मुख पृष्ठशिव जयंतीअवतरण का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी...

अवतरण का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी…

”हाँ, नव सृष्टि के निर्माण हेतु ‘मैं’ ब्रह्मा जी के ललाट से प्रकट होऊंगा”

वेदों-पुराणों में भी शिव अवतरण की बात कही गई है। शिव पुराण में लिखा है कि भगवान शिव ने कहा- मैं ब्रह्मा जी के ललाट से प्रकट होऊंगा। इस कथन के अनुसार समस्त संसार पर अनुग्रह करने के लिए शिव ब्रह्माजी के ललाट से प्रकट हुए और उनका नाम रुद्र हुआ। (ये वाक्य शिवपुराण में कोटि रुद्र संहिता के 42 वें अध्याय में लिखा है) शिव ने ब्रह्मा मुख द्वारा सृष्टि रची। शिवपुराण में अनेक बार यह उल्लेख आया है। भगवान शिव ने पहले प्रजापिता ब्रह्मा को रचा और फिर उनके द्वारा सतयुगी सृष्टि की स्थापना की।

एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग
मनुस्मृति में भी यही लिखा है कि सृष्टि के आरम्भ में एक अण्ड प्रकट हुआ जो हज़ारों सूर्य के समान तेजस्वी और प्रकाशमान था। इसी प्रकार शिव पुराण में धर्म संहिता में लिखा है कि कलियुग के अन्त में प्रलय काल में एक अद्भुत ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ जोकि कालाग्नि के समान ज्वालामान था। वह न घटता था और न बढ़ता था, वह अनुपम था और उस द्वारा ही सृष्टि का आरम्भ हुआ। इस तरह हम देखते हैं कि भारत के सभी वेद-ग्रंथों में परमात्मा के अवतरण की बात कही गई है। कहीं उसकी व्याख्या अण्डाकार ज्योति के रुप में, तो कहीं सूर्य से भी प्रकाशमान ज्योति के रुप में की गई है।
परमात्मा के कार्य में सहयोगी बनो
हे मनुष्य आत्माओं! अब समय आ चुका है विषय-विकारों से मुक्त होकर परमपिता परमात्मा से मंगल मिलन मनाने का। अभी नहीं तो कभी नहीं। ऐसा न हो परमात्मा आकर के अपना कार्य कर जाएं और हम देखते ही रह जाएं। समय निकल जाने पर हमारे पास पछतावे के अलावा और कुछ हाथ नहीं रह जाता है। यदि हमें अपने भाग्य को जगाना है और नई सतयुगी दैवी सृष्टि की स्थापना के इस कार्य में सहयोगी बनना है, तो परमात्मा शिव के इस महान कार्य में सहयोगी बनना है। परमात्मा शिव के इस महान कार्य में अपना तन-मन-धन सफल कर 21 जन्मों की बादशाही के मालिक बनने का सुअवसर हमारे सामने है।

ज्योति ने प्रकट होकर किया नवयुग का निर्माण
महाभारत में भी लिखा है कि जब यह सृष्टि तमोगुण और अन्धकार से आच्छादित थी तब एक अण्डाकार ज्योति प्रकट हुई और वह ज्योतिर्लिंग ही नए युग की स्थापना के निमित्त बना। उसने कुछ शब्द कहे और प्रजापिता ब्रह्मा को अलौकिक रीति से जन्म दिया।
जेहोवा शिव का ही पर्यायवाची
देखा जाए तो सिर्फ भारत के धर्म ग्रन्थों में ही नहीं बल्कि यहूदी, ईसाई, मुसलमानों की पुरानी धर्म पुस्तक तोरेत का आरम्भ भी ऐसे ही होता है। सृष्टि संरचना की प्रक्रिया इस प्रकार से है कि सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर की आत्मा पानी पर डोलती थी और आदि काल में परमात्मा ने ही आदम एवं हव्वा को बनाया जिनके द्वारा स्वर्ग रचा। भगवान का नाम जेहोवा मानते हैं जो परमात्मा शिव का ही पर्यायवाची है।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular

Recent Comments