यहां की आध्यात्मिक शिक्षा श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण करता है”- मनजिंदर सिंह सिरसा
“भारत को विश्वगुरु बनाने हेतु मूल्य-आधारित शिक्षा जरुरी है”- बी के शिवानी
“आज 80% बीमारियां मनोदैहिक हैं, सकारात्मक संकल्पों की शक्ति हमें जल्दी हील करती है – डॉक्टर मोहित गुप्ता
दिल्ली -हरिनगर : ब्रह्मा कुमारी संस्था के शिक्षा प्रभाग द्वारा “विश्व एकता और विश्वास हेतु नयी शिक्षा” विषय पर स्थानीय डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित शिक्षकों का एक राष्ट्रीय महासम्मेलन आज यहां सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली NCR तथा देश के विभिन्न प्रांतों से पधारे लगभग 500 शिक्षाविदों ने भाग और लाभ लिया।
दो सत्रों में संचालित कॉन्फ्रेंस को देश के कुछ ऊंच स्तरीय शिक्षाविद, नीति-निर्माता, स्वास्थ विशेषज्ञ एवं आध्यात्मिक नेताओं ने संबोधित किया और आधुनिक शिक्षा प्रणाली में विज्ञान व तकनीक पाठ्यक्रम के साथ मानवीय मूल्यों, नैतिक ज्ञान तथा आध्यात्मिक प्रज्ञा के समावेश हेतु जोर दिया।

इस महा सम्मेलन के मुख्य अतिथि, दिल्ली सरकार के उद्योग मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि
ब्रह्माकुमारीज विश्व की सबसे बड़ी संस्था है जो नारी शक्ति का परिचायक है। यहां की आध्यात्मिक शिक्षा श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण करता है। उन्होंने राजयोग विचार प्रयोगशाला प्रदर्शिनी का अवलोकन किया और इसे अद्भुत कहा।

इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण प्रेरक वक्ता ब्रह्मा कुमारी शिवानी रही। उन्होंने सहज राजयोग शिक्षा को मानव जीवन, चरित्र एवं समाज उत्थान का आधार बताते हुए कहा :
“सृष्टि का आरंभ संकल्पों से होता है,और मानव संसार उसके संस्कारों से निर्मित होता है। बाहरी संसाधनों के उपयोग से पहले, व्यक्ति के आंतरिक सशक्तिकरण आवश्यक है। आध्यात्मिक ज्ञान एवं सहज राजयोग ध्यान के माध्यम से हम अपने जीवन में सुखद, सफल व सकारात्मक बदलाव और पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं तथा प्रकृति के दोहन को भी रोक सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि दृढ़ संकल्प, संपूर्ण आत्मविश्वास, आध्यात्मिक और मूल्य-आधारित शिक्षा के आधार पर ही हम भारत को पुनः विश्वगुरु बना सकते हैं, तथा धरा पर विश्व शांति, एकता और भाईचारे को पुनः स्थापित कर सकते हैं”।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा संस्थान (AICTE) के अध्यक्ष, प्रो. टी. जी. सीताराम ने छात्रों में बढ़ते हुए अवसाद की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “आज हर तीसरा विद्यार्थी अवसादग्रस्त है। केवल तकनीक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं, इसके साथ हमारी आंतरिक प्रज्ञा और आत्मबल को बढ़ाने वाला आध्यात्मिक शिक्षा भी आवश्यक है। ब्रह्मा कुमारी संस्था द्वारा चलाई जा रही ‘स्वयं’ पोर्टल, राजयोग लैब तथा अन्य आंतरिक सशक्तिकरण प्रणाली इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं।”
ब्रह्मा कुमारी संस्था की शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष, राजयोगी बी.के. मृत्युंजय ने शिक्षा में आध्यात्मिकता को समाहित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “नयी शिक्षा, नये संस्कार और नयी सृजन प्रक्रिया का कार्य स्वयं परमात्मा का है, जो वह उनके मानवीय माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा अलौकिक रीति से करा रहे हैं, और इसी से ही भारत विश्वगुरु बनेगा।”
इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य आयोजिका राजयोगिनी बी.के. डॉ. शुक्ला ने आंतरिक सशक्तिकरण हेतु राजयोग साधना को आधार बताया, जबकि गुजरात से पधारीं युवा प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी बी के चन्द्रिका ने सत्र के मुख्य विषय पर अपनी प्रेरक विचार दिए।
राजयोग ध्यान द्वारा डिवाइन हीलिंग का सामूहिक अभ्यास व अनुभव कराते हुए राजयोगिनी बी के आशा ने सभागार में उपस्थित जन समूहों को आंतरिक शांति, शक्ति एवं सुखद स्थिति का एहसास कराया।




