अलीराजपुर: गीता जयंती के उपलक्ष्य में संस्कार व संसार परिवर्तन में गीता ज्ञान की सार्थकता

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अलीराजपुर, मध्य प्रदेश। जब संसार से सत्य ज्ञान प्रायः लोप हो जाता है व मानव जीवन अंधकार मय हो जाता है ,अनेकों देवी देवता की भक्ति करते हुए भी मानव दर-दर भटक रहा होता है परमात्मा की खोज में। ऐसे में इस धरा पर परम शक्ति परमात्मा शिव का इस धरती पर गीता ज्ञान दाता के रूप में परकाया प्रवेश होता है ।उनके द्वारा सुनाई ज्ञान से मानव मन गदगद, निर्मल, निश्चल होने लगता है ।मन की मलिनता खत्म होकर मन शांत, एकाग्र हो जाता है । यह ज्ञान इस सृष्टि काल में एक समय विशेष कालखंड में जब सारी आत्माएं इस सृष्टि पर उपस्थित हो जाती है और विकारों से ग्रसित हो जाती है तब यह गीता ज्ञान सर्व मनुष्य आत्माओं के कल्याण के लिए सुनाया जाता है। इसीलिए उनकी जयंती मनाई जाती है। उससे एक सत्य धर्म की स्थापना हो जाती है। फिर यह ज्ञान मानव मन से लोप हो जाता है। इसीलिए गीता ज्ञान दाता परमात्मा शिव को हर कल्प के अंत में वह नई सृष्टि के आदि संगम पर आना होता है। इसीलिए केवल गीता ज्ञान दाता की जयंती मनाई जाती है और किसी धर्म शास्त्रों की नहीं ।यह विचार इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के क्षेत्रीय संचालक ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने गीता जयंती के उपलक्ष में महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित ब्रम्हाकुमारी सभागृह में आयोजित सम्मेलन में बताया। इस अवसर पर माननीय वक्ता पंडित योगेश्वर शास्त्री ज्योतिष एवं भागवत वाचक ने बताया कि गीता की महिमा को बढ़ाने के लिए ब्रम्हाकुमारी के द्वारा कार्यक्रम आयोजन कीया नकि गीता को जानने के लिए। ईश्वर को जानने ,स्वयं को जानने के लिए कि ईश्वर कौन है, ईश्वर कब आते हैं, 33 करोड़ देव है तो सबसे बड़ा कौन है, जिसका आकार है परंतु उनको इन चर्म चकसु से देख नहीं सकते हैं जो निराकार अजन्मा,अकालमूरत ज्योति बिंदु स्वरूप परमात्मा है ।उनको दिव्य नेत्रों से ही पहचाना जा सकता है। परमात्मा के हम बच्चे हैं हम सामान्य नहीं महान हैं एवं ब्रह्मास्मि हम भी ब्रह्मा है हम भी सृष्टि के मास्टर रचयिता है। हमने भी अनेक संतानों को जन्म दिया तो हम मास्टर ब्रह्मा हो गए। इस अवसर पर माननीय वक्ता पंडित बालकृष्ण शर्मा कथाकार भागवत आचार्य ने बताया कि परमात्मा भक्तों की प्रार्थना पर प्रकट होते हैं। जब जीव परमात्मा को पुकारता है परमात्मा भक्तों की पुकार पर चला आता है दुखों को दूर करने के लिए। सनातन धर्म ही है जहां भगवान स्वयं आते हैं। ऒर किसी पंथ में ऐसा उदाहरण नहीं है कि पिता अपने पुत्रों की रक्षा करने के लिए आता हो। दूसरे धर्मों में पैगंबर या दूत आया ऐसा बताया गया परमात्मा नहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ब्रम्हाकुमारी प्रतिभा ने बताया कि जब मानव स्वधर्म,स्व स्वरूप को भूल जाता है अनेक देह के धर्मों में फशा चला जाता है तब सत्य धर्म की स्थापना व अनेक धर्मों का विनाश करने आता है। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मा कुमारी ज्योति ने करते हुए बताया कि आज मानव की बुद्धि इतनी कमजोर हो गई कि वह स्वयं को ही नहीं पहचान पा रहा है तो परमात्मा को कैसे पहचान सकता है। कार्यक्रम में पर्वत सिंह राठौड़, अशोक ओझा, प्रहलाद कोठारी, अशोक पुरोहित, नारायण वर्मा, श्यामा बहन ,मदन परवाल, अरुण गहलोत, डॉक्टर कन्हैयालाल, हल सिंह व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने परमात्मा अनुभूति आत्मानुभूति  राजयोग के माध्यम से कराई।

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