मोहाली, पंजाब: ब्रह्माकुमारीज, सुख शांति भवन, फेज 7, मोहाली द्वारा “मेरा गाँव बने महान” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग के तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी सरला, राष्ट्रीय अध्यक्षा, कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग ने की, जबकि पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड़ीयन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में सुश्री सोनम चौधरी (एडीसी, मोहाली), डॉ. जसवंत सिंह (निदेशक, कृषि विभाग, पंजाब) तथा डॉ. गुरमेल सिंह (मुख्य कृषि अधिकारी, मोहाली) उपस्थित रहे।
इस अवसर पर 45 सरपंचों को सरोपे, दिव्य उपहार और साहित्य देकर सम्मानित किया गया। लगभग 350 सरपंच, पंच और प्रगतिशील किसान कार्यक्रम में शामिल हुए

बी.के. सरला दीदी ने कहा कि पहले के गाँवों में भले ही बिजली और सड़कें न थीं, परंतु वहाँ मूल्य, एकता और सहयोग की रोशनी थी। आज समाज में आत्म-सम्मान की कमी, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति और अन्य बुराइयाँ गाँवों की स्थिति को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी की उर्वरता में गिरावट और रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से अनेक बीमारियाँ जैसे कैंसर और हृदय रोग बढ़ रहे हैं। ऐसे में योगिक सतत खेती (Yogic Sustainable Farming) को अपनाना अत्यंत आवश्यक है, जिसमें आध्यात्मिकता, सकारात्मक सोच और प्राकृतिक पद्धतियों का समावेश है। उन्होंने किसानों और सरपंचों से आग्रह किया कि वे सकारात्मक एवं दिव्य विचारों को अपनाएँ ताकि स्वयं का और समाज का कल्याण हो सके।

मुख्य अतिथि कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड़ीयन ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों और सरपंचों में सतत योगिक खेती की जागरूकता फैलाने हेतु ब्रह्माकुमारीज का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने बताया कि पंजाब देश को 24 प्रतिशत चावल और 49 प्रतिशत गेहूँ प्रदान करता है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि पंजाब के किसानों के हित में और अधिक योजनाएँ बनाई जाएँ ताकि उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में वृद्धि हो सके।

बी.के. प्रेमलता, प्रभारी, राजयोग केंद्र मोहाली-रूपनगर सर्कल ने अपने आशीर्वचन में कहा कि राजयोग ध्यान न केवल मन को शांत करता है, बल्कि खेती को भी श्रेष्ठ बनाता है। यदि हम शुद्ध विचारों और सात्विक भावना के साथ खेती करें तो हमारे गाँव समृद्ध और महान बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि अत्यधिक मोबाइल उपयोग और तकनीकी निर्भरता गाँवों में भी तनाव बढ़ा रही है, इसलिए हमें शांति, सकारात्मकता और आध्यात्मिकता को जीवन में अपनाना चाहिए।

सुश्री सोनम चौधरी (एडीसी, मोहाली) ने कहा कि यदि हमारे संकल्प पवित्र और वाइब्रेशन्स सकारात्मक हों, तो हम कृषि उत्पादन और आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ा सकते हैं।
डॉ. गुरदियाल कुमार (कृषि अधिकारी) ने कहा कि कृषि को आध्यात्मिकता से जोड़ना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है।

बी.के. प्रकाश भाई (मधुबन, माउंट आबू) ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और कहा कि यह पहल ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर, स्वच्छ और मूल्यनिष्ठ बनाने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें सभी विशिष्ट अतिथियों और सरपंचों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत कुमारी रियान्शी के सुंदर स्वागत नृत्य से हुई तथा बी.के. प्रवीण भाई ने अपने मधुर भजन से वातावरण को दिव्य बना दिया।
इस आयोजन के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज ने यह संदेश दिया कि गाँवों का वास्तविक विकास विचारों के परिवर्तन से आरंभ होता है, और जब आध्यात्मिकता, सकारात्मकता और सतत क्रियाएँ एक साथ चलें, तभी हमारा गाँव वास्तव में “महान” बन सकता है।






