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माउण्ट आबू : ब्रह्माकुमारीज् जहाजरानी एवं परिवहन प्रभाग द्वारा `नये क्षितिज की ओर…विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया

माउण्ट आबू, राजस्थान। उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रभाग की अध्यक्षा ब्र.कु. मीरा बहन ने कहा कि जितनी बाहरी यात्रा मूल्यवान है उतनी ही आंतरिक यात्रा भी मूल्यवान है। लक्ष्य की ओर तीव्रता से बढ़ते हुए हम आसपास के मनभावन नजारों को नजरअंदाज नहीं करें। संसार एक किताब है और हम यात्रा द्वारा ही इसके हर पन्ने को देख सकते हैं। हमारे जीवन में सद्भावना व समरसता होगी तो यात्रा भी सुखद होगी।

ब्रह्माकुमारीज के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष ब्र.कु.करूणा भाई ने कहा कि 1960 में जब मैं पहली बार यहां माउण्टआबू में ब्रह्माकुमारीज के सम्पर्क में आया तो मुझे पहला पाठ पढाया गया था कि आप कौन हैं? मैंने स्वयं का सत्य परिचय जाना कि मैं इस देह में विराजमान चैतन्य शक्ति आत्मा हूँ। मैं आत्मा यात्रा पर हूँ शरीर नहीं। मैं आत्मा भिन्न भिन्न देह रूपी वस्त्र धारण कर यात्रा कर रही हूँ। महान आत्मा या पुण्य आत्मा कहा जाता है महान शरीर नहीं। आज अच्छे व बुरे कर्मों का ज्ञान होते हुए भी अच्छे कर्म करने की शक्ति आत्मा में नहीं है। परमात्मा शिव की याद से ही शक्ति मिलेगी। संस्था की यही मान्यता व लक्ष्य है कि नर ही नारायण था नारी ही लक्ष्मी थी। अब परमात्मा शिव वह सुख शांति की सतयुगी दुनिया फिर से स्थापन कर रहे हैं। इस यात्रा में हमें कर्म के विधान को सम्मुख रखना चाहिए कि हम स्वयं को तो सुखी रखें लेकिन साथ ही दूसरे को भी सुख मिले, ऐसा कर्म करें।

ब्रह्माकुमारी संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका ब्र.कु.सुदेश दीदी ने कहा कि परमपिता परमात्मा द्वारा प्राप्त हुई दिव्य बुद्धि, दिव्य ज्ञान द्वारा हम आनंदित होते हैं। आत्मा लाईट है तो लाईफ है, अगर आत्मा प्रकाश देह से निकल जाता तो यात्रा समाप्त हो जाती है। यात्रा शरीर की पूरी होती है आत्मा की नहीं। शरीर पांच तत्वों का बना है परिवर्तनशील है लेकिन आत्मा अविनाशी, सनातन है। अंतर्यात्रा से ही सूक्ष्म अनुभव प्राप्त होता है। सूक्ष्म आत्मा को भी इन स्थूल नेत्रों से नहीं देखा जा सकता लेकिन उसे अंतर्चक्षु से अनुभव किया जाता है। अंतर्जगत को जानकर ही बा¿ाजगत के सही स्वरूप को जाना जा सकता है। परमात्मा द्वारा जो श्रेष्ठ श्रीमत मिल रही है उसके आधार से दिव्य गुण सम्पन्न कर्म करने से भाग्य जाग्रत हो जाता है।
विशाखापट्नम से पधारे केन्द्रीय सरकार में उप निदेशक नरेश कुमार ने कहा कि यहां आकर मुझे पता चला कि मैं कौन हूँ। अभी तक मैं इस देह के नाम से ही खुद को पहचानता था, लेकिन यहां आकर मुझे मेरे सत्य स्वरूप का ज्ञान हुआ है। सच्ची आध्यात्मिक यात्रा का मुझे यहां अनुभव हो रहा है। मुझे आरंभ से यह जिज्ञासा रहती थी कि यह जो संसार है इससे परे क्या है जिसे प्राप्त करना चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि ब्रह्माकुमारीज में आकर मैं सर्व आंतरिक प्राप्तियां कर पाऊंगा। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं आध्यात्मिक यात्रा में इस परिवार से जुड़ गया हूँ।
के.बी.इन्टरप्राइजेस के निदेशक राकेश काडु ने कहा कि यहां आकर बहुत अलग अलौकिक अनुभूति हो रही है। ब्रह्माकुमारीज की सेवाएं सागर ही तरह विशाल हैं।
जहाजरानी मंत्रालय में वरिष्ठ प्रबंधक आशीष चावला भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका ब्र.कु.कमलेश ने सभी का स्वागत किया। ब्र.कु.प्रशान्ति ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।

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