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ग्वालियर: सर्व के सहयोग से सुखमय संसार” – आदर्श दीदी

ग्वालियर-लश्कर,मध्य प्रदेश।  आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर, “दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण” थीम के अंतर्गत प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के समाज सेवा प्रभाग द्वारा “सर्व के सहयोग से सुखमय संसार” विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया l

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, ब्रह्माकुमारीज़ लश्कर ग्वालियर की मुख्य इंचार्ज ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी, श्रीमती राखी गेढ़ा (अध्यक्ष गहोई वैश्य चम्बल संभाग), श्रीमती शकुंतला सेठ (अध्यक्ष गहोई महिला मंडल फलका बाज़ार), श्रीमती साधना खांगट (कम्पू गहोई महिला मंडल अध्यक्ष), श्रीमती रचना छिरोलिया (दौलतगंज गहोई महिला मंडल अध्यक्ष) और ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई उपस्थित रहे l

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ l

तत्पश्चात

ब्रह्माकुमारी आदर्श दीदी जी ने सभी का स्वागत अभिनन्दन किया और नवरात्रि के पावन पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नवरात्रि में चारों तरफ देवियों का गायन पूजन होता है , उनके प्रति व्रत भी रखते है। सभी लोग देवी मां को याद करते l तो यह वास्तव में नारी शक्ति का ही प्रतीक है l नारी शक्ति की बड़ी महिमा गाई हुई है उसी प्रकार आज की नारी को भी अगर अपनी शक्तियों का ज्ञान हो जाए तो वह सिर्फ परिवार को ही नहीं इस समाज को और  इस विश्व को सुखमय बना सकती है l अगर वर्तमान समय की बात की जाए तो आज विश्व में चिंताएं, भय, अशांति का वातावरण हो गया है क्योंकि चारों तरफ नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है, सभी आज विकारो में गृसित होते जा रहे हैं और जिसकी वजह से हमारी  शक्तियां क्षीण हो रहीं हैं तो अगर हम सच में इस विश्व को सुखमय बनाना चाहते हैं तो मन से, वचन से और अपने कर्मों से सारे विश्व में सकारात्मक ऊर्जा को  फैलाये, सबकी प्रति शुभ संकल्प रखें, सबको सहयोग देने का कार्य करें तब आपके जीवन का सही रीती सदुपयोग होगा l

श्रीमती समीक्षा गुप्ता ने सभी को नवरात्री के पावन  पर्व की हार्दिक बधाइयाँ दीं और बताया कि आज के विषय को ध्यान में रखते हुए बात की जाए तो में सबको यह  कहना चाहूंगी की जिस प्रकार लोग नौ दिन भक्ति, पाठ पूजा में लीन हो जाते हैं अगर उसी तरह रोज़ कुछ समय अपनी दिनचर्या में से ईश्वर के लिए निकाले तो हमारी सोच स्वतः ही सकारात्माक होने लग जाएगी और हमारे जीवन में कभी कुछ गलत नही होगा और ना हम किसी के लिए गलत विचार रखेंगे l

तो उसके लिए आज आध्यात्म से जुड़ना बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह ऐसी चीज़ है जो मनुष्य के जीवन को पूरी तरह से परिवर्तन कर देती है l आज हर किसी के जीवन में कितनी समस्या हैं, परेशानियाँ हैं लेकिन जब किसी धार्मिक जगह पर जाते हैं तो आप मन से शांति का अनुभव करने लग जाते हैं और शायद आपको अपनी समस्या का समाधान भी मिल जाता है क्योंकि वातावरण का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है l तो आज आज़ादी  का अमृत महोत्सव तो हर कोई मना रहा है परन्तु अपने आप को आध्यात्म से जोड़े और स्वयं को नकारात्माक विचारों से आज़ाद करें तब सच्ची आज़ादी कहलाएगी l 

इसके साथ ही

 श्रीमती राखी गेढ़ा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि में सबसे पहले यह कहना चाहूंगी की आज ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आकर मुझे अन्दर से ही एक शांति और सुकून का अनुभव हो रहा है और यहाँ आने के बाद में बस यही बोलूंगी की जीवन में आध्यात्म से जुड़ना कितना ज़रूरी हो गया है क्योंकि यह हमें  सही मार्ग दर्शन पर चलने का रास्ता बताता और  हम अपने जीवन को कैसे श्रेष्ठ बनाएं, दूसरों के प्रति कैसे सकारात्माक भाव रखें इसका भी ज्ञान देता है l

कार्यक्रम में श्रीमती शकुंतला सेठ  ने अपने उद्बोधन में कहा कि जैसे आज हम विश्व को सुखी बनाने की बात कर रहे तो उसके लिए सबसे पहले ज़रूरी है कि स्वयं को बदले। आज एक समाज में रहते हुए भी हम आपस में बैर – भाव रखते हैं तो ऐसे में समाज का कल्याण कैसे हो l तो समाज को अगर सुखमय बनाना है तो सबसे ज़रूरी है एक दूसरे के प्रति अच्छे विचार रखना l

आगे उन्होंने अपने जीवन का एक अनुभव वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं के सामने रखते हुए कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान के लोगो को मैने कई बार सुना है और उनको सुनने के बाद मैं पहले और आज की बात करूँ तो मेरे विचारों में बहुत अंतर आया है  दूसरों के प्रति मेरी भावना, मेरी सोच में परिवर्तन आया है।

इसके साथ ही श्रीमती साधना खांगट और बहन रचना छिरोलिया ने भी सभी को अपनी शुभ कामनाएं दीं l

कार्यक्रम का कुशल संचालन तथा आभार ब्रह्माकुमार प्रहलाद भाई के द्वारा किया गया ।

कार्यक्रम में माधवी गुप्ता, बंदना गुप्ता, सुमन गुप्ता, डॉ. ओमप्रकाश सहित गहोई वैश्य संगठन के पदाधिकारी और सदस्य अनेक संगठनों से अनेकानेक लोग उपस्थित रहे।

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