किसी साइकोलोजिस्ट ने सही कहा है कि अगर एक व्यक्ति कम से कम गति से सोचे तो भी एक मिनट में 25 से 30 विचार मन के अंदर आ जाते हैं। अब सोचने की बात है कि कम से कम गति से सोचते भी अगर 25 से 30 विचार आ जाते हैं तो अधिक से अधिक व्यक्ति कितना सोचता होगा?
कैसे हम अपने जीवन के अंदर सुख, शांति, प्रेम, आनंद, ज्ञान, शक्ति व पवित्रता इन सातों गुणों से बैटरी चार्ज करके भरपूर हो जाएं? हमारे भीतर शक्ति है उसको बाहर ले आना है। ड्रिलिंग करना है और उसको बाहर ले आना। और कैसे ले आएंगे उसको, तो हर आत्मा के पास शक्ति है। जिस तरह से शरीर को पांच तत्व चाहिए तो उस पांच तत्व की पूर्ति के लिए पांच इंद्रियां हैं। जिसके माध्यम से हम शरीर को जो पांचों तत्व चाहिए उसको पूर्ण करते हैं। आँखों के द्वारा रोशनी, नाक के द्वारा ऑक्सीजन, मुख के द्वारा भोजन-पानी ठीक इसी तरह आत्मा को जो सातों गुणों से बैटरी चार्ज करनी है उसके लिए आत्मा के पास भी इनबिल्ट शक्ति है जो आत्मा के साथ आती है शरीर में और शरीर छोडऩे पर आत्मा के साथ चली जाती है और वह तीन सूक्ष्म शक्ति है मन, बुद्धि और संस्कार।
मन है आत्मा की सोचने की शक्ति का दूसरा नाम, बुद्धि है समझने की शक्ति का दूसरा नाम और संस्कार हमारे कर्मों का प्रभाव है इसीलिए कहावत है कि हे मानव सोच-समझ कर करना, सोचने का काम मन करता, समझने का काम बुद्धि करती और फिर कर्म करना। लेकिन आज शायद उल्टा हो गया व्यक्ति पहले कर लेता है फिर सोचता है, फिर समझता है इसीलिए उसको पश्चाताप करना पड़ता है, या सॉरी कहना पड़ता है बार-बार किसी को। अरे पहले से ही अगर हम यह मन-बुद्धि और संस्कार को इसी विधि से चलायें तो हमें किसी को सॉरी कहना ही ना पड़े। मन जो आत्मा की सोचने की शक्ति का दूसरा नाम है यह बहुत पॉवरफुल इंस्ट्रूमेंट है, हमारे पास जो बैटरी चार्ज करने में बहुत मदद करता है। कैसे मनुष्य का मन हर वक्त सोचता रहता है। कुछ न कुछ सोचता ही रहता है। कितने असंख्य विचार सारे दिन के अंदर आ जाते हैं। किसी साइकोलोजिस्ट ने सही कहा है कि अगर एक व्यक्ति कम से कम गति से सोचे तो भी एक मिनट में 25 से 30 विचार मन के अंदर आ जाते हैं। अब सोचने की बात है कि कम से कम गति से सोचते भी अगर 25 से 30 विचार आ जाते हैं तो अधिक से अधिक व्यक्ति कितना सोचता होगा? हाइपर जिसको कहते हैं कि हाइपर की स्टेज क्या होगी और 1 दिन के ही विचारों को लिया जाए और उसको क्लासिफाई(श्रेणीबद्ध) कर दिया जाए तो हर मनुष्य के मन के अंदर चार प्रकार के विचार आते हैं पहले प्रकार के विचार हैं जिसको हम कहते हैं पॉजि़टिव थॉट,अच्छे विचार,सकारात्मक विचार,वैल्यू बेस्ड थॉटस्।
दूसरे प्रकार के विचार हैंजिसको कहते निगेटिव विचार, बुरे विचार, नकारात्मक जो कोई न कोई बुराइयों को लेकर, कोई न कोई विकृतियों को लेकर, हीनता की भावना को लेकर, स्वार्थ को लेकर यह सारे विचार निगेटिव विचार हैं।
तीसरे प्रकार के विचार हैं आवश्यक विचार आज मुझे यहां जाना है, इस व्यक्ति से मिलना है उसको यह मैसेज देना है। जो कर्मों से रिलेटेड विचार हैं।
चौथे प्रकार के विचार हैं वेस्ट थॉट, फालतू विचार। जब मन कहता कुछ सोचने के लिए नहीं है तो बीती हुई बातों को चलाता रहता है। ऐसा होता तो अच्छा होता, यह कहते तो अच्छा होता, अधिकतर भूतकाल में बीती हुई बातों को हम इस तरह से उगारते हैं और उसका स्वरूप बन जाते हैं और उसमें भी अधिकतर जो रिग्रेटस(पछतावा) है,उसको ज्य़ादा व्यक्ति सोचता है इसीलिए उसको वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट ऑफ एनर्जी, वेस्ट थॉटस् कहते हैं। तो ये चार प्रकार के थॉटस् दिन में आ जाते हैं। इसे ही हमें बार बार चेक करना पड़ता है। और करना भी है।
राजयोगिनी ब्र.कु. उषा,वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका