बलदेव दाऊजी, उत्तर प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के “प्रभु प्रिय धाम” में जगदंबा सरस्वती जी (मम्मा) का 60वाँ पुण्य स्मृति दिवस बहुत श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया।
सादाबाद से पधारी ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी आदरणीय भावना दीदी जी ने बताया कि संस्था की पहली मुख्य प्रशासिका मां जगदंबा सरस्वती जी ने 17 वर्ष की आयु में ही अपना संपूर्ण जीवन ईश्वरीय सेवा में पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया था।लौकिक नाम मां का “ओमराधे” था। छोटी सी आयु में ही ओम राधे सबकी मम्मा बन गई। ममता, करुणा, दिव्यगुण,आज्ञाकारी, यज्ञ के प्रति वफादार,थी मम्मा। मां सच्चाई की मूर्त थी।मम्मा एक बार की हुई गलती कभी दोबारा नहीं दोहराती थी।
स्थानीय प्रभारी आदरणीय राजयोगिनी बी.के.सीमा दीदी जी ने मम्मा की गुणों और विशेषताओं को वर्णित करते हुए कहा कि मम्मा कभी किसी के अंदर कमी कमजोरियों को नहीं देखती हमेशा हर एक मनुष्यात्मा में गुणों को ही देखती थी।उनका जीवन दिव्यता से भरपुर था वो इस आधुनिक समय की चैतन्य देवी थी।उनके सामने चाहे कितना भी नकारात्मक भाव से आने वाला भी मम्मा को सामने आते ही नतमस्तक हो जाता और एक अलौकिक सुख की अनुभूति करता,उसका जीवन ही बदल जाता ।
ब्रह्माकुमार सुमित भाई ने भी मम्मा के विशेषताओं के बारे में विस्तार से सभी को अवगत कराया और अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बलदेव,थाना प्रभारी श्रीमती रंजना सचार जी (S.O.) साहिबा ने संस्था की महिमा करते हुए सभा में उपस्थित सभी प्रभु प्रेमियों को कहा कि यहां जो आपको सिखाया जा रहा है उसे अपने तन मन धन से जीवन में धारण करें। यहां सिखाए जा रहे योगाभ्यास द्वारा आप अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।श्रेष्ठ और कल्याणकारी बना सकते हैं,जिससे आज घर – घर में हो रहे आपसी झगड़े समाप्त हो सकें। और कहा कि जब भी मुझे समय मिलेगा तो में आती रहूंगी,और जब भी किसी को भी मेरी किसी भी प्रकार की मदद चाहिए तो मुझे अवश्य याद करें।अंत में जगदंबा सरस्वती जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
साथी रेनू बहन ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथिगणों का चंदन, पीतवस्त्र पहनाकर स्वागत किया।मम्मा के लिए एक सुंदर गीत सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया”ममता की थी वो मूरत जगदंबा उसका नाम सबको ही प्यार बांटना उसका था काम” बताया कि मम्मा का चेहरा हमेशा मुस्कुराता हुआ रहता था,मम्मा की आवाज सागर की गहराई और आकाश की ऊंचाई की तरह थी।सबके प्रति समान दृष्टि रखती थी।विश्व की सर्व आत्माओं के प्रति ममता, करुणा, प्रेम से भरपूर धैर्यता की देवी थी।
इस आध्यात्मिक दिवस के मौके पर मोहिनी बहन और रेखा बहन ने मम्मा के लिए सुंदर कविता सुनाई और विशेषताओं का वर्णन किया।
इस मौके पर सभी ने भाव पूर्ण श्रद्धांजलि दी और सभी ने ब्रह्मभोजन स्वीकार किया।
इस मौके पर उपस्थित बी के रेखा,कुसुम, कृष्णा,रजनी,गुड्डी,राजवती,निर्मल,मोहिनी,बेबी,मीरा,बंटी, पुष्पा,ओमवती,केसर,कन्हैया, तेजवीर,जगदीश,संजय गर्ग, शिवा,प्रिंस,आदि उपस्थित रहे।







