पुणे: “स्वर्णिम संस्कृति से स्वर्णिम संसार” उद्घाटन पुणे के रविवार पेठ शाखा द्वारा डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सांस्कृतिक भवन, में सम्पन्न हुआ

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पुणे,महाराष्ट्र: भारत स्वतंत्रताके अमृत महोत्सव  और ब्रह्माकुमारीज रविवार पेठ पुणे शाखा के रजत महोत्सवी वर्ष के निमित्त कार्यक्रम दि.19 डिसेंबर, 2022 डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर सांस्कृतिक भवन, पुणे में “स्वर्णिम संस्कृति से स्वर्णिम संसार”  इस विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया था सबसे पहले सभी मान्यवर अतिथीयों का तिलक और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया ! उसके बाद  श्री.पपीशकुमार ललगुणकर इन्होंने अपने बहारदार गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई ! सभी अतिथीयों ने दिप प्रज्वलन किया |

बी.के.रोहिणी दिदींने सभी को ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविदयालय गतिविधियों से अवगत कराया!  उसके बाद बी.के.हर्षदा शिंदे इनके स्वागत नृत्य से सभी मंत्रमुग्ध हो गये |

प्रमुख वक्ता बी.के.सतीशभाईजीने दि.19 डिसेंबर से 28 डिसेंबर, 2022 पुणे से कोल्हापूर तक कला व संस्कृती  अभियान से अवगत कराया |

इस अभियान का उद्देश भारत में तथा सभी विश्व में अपने महान दैवी संस्कृती के बारे में जनजागृती करना और संस्कृती के हर  क्षेत्र में आध्यात्मिक  तथा नैतिक मूल्यों की वृध्दी करने के लिए है |

सांस्कृतिक मूल्यों का जतन करने के लिए कलाकर का व्यक्तिगत जीवन तणावमुक्त व व्यसनमुक्त होना अति आवश्यक है जिससे समाज में उनका आदर्श प्रेरणादायी रखने हेतू मार्गदर्शन किया जायेगा |

कला-संस्कृती दूरदर्शन, साहित्य, चित्रपट, संगीत आदि के माध्यम व्दारा अत्याचार भ्रष्टाचार इ. विकृतींयों का विनाश करने हेतू समाजप्रबोधन करके इस माध्यम व्दारा सकारात्मक विचारों का प्रयोग करके श्रेष्ठ संकल्प, श्रेष्ठ चिंतन तथा संस्कारों व्दारा सत्य, प्रेम, अहिंसक वृत्ती और सद‌भावना समाज का निर्माण करना यही इस अभियान का मुख्य उद्देश है |

कला एक ऐसा क्षेत्र है जो अपनी संस्कृती का जतन करता है इसलिए कलाकार का समाज में आदर्श्ं होना जरुरी है !  इस कला में आप आध्यात्मिकता, और नैतिकता का वास हो तो यक कला क्षेत्र स्वर्णिम संस्कृती का  आधारस्तंभ बन सकता है यही संकल्प करके इस अभियान का आयोजन किया गया है ! इस अभियान के दौरान विविध विषयों पर मार्गदर्शन किंया जायेगा :-

1. सर्वश्रेष्ठ कला –सदभावना व सदविचार 2.  कला वो जो सबका भला करे 3. सर्वश्रेष्ठ कला –जीवन जगण्याची कला 4. आध्यात्मिक जीवन व्दारा कला में निखार 5.सांस्कृतीक कार्यक्रमातून श्रेष्ठ संस्कृतीकडे 6 नैतिक मूल्यांव्दारे श्रेष्ठ परिवर्तन 7. कला व संस्कृति से स्वर्णिम संसार 8.मूल्यांचा स्त्रोत –परमात्मा 9. उत्तम कलाकार के लिए राजयोग 10.  राजयोग – तणामुक्त जीवन

तत्पश्चात बी.के रोहिणी दिदींने तीन मिनट कॉमेन्ट्री के आधारपर परमात्म अनुभूती करायी|

“हर कलाकार को कलाक्षेत्र में सर्वांगीण विकासकेलिए अध्यात्मिकता की  आवश्यक्ता है| कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि पद्मश्री पं.सुरेश तळवलकरजी ने   मनोगत व्यक्त किया|

कार्यक्रम के अतिथि श्री.मेघराज राजे भोसले इन्होने स्वर्णिम संस्कृतिसे स्वर्णिम संसार इस अभियानके सफलता के लिए शुभ भावन प्रगट की|

इस कार्यक्रम के प्रमुख अतिथी पद्मश्री पं.सुरेश तळवलकर( तालयोगी, तबलावादक)  श्री.मेघराज राजे भोसले, (अध्यक्ष अखिल भारतीय मराठी चित्रपट महामंडळ) मुख्या वक्ता बी.के. सतीश भाई(राष्ट्रिय संयोजक कला सांस्कृतिक प्रभाग माउंट आबू, राजस्थान), ब्रह्माकुमारी रोहिणी दिदी, मा.जितेन्द्र भुरुक (जेष्ठ गायक), मा. राजेश दातार (जेष्ठ गायक शास्त्रीय संगीत), मा.मिलिंद तुळावकर (जेष्ठ जलतरंग वादक), मा. पपिशकुमार लालगुनकर (जेष्ठ गायक)  आदि उपस्थित थे |

इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन बी.के.विनायक भाईने किया और  बी.के. डॉ.सुषमा लाड इन्होंने सभी को बहोत बहोन धन्यवाद दिया और कार्यक्रम की समाप्ती की |

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