मैनपुरी (उत्तर प्रदेश): नैतिक मूल्यों से बच्चो के चरित्र का निर्माण होता है |नैतिक मूल्यों के विकास से बच्चे में समाजीकरण की भावना का विकास होता है |गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं। विद्यार्थियों के बौध्दिक विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता हैँ। शिक्षा का मूल उद्देश्य होता हैं चरित्र का निर्माण करना । उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे | वे आज सोमवार को पंडित शिव स्मुर्ती इंटर कालेज , मंचना और उच्च प्रथमिक विद्यालय , शिवसिहापुर में छात्र, छात्राए और शिक्षको को जीवन में नैतिक शिक्षा का जीवन में महत्व विषय पर बोल रहे थे |
भगवान भाई जी ने कहा कि भौतिक शिक्षा भौतिकता की ओर धकेल रही है | भौतिक शिक्षा केसाथ साथ वर्त्तमान में नैतिक शिक्षा की आवश्यकता हैं।नैतिक शिक्षा से नैतिकता आएगी | उन्होंने कहा नैतिक मूल्यों की कमी ही समाज के हर समस्या का मूल कारण हैं। इसलिए विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों एवं उच्च आदर्शों से बच्चे का आत्मविश्वास व आत्मचेतना मजबूत होती है | उसके अंदर सच्चाई का बोलबाला होता है | उसमे समस्या के समाधान के लिए सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता होती है |
उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें बड़ों का आदर करना, सुबह जल्दी उठाना, सत्य बोलना, चोरी न करना, माता – पिता के चरणस्पर्श करना तथा अपराधिक प्रवृतियों से दूर रहना सिखाती है उन्होंने कहा कि बचपन से ही बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने से उन्हें भले – बुरे, उचित – अनुचित का ज्ञान हो जाता है |
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र कि राजयोग शिक्षिका बी के शिल्पी बहनजी ने ब्रह्माकुमारी विद्यालय का विस्तार से परिचय दिया |कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते। तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं।
स्थानीय ब्रह्माकुमारी केंद्र के बी के बबलेश भाई जी ने कहा कि हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता हैं। दृष्टिकोण सकारात्मक रहने पर मनुष्य हर परिस्थिति में सुखी रह सकता हैं।
प्रिन्सिपल शुभांगीनी मिश्रा जी ने कहा कि बच्चो के विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। हर मनुष्य को जीवन मूल्यों की रक्षा करना चाहिए। इन मूल्यों की रक्षा करने वाला अमर बन जाता है।
मालती मिश्रा प्रिन्सिपल यु.पी एस गाड़िया जी ने कहा कि नैतिक शिक्षा किसी भी व्यक्ति के विकास में उतना ही आवश्यक है जितना कि स्कूली शिक्षा। नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है।
बी के अखलेश भाई ,कौशल्य गुप्ता ,अवधेश ,मनीराम , दिलीपकुमार सिंह , सकून चव्हान ,आरती आदि शिक्षक स्टाफ भी उपस्थित थे |
अंत में भगवान भाई सभी बच्चो को ने मेडिटेशन भी करना सिखाया |कहानिया और विभिन्न छोटे छोटे उदाहरण द्वारा मूल्यों का पाठ बच्चो को पढाया |
इस कार्यक्रम में सभी शिक्षक स्टाफ उपस्थित थे|