अम्बिकापुर: ज्ञान के प्रकाश द्वारा अज्ञान के अंधियारे को मिटाकर अंतःकरण को प्रकाशित करना ही सच्ची दीपावली मनाना है

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अम्बिकापुर,छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा नव विश्व भवन चोपड़ापारा अम्बिकापुर में खुषियों का महापर्व दीपावली बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
इस शुभ अवसर पर सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने दीपावली का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुये कहा कि जीवन में ज्ञा के प्रकाश का स्मरण कराने के लिये ही दीवाली मनायी जाती है। दीपावली का पावन पर्व सतयुगी रामराज्य के यादगार में मनाया जाता हैं। जहाँ राजा भी सुखी, प्रजा भी सुखी, जहाँ सभी का विचार एक समान, व्यवहार एक समान, कर्म एक समान और एक- दूसरे के प्रति सम्मान हो उसे ही रामराज्य कहा जाता है। वर्तमान समय यह संस्कृति भौतिक सुख सुविधाओं में विलुप्त हो गया है और उसे बदल कर स्थूल साफ- सफाई में परिवर्तित कर दिया गया है। आगे उन्होंने कहा कि हम लोग तो अपने घर के कोने- कोने की सफाई तो करते ही हैं लेकिन उसके पहले हमें अपने मन की भी सफाई करना हैं। मिट्टी के दीये के साथ हमें आत्मा के दीपक को जलाना हैं। अपने बुरे कर्म का खाता समाप्त कर, अच्छे कर्म का खाता शुरू करना हैं एवं दिव्यगुण रूपी लक्ष्मी को स्वयं में धारण कर स्व परिवर्तन के साथ विश्व परिवर्तन कर इस धरा पर स्वर्ग लाना है। जहाँ सचमुच लक्ष्मी- नारायण का राज्य होगा। सभी मानव मात्र दिव्यगुणों से पुनः सम्पन्न होंगे।
इसी यादगार में ब्रह्माकुमारी के हॉल में बहुत ही आकर्षक, सौम्य एवं मनोहारी भव्य गरूण पर सवार लक्ष्मी- नारायण एवं राधे- कृष्ण की रंगोली सजाई गई।
इस उपलक्ष्य पर ब्रह्माकुमारी संस्था से जुडे़ लगभग 500 भाई- बहनों ने आत्म स्मृति का दीप जलाकर सच्ची- सच्ची दीपोत्सव मनाया।
शताक्षी वर्मा ने ज्योत से ज्योत जलाते चलो गीत के माध्यम से सभी के कर्त्तव्यों के जिम्मेदारी का बोध कराया। और मनिकनिका, अदिति, गौरी, परि, सौर्य ने बहुत ही सुन्दर- सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया।

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