लखीमपुर खीरी (यूपी)
बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता हैं। शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरों को शिक्षा देता है।उक्त उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंट आबू राजस्थान से आये हुए बी के भगवान भाई ने कहा वे जिला शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण सस्था (डायट) में आदर्श शिक्षक विषय पर बोल रहे थे |
उन्होंने कहा कि स्वयं कि धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार और व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। शिक्षक एक मूर्तिकार होता है |शिक्षा देने के बाद भी अगर दुसरो नही आ रहा हैं उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षक के अंदर के जो संस्कार है उनका विद्यार्थी अनुकरण करते हे। । शिक्षकेां को केवल पाठ पढाने वाला शिक्षक नहीं बनना है।बल्कि दुसरो के चरित्र का भी विकास करनेवाला शिक्षक बनना है |
भगवान भाई ने कहा कि कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अंदर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा मे भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का हृास होता जा रहा है। अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी आवश्यक पढाये। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के हाव भाव उठना, बोलना, चलना, व्यवहार करना इन बातो का असर भी दूसरो के जीवन में पढता है। अब समाज को शिक्षित करने व शिक्षा देने के स्वरूप को बदलने की आवश्यकता है, स्वयं के आचारण से शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आचरण की शिक्षा जबान में भी तेज होती है।
स्थानीय ब्रह्माकुमारीसेवाकेंद्र के प्रभारी बी के नीलम बहन जी ने कहा कि एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमान होता है तो क्या हम अपने स्कुल को मूल्य निष्ठ शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकते हैं? अब आवश्यकता है सेवाभाव की।
बी के सरिता बहनजी ने कहा कि बी के भगवान भाई जी ने 5000 स्कुलो में और 800 जेलों में नैतिक शिक्षा का पाठ पढाया है इसलिए उनका नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है |
कार्यक्रम में प्रिंसिपल जी ने भी अपनी शुभ कामनाये दिया |कार्यक्रम के अंत में बी के भगवान भाई जी ने मेडिटेशन भी कराया गया |