भौरा कलां : महाशिवरात्रि हमें शांति और प्रेम का संदेश देती है

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– नकारात्मकता से मुक्त होना ही है सच्चा व्रत रखना – बीके आशा
– बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया महाशिवरात्रि का पावन पर्व
– 32 गांवों में शोभायात्रा के माध्यम से दिया शांति और प्रेम का संदेश
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन

भौरा कलां, 18 फरवरी 2023, गुरुग्राम हरियाणा:
महाशिवरात्रि हमें शांति और प्रेम का संदेश देती है। इसको विष तोड़क पर्व भी कहा जाता है। क्योंकि परमात्मा शिव ही मानव के अंदर के पांच विकारों को भस्म करते हैं। उक्त विचार ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। महाशिवरात्रि के महत्व के बारे में उन्होंने कहा कि कलयुग के अंत समय संगमयुग पर अवतरित होकर शिव परमात्मा नई स्वर्णिम सतयुगी दुनिया की स्थापना करते हैं। वर्तमान समय महापरिवर्तन का समय चल रहा है। इस समय पुनः स्वयंभू शिव परमात्मा ब्रह्मा बाबा के साकार माध्यम से अपना दिव्य कर्तव्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यर्थ और नकारात्मक विचारों से मुक्त होना ही वास्तव में सच्चा व्रत है। स्वयं को पावन बनाना ही महाशिवरात्रि का असली लक्ष्य है।

कार्यक्रम में विदेश से आए संस्था के अनेक सदस्यों ने अपना अनुभव भी साझा किया। अलग-अलग धर्म से होने के बावजूद भी उन्होंने सनातन संस्कृति को समझा और माना कि परमात्मा शिव ने ही आदि सनातन धर्म की स्थापना की।

– इस अवसर पर सभी ने परमात्मा शिव को विशेष भोग स्वीकार कराया। उसके पश्चात सभी ने परमात्मा शिव का स्मृति स्वरूप ध्वज लहराया। एवं बुराइयों का त्याग कर गुणों को जीवन में अपनाने की प्रतिज्ञा की।

– 23 गांवों में शोभायात्रा के माध्यम से भी शांति और प्रेम का संदेश दिया गया। जिसमें सर्व धर्म पिताओं के भी परमपिता शिव की चैतन्य झांकी दर्शाई गई। सभी को परमात्मा के दिव्य स्वरूप का परिचय दिया। जिसमें बाइक रैली भी सम्मिलित थी।

कार्यक्रम की झलकियां-
– बीके तान्या और बीके जूडी ने सुंदर नृत्य के द्वारा शिव महिमा को दर्शाया।
– कवि सम्मेलन के माध्यम से भी महाशिवरात्रि के बारे में बताया गया।
– लघु नाटिका के माध्यम से ओआरसी के कलाकारों ने सबको सत्य का बोध कराया।

– कार्यक्रम में संस्था के सदस्यों सहित काफी संख्या में लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम का संचालन बीके फाल्गुनी एवं बीके सुनैना ने किया।

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