सेम एक प्रकार की लता होती है। जिसकी फलियों को खाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सेम की फली में बहुत सारी पौष्टिकताएं होने के कारण आयुर्वेद में सेम को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सेम की प्रत्येक फली में 4-5 बीज होते हैं, जो अंडाकार होती हैं। सेम का सेवन कई तरह से किया जा सकता है, वैसे ज्य़ादातर लोग सेम की सब्जी बनाकर खाते हैं।
सेम की फली में कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, प्रोटीन, कैल्शियम आदि अनगिनत पौष्टिकताएं होती हैं। सेम मधुर, थोड़ा कड़वा, गर्म तासीर होने के कारण भारी भी होता है। इसके अलावा सेम पेट फूलना, एसिडिटी तथा विष का असर कम करने वाला होता है। सेम के फायदों के आधार पर आयुर्वेद में कैसे औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है और क्या-क्या फायदा होता है जानते हैं-
गले का दर्द दूर करे
मौसम के बदलाव के साथ गले में दर्द, सर्दी-खांसी जैसी बहुत सारी समस्याएं होने लगती हैं। गले के दर्द से आराम पाने में सेम की फली का ऐसे सेवन करने पर आराम मिलता है। 5-10 मिली सेम के पत्ते के रस का सेवन करने से गले का दर्द कम होता है।
दस्त से दिलाए राहत
अगर खान-पान में बदलाव के कारण दस्त हो रहा है तो सेम के बीजों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से उल्टी, दस्त, मूत्र संबंधी समस्या एवं पेट के दर्द से लाभ मिलता है।
पेट दर्द से दिलाए आराम
अगर मसालेदार खाना खाने से पेट में गैस हो जाती है, जिसके कारण पेट में दर्द होने लगता है। सेम के पत्तों को पीसकर पेट पर लगाने से पेट का दर्द कम हो जाता है।
पेट फूलने की परेशानी से दिलाये राहत
अगर अपच के कारण पेट फूलने की समस्या होती है तो उसमें सेम बहुत काम आता है। सेम के बीजों को आग में भूनकर खाने से आध्मान या पेट फूलने की समस्या में लाभ होता है।
अल्सर में फायदेमंद
सेम की फली अल्सर का घाव सूखाने में बहुत काम आती है। राजशिम्बी के बीजों को भैंस के दूध में पीसकर शाम के समय अल्सर पर लगाना चाहिए इस तरह लगाने से अल्सर का घाव शीघ्र भर जाता है क्योंकि शाम के समय गर्मी कम होती है।
कंडू या खुजली की परेशानी करे दूर
कभी-कभी एलर्जी के कारण खुजली की समस्या होती है। सेम के पत्ते के रस को खुजली वाली जगह पर लगाने से परेशानी कम होती है।
बुखार को करे कम
सेम बीजों का काढ़ा बनाकर 15-30 मिली काढ़े में 1 ग्राम सोंठ मिलाकर पीने से ज्वर या बुखार में लाभ होता है।
सूजन में फायदेमंद
सेम बीजों को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन में जल्दी आराम मिलता है।
कैंसर के इलाज में लाभकारी
एक रिसर्च के अनुसार सेम में एंटी कैंसर गुण होने की वजह से ये कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
श्वसन विकार के इलाज में लाभकारी
एक रिसर्च के अनुसार सेम में ऐसे गुण होते हैं जो कि रेस्पिरेटरी यानी श्वसन प्रक्रिया को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
पाचन को स्वस्थ बनाये रखने में मददगार
सेम की फली पाचन संबंधी समस्याओं में भी फायदेमंद होती है। विशेष रूप से डायरिया में क्योंकि रिसर्च के अनुसार सेम में एस्ट्रिंजेंट यानी कषाय का गुण होता है जो कि डायरिया जैसी समस्याओं को दूर कर पाचन को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है।
सेम की फली के उपयोगी भाग
आयुर्वेद में सेम की फली, बीज तथा पत्ते का इस्तेमाल सबसे ज्य़ादा किया जाता है।
सेम की फली का सेवनकैसे करें
बीमारी के लिए सेम के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। इसके अलावा आप सेम की सब्जी बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं। अगर आप किसी खास बीमारी के इलाज के लिए सेम का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार –
15-30 मिली काढ़ा
5-10 मिली रस का प्रयोग कर सकते हैं।
सेम की फली कहाँ पाई और उगाई जाती है
समस्त भारत में इसकी खेती की जाती है तथा इसकी फलियों का प्रयोग साग के रूप में किया जाता है।