स्वास्थ्य के लिए तिल का तेल खाने के फायदे कई हैं। यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इस कारण इसे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी कहा जाता है। तिल का तेल कुछ शारीरिक समस्याओं के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है, लेकिन यह तेल किसी बिमारी का इलाज नहीं है। यहाँ हम आपको तिल के तेल के गुणों के आधार पर तिल के तेल के फायदे और सावधानी के तौर पर नुकसान के बारे में बतायेंगे…
- विटामिन ई का अच्छा स्रोत
एक रिसर्च में बताया गया है कि तिल के तेल में टोकोफेरॉल होता है। यह विटामिन ई का ही एक रूप है। इस वजह से तिल के तेल को विटामिन ई का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा, टोकोफेरॉल यानी विटामिन ई एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह कार्य करता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर कई बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है। बताया जाता है कि फ्री रेडिकल्स की वजह से शरीर में कैंसर सेल्स के बढऩे व हृदय रोग का जोखिम हो सकता है। - एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण
तिल के तेल के औषधीय गुणों में से एक एंटी-इंफ्लेमेटरी भी है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण तिल के तेल का इस्तेमाल शरीर की सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जा सकता है। सूजन शरीर के बाहरी और अंदरुनी दोनों भाग में हो सकती है, जिससे तिल के तेल का उपयोग करने से राहत मिल सकती है। - दर्द से राहत पाने के लिए
एनसीबीआई के एक शोध के अनुसार, तिल का तेल दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। दरअसल, तिल के तेल में एंटी- नोसिसेप्टिक(दर्द को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इस कारण तिल के तेल का उपयोग जोड़ों का दर्द दूर करने से लेकर दांत दर्द दूर करने के लिए किया जा सकता है। रिसर्च में लिखा है कि मासिक धर्म सिंड्रोम, खरोंच और कटने के कारण होने वाले दर्द को कम करने में भी यह तेल सहायक साबित हो सकता है। - आँखों के स्वास्थ्य के लिए
इससे जुड़ी एक रिसर्च में लिखा है कि तिल का तेल मधुमेह नेत्र रोग यानी डायबिटिक रेटिनोपैथी(रेटिना में सूजन) से जुड़े जोखिम को कम कर सकता है। चूहों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, तिल के तेल में मौजूद सेसमिन कंपाउंड रेटिना की सूजन को कम करने में प्रभावी हो सकता है। साथ ही इसके कारण होने वाले अंधेपन से बचाव करने में भी मदद कर सकता है। यही नहीं, इसे आँखों की रोशनी को बेहतर बनाए रखने के लिए भी जाना जाता है। - रक्तचाप का स्तर कम करे
तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड रक्तचाप को कम करने के साथ ही उच्च रक्तचाप रोगी में इसके स्तर को बढऩे से रोक सकता है। इस बात का जि़क्र एनसीबीआई द्वारा पब्लिश एक मेडिकल रिसर्च में भी है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव, विटामिन ई और अनसेचुरेटेड फैटी एसिड भी रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते हैं। इसी वजह से तिल का तेल खाने के फायदे में ब्लड प्रेशर नियंत्रण को भी गिना जा सकता है। - अर्थराइटिस से राहत दिलाए
अर्थराइटिस की समस्या को गठिया के नाम से भी जाना जाता है। इस परेशानी को कम करने में काले तिल का तेल मदद कर सकता है। तिल के तेल में मौजूद लिग्नेस एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसके कारण यह शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियां जैसे अर्थराइटिस को कम कर सकता है। साथ ही इससे अर्थराइटिस के लक्षण को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
७. त्वचा के लिए
तिल का तेल त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को कम करने में लाभकारी हो सकता है। दरअसल, तिल का तेल हीलिंग प्रॉपर्टीज़ प्रभाव युक्त होता है, जो घाव भरने में मदद कर सकता है। साथ ही तिल के तेल में टोकोफेरॉल(विटामिन ई का एक प्रकार) होता है, जो सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसके कारण सनबर्न संबंधी परेशानी को कम करने में मदद मिल सकती है।
तिल के तेल के नुकसान
कई बार तिल का तेल नुकसानदायक भी हो सकता है। इससे होने वाले नुकसान कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
संवेदनशील लोगों को तिल के तेल के उपयोग से एलर्जी हो सकती है।
हम ऊपर बता चुके हैं कि तिल के तेल में रक्तचाप का स्तर कम करने की क्षमता होती है। इस लिहाज से अगर कोई ब्लड शुगर कम करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इससे ब्लड शुगर स्तर अधिक कम हो सकता है।
तिल के तेल में कैलोरी अधिक होती है, जिस वजह से अधिक सेवन के कारण शरीर का वजन बढ़ सकता है।
नोट :
डॉक्टर के अनुसार, गर्भवती महिलायें डॉक्टर की सलाह से ही इस्तेमाल करें।
तिल ऑयल की सीमित और संतुलित मात्रा के बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, अगर इसका नियमित इस्तेमाल करना चाह रहे हैं तो इसकी मात्रा के संबंध में आहार विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।