माउण्ट आबू,राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज् व्याधार एवं उद्योग द्वारा ‘राजयोग द्वारा व्यापार एवं उद्योग में आंतरिक शक्ति एवं बाह्य सफलता – विषय परराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भारत अर्थ मुवर्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक शान्तनु रॉय ने कहा कि वर्तमान समय हर उम्र के लोगों में तनाव बहुत गंभीर चिन्ता का विषय बन गया है। सोशल मीडिया इन्टरनेट भी आज मानसिक तनाव का कारण बन गये हैं। वो समय भी था जब घर में टीवी भी नहीं था तो खेलकूद में हम अपना समय सफल करते थे। आज बच्चे मोबाइल लेपटाप से खेल रहे हैं। आज केवल कुछ पाने की होड़ एवं स्पर्धा का वातावरण बन गया है। आध्यात्मिकता हमें यह ज्ञान देती है कि मैं आत्मा शांत स्वरूप, सुख व आनंद स्वरूप हूँ। राजयोग हमें सिखाता है कि हम आत्मिक स्थिति में कैसे रहें। शरीर को तो हम भोजन आदि से ताकत देते हैं लेकिन यह विचार करना चाहिए कि आत्मा को कैसे शक्ति मिले। राजयोग माना परभात्मा से मैं आत्मा बुद्धि द्वारा कनेक्ट होकर सशक्त बनूं। आंतरिक शक्ति को बढ़ाने का एकमात्र साधन है परमात्मा की याद सफलता पाने के मापदण्ड सबके लिए अलग अलग हैं। यह हमें स्वयं तथ करना है कि मुझे जीवन में क्या प्राप्त करना है।

ब्रह्माकुमारी संस्था की संयुक्त मुख्य प्रशासिका ब्र.कु. सुदेश दीदी ने कहा कि आज गुरू पूर्णिमा के दिन आप सच्चे सतगुरू शिव के घर ज्ञान रत्नों से स्वयं को भरपूर करने के लिए आए हैं। स्वयं की सत्य पहचान व अपने कर्तव्य को जान लेने से सदा विजय है। शांति की शक्ति हम धैर्यता, गंभीरता, सत्यता व सभ्यता के सद्गुण जाग्रत करता है। बिजी रहते ईजी माना सहज रहना, यह आध्यात्मिकता हमें सिखाती है।

व्यापार एवं उद्योग प्रभाग के राष्ट्रीय संयोजक ब्र.कु. हरीश ने कहा कि यह आध्यात्मिक ज्ञान किसी भी कार्यक्षेत्र के व्यक्ति को कुशलता व प्रवीणता से संयोजन करने की समझ विकसित करता है। हर परिस्थिति में धीरज रख अचल रहने की शक्ति प्रदान करता है। नियमित राजयोग का अभ्यास हमें परमात्मा से सम्बन्ध जुटाकर उनकी शक्ति से स्वयं को सशक्त बनाने का आधार है।

प्रभाग की मुख्यालय संयोजक ब्र.कु. गीता ने कहा कि अपने संस्कारों को श्रेष्ठ बनाने के लिए यह आध्यात्मिक ज्ञान आवश्यक है। आंतरिक व्यक्तित्व के विकास से ही बाह्य व्यक्तित्व निखरता है। आंतरिक विकास से ही परिवार को सुखमय व व्याधार को उन्नत बनाने में सफल हो सकते हैं।
संस्था की मुख्य प्रशासिका ब्र.कु. मोहिनी दीदी ने विडियो कान्फ्रेसिंग द्वारा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि बाह्य परिस्थितियां तो परिवर्तनशील हैं लेकिन हमारी आंतरिक स्थिति सदा एकरस स्थिर रहे। अकल्याण में भी कल्याण देखना ही अध्यात्म है। परिवर्तन को सदा उन्नति का मार्ग समझना चाहिए। तूफान तोहफा साथ में लाता है, अनुभवी बनाता है। अपनी आंतरिक स्थिति को राजयोग द्वारा सशक्त बनाएं। धन द्वारा कोई पुण्य कार्य अवश्य करें। लोभ न हो लेकिन जो अर्जित कर रहे हैं उससे परभार्थ भी करते रहें।
व्यापार एवं उद्योग प्रभाग के अध्यक्ष ब्र.कु. एमएल शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए उन्हें अपनी शुभभावनाएं दी। ब्र.कु. मोहन भाई पटेल ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। ब्र.कु. अभ्रिता बहन ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया।




