योग से आती है कर्मों में कुशलता – आशा दीदी
– संस्थान के आध्यात्मिक अनुप्रयोग अनुसंधान केंद्र (स्पार्क) ने किया आयोजन
– कर्मयोग से कर्मातीत विषय पर हुआ कार्यक्रम
– देशभर से संस्थान के 1000 से भी अधिक सदस्य हुए सम्मिलित
– कार्यक्रम का लक्ष्य आध्यात्मिकता के अनुप्रयोग से आत्म-सशक्तिकरण करना है
भोरा कलां,गुरुग्राम,हरियाणा । ब्रह्माकुमारीज़ के भोड़ाकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में राष्ट्रीय स्तर पर चार दिवसीय विशेष योग तपस्या भट्टी का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के आध्यात्मिक अनुप्रयोग अनुसंधान केंद्र (स्पार्क) ने किया। कार्यक्रम कर्मयोग से कर्मातीत विषय पर हुआ। कार्यक्रम में देशभर से संस्थान के 1000 से भी अधिक सदस्य सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपनी शुभ प्रेरणाएं प्रदान की। उन्होंने कहा कि कर्म और योग दोनों साथ-साथ होना ही कर्मयोग है। जिससे कर्म योगयुक्त होते हैं। योग में किए गए कर्म हमें शक्ति प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि योगयुक्त होकर किए गए कर्मों में कुशलता आती है। हमारे कर्मों को देखकर दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारा चेहरा हमारे विचारों का प्रतिबिम्ब है। कर्मातीत का अर्थ ही है कि कर्म हमें प्रभावित न करें। कर्मयोग के माध्यम से ही हम कर्मातीत बन सकते हैं।

स्पार्क विंग की अध्यक्षा राजयोगिनी अम्बिका दीदी ने कहा कि मनुष्य जीवन में कर्मों का विशेष महत्व है। योग से ही कर्म सुकर्म बनते है। राजयोग के अन्दर सभी प्रकार के योग समाए हैं। राजयोग हमें स्वराज्य अधिकारी बनाता है। स्वराज्य अधिकारी ही अपनी कर्मेंद्रियों पर नियंत्रित कर सकता है।
ओआरसी की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी विजय दीदी ने कहा कि आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए शुभ चिंतन बहुत जरूरी है। बीती हुई बातों का चिंतन ही आत्मा को कमजोर बनाता है। आत्मा तब ही शक्तिशाली बन सकती है जब श्रेष्ठ एवं सशक्तिशाली विचार हों।

स्पार्क विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके श्रीकांत ने कार्यक्रम के बारे अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि स्पार्क विंग का प्रमुख लक्ष्य आध्यात्मिक मूल्यों को सहज रूप से जीवन में उतारना है। जैसे विज्ञान अनुसंधान के आधार पर आविष्कार करता है। ऐसे ही आध्यात्मिक अनुप्रयोग से जीवन को श्रेष्ठ बनाना है। उन्होंने कहा कि इस योग तपस्या भट्टी का लक्ष्य चेतना की गहन अनुभूति करना है।
मुंबई, कल्याण से स्पार्क विंग की क्षेत्रीय संयोजिका बीके अलका ने कहा कि कर्मयोग से ही ईश्वरीय शक्तियों का अनुभव होता है। ऊंची आध्यात्मिक स्थिति ही ईश्वर से जुड़ने का एकमात्र साधन है।
संस्थान के मुख्यालय माउंट आबू से आए बीके संजय ने कहा कि जैसी अवस्था होती है, वैसी ही व्यवस्था बनती है। आध्यात्मिक चिंतन मन की अवस्था को श्रेष्ठ बनाता है। स्पार्क विंग के दिल्ली की क्षेत्रीय संयोजिका बीके सरोज ने अपने स्वागत वक्तव्य से सभी का अभिनंदन किया। ज्ञान सरोवर से बीके रूपेश एवं दिल्ली से बीके एकता ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम में ओआरसी की राजयोग शिक्षिका बीके यीशु ने मंच संचालन किया।






