संकल्प करें कि बातें तो आती हैं और जाती हैं। मुझे बहुत हल्का भी रहना है और भगवान की इस आज्ञा को पालन करना है कि मैं बेफिक्र बादशाह बन जाऊं। यहाँ बादशाह बनेंगे तो विश्व की बादशाही तो निश्चित है ही।

पिछले अंक में आपने पढ़ा कि हमें बेफिक्र बादशाह बनना है। हम लम्बे समय हल्के रहने का अभ्यास करें और याद रखेंगे जो स्वयं बहुत हल्के रहेंगे उनकी बीमारियां भी हल्की हो जायेंगी। अब आगे पढ़ेंगे…
बहुत सुन्दर अनुभव करने की बात है, सिद्धांत है। जो स्वयं सरलचित्त होंगे उनके संस्कार भी सरल हो जायेंगे। जो स्वयं बहुत हल्के रहेंगे, उनकी समस्यायें भी हल्की होती जायेंगी। योग भी हल्का होगा, सहजयोग हो जायेगा। और सम्बन्ध सम्पर्क में भी बहुत हल्कापन आ जायेगा। जो स्वार्थ है भारीपन आ गया है आजकल। तेरा-मेरा बहुत हो गया है, एक-दूसरे के प्रति मान नहीं रहा, प्यार की दृष्टि नहीं रही। वो सब ठीक हो जायेगा। तो हमें बहुत हल्के रहना है।
इस संसार में भी हम ऐसे विचरण करें, हमारी दादी जानकी उदाहरण दिया करती थीं, जैसे शेर जंगल में अकेला रहता है, निर्भिक, कांटों के जंगल में। धूप-गर्मी में, हम भी मास्टर सर्वशक्तिवान हैं, बेफ्रिक बादशाह हैं, हम भी कलियुग की इस काली रात में निर्भिक होकर विचरण करें। चारों ओर चाहे कांटें हों, समस्याओं के पहाड़ गिर रहे हों, लेकिन हमें साथ देने वाला कौन है? ये बहुत अच्छी तरह से स्मृति में रखेंगे तो मन बहुत पॉवरफुल भी हो जायेगा, मन बहुत हल्का भी रहेगा। मन को भारी करने वाली चीज़ है मैं और मेरा। तो एक हम डबल लाइट होने का अभ्यास करेंगे मैं फरिश्ता हूँ इससे मन स्वत: ही हल्का रहने लगेगा। हमसे चारों ओर लाइट फैलती है। मेरे चारों ओर आभामंडल है। मेरा साथी है लेकिन एक बात पर गहराई से चिंतन किया करेंगे, मैं और मेरा ये दो विशेष फीलिंग मन को भारी करती है। मैंने ये किया, किसी ने उसकी कदर ही नहीं की। मैं ये करना चाहता था लेकिन किसी ने साथ ही नहीं दिया। मुझे करने ही नहीं दिया। मेरी ये-ये शुभ इच्छायें थी किसी ने पूरी नहीं करने दी। मेरी कोई मदद नहीं करता। मैं अकेला हो गया हूँ संसार में। मेरी ये जि़म्मेदारी है पैसा कम है, मैं अकेला हूँ, मुझे ये-ये बड़े काम करने थे, मैं ये नहीं कर सकता हूँ। मैं और मेरा मन को बोझिल करते हैं। तो भगवान के महावाक्य, मेरे को तेरे में बदलो। फिक्र सब बाप को देकर फखुर ले लो। और बन जाओ बेफिक्र बादशाह। ये तीन बात याद रखेंगे। फिक्र, चिंतायें, बाबा को अर्पित करके फखुर लेना, ईश्वरीय नशा, कौन मुझे साथ दे रहा है? ये संकल्प सदा रखा करें। स्वयं सर्वशक्तिवान मुझे साथ दे रहा है। संसार साथ दे या ना दे, सृष्टि का बीज मुझे साथ दे रहा है। मुझे सबका साथ भी अवश्य मिल जायेगा। और जिसे भगवान साथ दे उसका जीवन तो निर्विघ्न होगा ही। उसे तो सहज सफलता मिलेगी ही। क्योंकि वरदानों का दाता मेरा साथी है। ऐसे सुन्दर संकल्प फखुर के। ईश्वरीय नशे को अपने में क्रियेट करते रहें। और संकल्प करें कि बातें तो आती हैं और जाती हैं। मुझे बहुत हल्का भी रहना है और भगवान की इस आज्ञा को पालन करना है कि मैं बेफिक्र बादशाह बन जाऊं। यहाँ बादशाह बनेंगे तो विश्व की बादशाही तो निश्चित है ही। पर अब हम भगवान की छत्रछाया में आ गये। हम उसके साथी बन गये, वो हमारा साथी बन गया। हम इस बेफिक्र बादशाही का अनुभव यहीं करें। मस्त रहें, निर्विघ्न रहें और बहुत शक्तिशाली बनकर चलें। और डबल लाइट हो जायेंगे।

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