भोरा कलां : ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम

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ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर पहुंचे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
– लेगसी ऑफ ब्रह्मा बाबा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि की शिरकत
– ब्रह्मा बाबा ने बोया आंतरिक बदलाव का बीज
– एक खुली किताब की तरह है ब्रह्माकुमारीज संस्था – बंडारू दत्तात्रेय


भोरा कलां, गुरुग्राम
, हरियाणा।

ब्रह्माकुमारीज एक खुली किताब की तरह है। ब्रह्माकुमारीज संस्था विश्व परिवर्तन के भगीरथ कार्य करने के निमित्त बनी है। उक्त विचार हरियाणा के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने ब्रह्माकुमारीज के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट(ओआरसी) सेंटर में व्यक्त किए। माननीय राज्यपाल ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए। लेगसी ऑफ ब्रह्मा बाबा विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यहां आकर मुझे जीवन की गहराई को जानने का मौका मिला। 1936 में ब्रह्मा बाबा ने आंतरिक बदलाव का एक बीज बोया। जो आज पूरे विश्व में एक वट वृक्ष की भांति फैल चुका है। भारतीय पुरातन दैवी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का आधार ब्रह्मा बाबा ने रखा।

– आध्यात्मिकता ही कर सकती है मन को सच्ची शांति प्रदान

माननीय राज्यपाल ने कहा कि आध्यात्मिकता ही मन को सच्ची शांति प्रदान कर सकती है। एक शांत मन ही कार्य को बेहतर ढंग से कर सकता है। मन ही सबसे बड़ी शक्ति है। मन को सकारात्मक और श्रेष्ठ दिशा प्रदान करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। मन को पवित्र करना ही सबसे बड़ी साधना है। साधना एक दिन में नहीं होती। साधना के लिए लंबा समय चाहिए।

– राजनीति में ब्रह्माकुमारीज द्वारा सिखाया जा रहा राजयोग बहुत जरूरी

माननीय राज्यपाल ने कहा कि राजनीति में ब्रह्माकुमारीज द्वारा सिखाए जा रहे राजयोग की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति बहुत महान है। माता को प्रथम गुरु भी कहा जाता है। इसलिए ब्रह्मा बाबा ने नारी शक्ति को प्रधानता दी। बाहरी शुद्धिकरण तो सभी करते हैं लेकिन आत्म शुद्धि बहुत जरूरी है। आत्मिक शुद्धि से ही दया और करुणा जैसी भावनाएं पैदा होती हैं। सत्य के संग से ही निश्छलता आती है। और निश्छलता ही मानव को मुक्त कर सकती है।

– ब्रह्मा बाबा कोई गुरु नहीं बल्कि परमात्मा के साकार माध्यम थे

ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा गुरु नहीं थे। बल्कि हम सबके अलौकिक पिता थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा बाबा ही वो माध्यम हैं, जिनके द्वारा परमात्मा ने सतयुगी दुनिया की स्थापना की। ब्रह्मा बाबा का पूर्व जीवन हम सबकी तरह एक साधारण मनुष्य के रूप में था। दादा लेखराज के नाम से समाज में एक प्रतिष्ठित जौहरी थे। स्वयं परमपिता शिव परमात्मा ने ही उनका अलौकिक नाम प्रजापिता ब्रह्मा रखा। और उनके द्वारा ज्ञान और सहज राजयोग की शिक्षा प्रदान की।

– ऋषि दधीचि की तरह ब्रह्मा बाबा ने किया अपना सब कुछ स्वाहा

ओआरसी की निदेशिका शुक्ला दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा वास्तव में दधीचि ऋषि की तरह थे। उन्होंने मानवता की सेवा में अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया था। उनके जीवन से त्याग, तपस्या और सेवा की प्रेरणा स्वत ही मिलती थी। उन्होंने कहा कि उनका ये जीवन ब्रह्मा बाबा के स्नेह और शिक्षाओं की ही धरोहर है।

– स्नेह और वात्सल्य की मूरत थे ब्रह्मा बाबा

संस्था के दिल्ली, करोल बाग की निदेशिका बीके पुष्पा ने कहा कि बाल्यकाल से ही उन्हें ब्रह्मा बाबा का सानिध्य प्राप्त हुआ। ब्रह्मा बाबा सिर्फ शिक्षा ही नहीं देते थे। बल्कि एक मां की तरह स्नेह और वात्सल्य से भर देते थे। ब्रह्मा बाबा मन-वचन-कर्म से सदा ही विश्व सेवा में समर्पित रहे।

– कार्यक्रम में बीके शिव कुमार, बीके मधु, बीके वर्णिका, बीके मोनिका, बीके लक्ष्मी एवं बीके सुरेंद्र ने जीवन में ईश्वरीय स्नेह और मदद के अद्भुत अनुभवों को साझा किया।

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