दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण कार्यक्रम का शुभारंभ

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रतलाम,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दया एवं करुणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण वर्ष का शुभारंभ ब्रह्माकुमारीज़ के डोंगरे नगर स्थित दिव्य दर्शन भवन सेवाकेंद्र पर जेवीएल (मांगल्य मंदिर) प्रबंधक भ्राता महावीर जी, उद्योगपति समाजसेवी भ्राता अनोखी लाल जी कटारिया, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बहन अनीता जी कटारिया, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दीप व्यास जी, मुखर्जी मंडल अध्यक्ष बहन चेतना जी पाटीदार, महिला मोर्चा जिला उपाध्यक्ष बहन मीना जी टांक, सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।

इस अवसर पर भ्राता महावीर जी ने कहा कि जीवन में सबसे सुंदर आध्यात्मिक क्षेत्र है, अगर संसार में संत नहीं होते तो संसार बिना आग के जल मरते। संत मानव समाज के उत्थान के लिए कार्य करते हैं, संत दया-प्रेम स्नेह के भंडार है जिसे वह दुनियां में फैलाते है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर भ्राता दीप व्यास जी ने ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा किए जा रहे कार्य की सराहना करते हुए कहा कि आज के परिपेक्ष्य में दया और करुणा आवश्यक है, हम मानवीय मूल्यों को भूल गए थे अब सीख रहे हैं। कोविड-19 में हमें 2 वर्ष के लिए एक दूसरे से दूर कर दिया था इस बीमारी ने क्या गरीब या अमीर सब को बराबर कर दिया था सभी दया की भीख मांग रहे थे ऐसे समय पर आध्यात्मिकता से जोड़कर दया और करुणा की भावना रखने की आवश्यकता है।

बहन चेतना जी पाटीदार ने कहा कि जीवन में योग और ध्यान जरूरी है नहीं तो हम पीछे रह जाएंगे। हमारे मन में सिर्फ मनुष्य मात्र के लिए नहीं अपितु सभी प्राणियों के लिए दया और करुणा की भावना होनी चाहिए।

मातृ दिवस की शुभकामनाएं देते हुए ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि खुशबू बिखेरना ही दया करुणा है जो आध्यात्मिक शक्ति दिलाती है। संसार में सिर्फ शरीर से  बीमार ही दुखी नहीं है बहुत लोग दुखी पड़े हैं, जो सब कुछ होते हुए भी दुखी है, क्योंकि धन ही सब कुछ नहीं है धन से हम बड़ी बड़ी डिग्रियां, अच्छी पुस्तक खरीद सकते हैं लेकिन जीवन के सच्चे मूल्य एवं सद्गुण नहीं खरीद सकते। सुखमय जीवन के लिए हमें सद्गुणों को अपनाना होगा। ब्रह्माकुमारी संस्था परिवर्तन पर ज्यादा जोर देती है साथ ही इस बात पर भी ध्यान देती है कि हमारा जीवन सद्गुणों से भरपूर होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि दया और करुणा का स्रोत आत्मा में शक्ति प्रदान करने वाला परमात्मा है। राजयोग द्वारा परमात्मा से योग लगाने से शक्ति आती है। हम सबके अंदर दया और करुणा है, इसके लिए हमें आंतरिक जगत को जागृत करना होगा। यह संस्थान इसी कार्य में लगी हुई है कि हर एक आत्मा के अंदर से नकारात्मकता खत्म हो जाए। सकारात्मक संकल्प ले कर दिन की शुरुआत करें तो सारा दिन सकारात्मक हो जाएगा।

भ्राता अनोखी लाल जी कटारिया ने कहा कि दया और करुणा एक सिक्के के दो पहलू हैं इससे हम आध्यात्मिकता को बढ़ा सकते हैं। ब्रह्माकुमारिज़ संस्था में आने मात्र से नकारात्मकता खत्म हो जाती है और सकारात्मक सोचने की प्रेरणा मिलती है

अनीता जी कटारिया ने कहा कि भारत की पवित्र भूमि पर परमपिता परमात्मा आकर ब्रह्मकुमारियों द्वारा अमृतवाणी देकर सबका मन शांत करते हैं जो दया और करुणा जगाते हैं। ब्रह्माकुमारियाँ संत के समान है। दीदियों के सामान हम भी समाज में दया और करुणा का भाव जगाए। ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा 1 वर्ष तक चलाए जा रहे इस कार्यक्रम में हम सब को सहयोग देना है।

अंत में ब्रह्माकुमारी गीता दीदी ने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई।

कार्यक्रम का कुशल संचालन ब्रह्माकुमारी आरती दीदी ने किया।

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