बेल का शरीर से हो मेल तो स्वास्थ्य बने अनमोल…

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बेल के पेड़ के बारे में तो आप जानते ही होंगे। बेल का प्रयोग कई तरह के काम में किया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए बेल का उपयोग किया जाता है। अनेक लोग बेल का शर्बत भी बहुत पसंद से पीते हैं। इसके अलावा भी बेल का इस्तेमाल कई कमों में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार बेल के अनगिनत फायदे हैं जिसके कारण औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
: बेल के फायदे :

बेल के फल के पत्ते और फूल के गुण अनगिनत हैं, आइए सभी के बारे में जानते हैं-

रतौंधी में बेल का प्रयोग…
दस ग्राम ताजे बेल के पत्तों को 7 नग काली मिर्च के साथ पीस लें। इसे 100 मिली जल में छान लें। इसमें 25 ग्राम मिश्री, या शक्कर मिलाकर सुबह-शाम पिएं। रात में बेल के पत्ते को जल में भिगो दें। इस जल से सुबह आँखों को धोएं।
10 मिली बेल के पत्तों के रस, 6 ग्राम गाय का घी और 1 ग्राम कपूर को तांबे की कटोरी में इतना रगडें कि काला सुरमा बन जाए। इसे आँखों में लगाएं। इसके साथ ही सुबह गौमूत्र से आँखों को धोएं। इससे लाभ होता है।

बहरापन दूर करने के लिए
बेल के कोमल पत्तों को स्वस्थ गाय के मूत्र में पीस लें। इसमें चार गुना तिल का तेल, तथा 16 गुना बकरी का दूध मिलाकर धीमी आग में पकाएं। इसे रोज़ कानों में डालने से बहरापन, सनसनाहट(कानों में आवाज़ आना), कानों की खुश्की और खुजली आदि समस्याएं दूर होती हैं।

क्षय रोग या टीबी की बीमारी में बेल से फायदा
बेल की जड़, अडूसा के पत्ते तथा नागफली और थूहर के पके सूखे हुए फल 4-4 भाग लें। इसके साथ ही सौंठ, काली मिर्च व पिप्पली 1-1 भाग लें। इन्हें कूट लें। इसके 20 ग्राम मिश्रण को लेकर आधा लीटर जल में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो सुबह और शाम शहद के साथ सेवन कराने से टीबी रोग में लाभ होता है।

पेट दर्द में लाभदायक
बेल, एरंड, चित्रक की जड़ और सौंठ को एक साथ कूट लें। इसका काढ़ा बना लें। इसमें थोड़ी-सी भुनी हुई हींग, तथा सेंधा नमक 1 ग्राम बुरक लें। 20-25 मिली की मात्रा में पिलाने से पेट दर्द ठीक होता है। इन द्रव्यों का पेस्ट बनाकर गर्म करके पेट पर लगाने से भी लाभ होता है।

शरीर की जलन से राहत पाने के लिए बेल का इस्तेमाल
20 ग्राम बेल के पत्ते को 500 मिली जल में 3 घंटे तक डुबोकर रखें। हर 2 घंटे पर 20-20 मिली यह जल पिलाएं। इससे शरीर की जलन ठीक होती है।
छाती में जलन हो तो पत्तों को जल के साथ पीस छान लें। इसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर दिन में 3-4 बार पिलाएं।
10 मिली बेल के पत्ते रस में काली मिर्च तथा सेंधा नमक 1-1 ग्राम मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें।

बदहजमी में बेल का सेवन फायदेमंद
भूख न लगने, तथा पाचन शक्ति कमज़ोर हो जाने पर, बेलगिरी चूर्ण 100 ग्राम और अदरक 20 ग्राम को पीस लें। इसमें थोड़ी शक्कर(50 ग्राम), और इलायची मिलाकर चूर्ण कर लें। सुबह-शाम भोजन के बाद आधा चम्मच गुनगुने जल से लें। इससे पाचन ठीक होता है और भूख बढ़ती है।

दस्त रोकने के लिए
बेल के कच्चे फल को आग में सेंक लें। 10 से 20 ग्राम गूदे को मिश्री के साथ दिन में 3-4 बार खिलाने से दस्त में लाभ होता है।
बेलगिरी और धनिया 1-1भाग लें। इन्हें दो भाग मिश्री में मिलाकर चूर्ण बना लें। 2-6 ग्राम मात्रा में ताजा जल से सुबह और शाम सेवन करें। इससे दस्त में लाभ होता है।

उल्टी में फायदा
बेल के पके फल के गूदे को ठंडे जल में मसलकर छान लें। इसमें मिश्री, इलायची, लौंग, काली मिर्च तथा थोड़ा कपूर मिलाकर शर्बत बना लें। इसे पीने से प्यास, जलन, उल्टी, कब्ज और पाचन विकार ठीक होते हैं। जिन्हें कब्ज की शिकायत हो वे इसे भोजन के साथ लें।जलोदर रोग में बेल से फायदा
20-25 मिली बेल के रस में छोटी पिप्पली चूर्ण एक या डेढ ग्राम मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

पीलिया और एनीमिया में बेल से लाभ
10-30 मिली बेल के पत्ते के रस में आधा ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। सुबह शाम सेवन कराने से पीलिया और एनीमिया रोग में लाभ होता है।

मूत्र रोग में बेल के सेवन से लाभ
10 ग्राम बेलगिरी तथा 5 ग्राम सौंठ को, कूट कर 400 मिली जल में काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम सेवन कराने से 5 दिन में मूत्र रोग में लाभ होता है।

बेल के सेवन से ल्यूकोरिया(प्रदर) में लाभ
बेल के पत्ते के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन कराने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

बेल का औषधीय गुण करता है कमज़ोरी दूर
3 ग्राम बिल्व के पत्तों के चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर, सुबह-शाम नियमित सेवन करने से धातु रोग में लाभ होता है।
20-25मिली बिल्व के पत्ते के रस में 6 ग्राम जीरक चूर्ण, 20 ग्राम मिश्री, तथा 100 मिली दूध मिला लें। इसे पीने से शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है।

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