग ध्यान के माध्यम से  परमात्मा, जो सभी गुणों और शक्तियों के स्रोत हैं एवं हम सभी आत्माओं के परमपिता है, उनपर मन को  केंद्रित कर अपने अंदर उपरोक्त सभी गुणों का एवं शक्तियों का अनुभव कराया। सभी मंचासीन अतिथियों का शब्दों द्वारा आर्किटेक्ट दुर्गा बहन द्वारा किया गया।

लेफ्टिनेंट जनरल प्रितपाल सिंह जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैंने लगभग 40 देशों की यात्रा की है, परंतु भारत में जो दिव्यता, आध्यात्मिकता और मानवीय गुण हैं, वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। यहाँ के लोग ही वास्तव में विश्व के सर्वोत्तम हैं। आपने आगे कहा कि

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पश्चात सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से देशवासियों द्वारा जो सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली उससे सैनिकों के मनोबल में बहुत वृद्धि हुई है जो की सराहनीय है।”

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज़ सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर की निदेशिका *वरिष्ठ राजयोगिनी आदरणीय नीता दीदी जी* ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा कि “पूर्व सैनिकों का इतिहास त्याग, सेवा और बलिदान से भरा हुआ है। आज मनुष्य संसार से तो जुड़ गया है, पर स्वयं से और परमात्मा से दूर हो गया है। राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से न केवल मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है, बल्कि कई बीमारियाँ और दवाइयाँ भी पीछे छूट सकती हैं। जिस प्रकार हर आर्मी एरिया में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे एवं चर्च होते हैं, उसी प्रकार वहां मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिटेशन सेंटर भी अवश्य होना चाहिए।”

समारोह के समापन पर बीके हेमा बहन ने सभी विशिष्ट अतिथियों एवं उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया। ब्रह्माकुमारी आराधना बहन* द्वारा सभी प्रतिभागियों से नशा मुक्ति की सामूहिक प्रतिज्ञाएं कराई गईं, जिससे उपस्थित जनसमूह गहराई से प्रभावित हुआ।

यह आयोजन न केवल मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक प्रेरक पहल सिद्ध हुआ, बल्कि राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से आत्मिक शांति एवं सामूहिक कल्याण का भी संदेश लेकर आया। कार्यक्रम में जल,थल एवं वायु सेवा के अनेक सेवानिवृत अधिकारियों एवं जवानों ने परिवार सहित बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया ।

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