जयपुर-राजा पार्क :अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में राजापार्क में कार्यक्रम

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जयपुर -राजा पार्क सबजोन, राजस्थान: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के महिला प्रभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जयपुर राजापार्क  सब जोन में यह कार्यक्रम सबमें जागृति लाने के लिए आयोजित किया गया। हर स्त्री  का अपना एक सम्मान है अपनी एक शक्ति है लेकिन जब तक वह अपनी शक्तियों को नहीं पहचानती  तब तक उनके अंदर दिव्यता जागृत नहीं हो सकती, इसी उद्देश्य को लेकर कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न स्थानों पर किया गया | 

(1) . भारतीय विद्या भवन महाराणा प्रताप ऑडिटोरियम  जयपुर में किया गया जिसका  विषय था- खुशहाल महिला, खुशहाल परिवार।
(2).  जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी :- राजापार्क सबजोन द्वारा जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में  प्रोफेशनल एथिक्स विषय  पर रखा गया। कार्यक्रम में मौजूद 1.प्रोफेसर के.के. मिश्रा (निदेशक – कॉर्पोरेट संबंध और कार्यवाहक निदेशक – सिलास)2.प्रोफेसर डॉ पूर्णिमा नाग (सीनियर एडीडीएल), निदेशक – इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी3.प्रोफेसर जे एन माथुर संयुक्त, निदेशक – इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी
4.डॉ सुनील गुप्ता , एचओडी – कंप्यूटर और सिस्टम साइंसजेएनयू के सभी संकाय सदस्य
जेएनयू का नॉन टीचिंग स्टाफ।
आदरणीया शारदा दीदी (महिला प्रभाग की राष्ट्रीय समन्वयक) ने Professional Ethics विषय पर लाभान्वित कराते हुए कहा की जब तक मेरी प्रैक्टिकल लाइफ मे, क्या बोलना है कब बोलना है किसको बोलना है कैसे बोलना है यदि मैंने यह भी नहीं समझा तो मै पढी लिखी हूं उसका कोई तात्पर्य नहीं । कोई हमें अपशब्द बोल देता है इनस्लट कर देता है हम रिएक्ट होते है इतना पढ़ा लिखा समझदार होता हुआ भी इस तरह से बिहेव करता है। एथिक्स क्या है, एथिक क्या कहता है अगर आज कहू हर एक की प्रेक्टिकली लाइफ में इंडिविजुअल लाइफ  में एथिक्स नाम मात्र है क्योंकि हमारी लाइफ की जर्नी मे इंटरनल वर्ल्ड और आउटर वर्ल्ड दोनो है यदि मेरा इंटरनल वर्ल्ड स्ट्रांग एंड पॉवरफुल है तो इनर क्वालिटीज़, इनर ब्यूटी है। वह हमारे व्यवहार में , मेरी सोच मे, मेरी चाल चलन मे दिखाई देगी एथिक्स मुझे बताते परस्पर एक दुसरे को रिस्पेक्ट दे और रिस्पेक्ट ले।
(3). राजस्थान दूरदर्शन न्यूज :- आदरणीया शारदा दीदी (महिला प्रभाग की राष्ट्रीय समन्वयक) के द्वारा दूरदर्शन न्यूज़ में आध्यात्मिकता के द्वारा व्यक्तित्व विकास विषय पर अपने विचार व्यक्त किये और कहा की जो व्यक्ति के अंदर चलता है वही उसके चेहरे से चलन से और व्यवहार से दिखाई देता है लेकिन आज देखा जाता है की हर कोई बाह्य जगत में ही फंसा हुआ है। बाहर की चकाचौंध और भौतिकता के अंदर वह अपना स्वरूप बाह्य वस्त्र, मेकअप के द्वारा, आधुनिकता के द्वारा ही अपना व्यक्तित्व का निर्माण करने का प्रयास करते हैं और सोचते हैं मेरा व्यक्तित्व बहुत अच्छा है। परंतु आध्यात्मिकता द्वारा हम अपने जीवन को कार्य व्यवहार करते हुए बैलेंस रखना सीखते हैं और इसी बैलेंस से हमे सबकी ब्लेसिंग ले सकते हैं और इसका असर हमारे व्यक्तित्व पर पड़ता है हमारा व्यवहार सबके साथ मधुर बनता है
बीके शारदा दीदी जी अम्बावाड़ी, अहमदाबाद सबजोन इंचार्ज एवं महिला प्रभाग  के राष्ट्रीय समन्वयक ने कहा की अपेक्षा से किया हुआ कोई भी कार्य सफल नहीं होता है, स्वार्थ के वशीभूत होकर के कोई भी कार्य मे सफलता नहीं मिलती हैं इसलिए अपेक्षा नहीं होनी चाहिए। मां- बाप का बच्चों के प्रति का प्यार उसमे स्वार्थ भावना नहीं होनी चाहिए। इसलिए आज जॉइंट फैमिलीज नहीं रही फैमिलीज ब्रेकडाउन हो गई और वो खुशी जीवन से चली गई। तो आपस में मिलकर रहे, युनाइट होकर रहे चाहते हम यह है लेकिन उसके विपरीत होता क्या है हमारे अंदर कौन सी ऐसी नेगेटिविटी जागृत हो जाते हैं जो इन सब बातों को खत्म कर देती हैं क्या कारण बन जाते हैं क्योंकि ऑलवेज हमारी इच्छा लेने की होती है। तो हमारे अंदर देने का संस्कार होना चाहिए लेने का नहीं।
बीके पूनम दीदी जयपुर सबजोन इंचार्ज ने कहा की  समस्याओं में माताएं – बहने परिवार का संबल बनती हो तो   आज छोटा सा उदाहरण देती हूं- एक किसान था बहुत गरीब उसने कठिन मेहनत से धन कमाया अपना छोटा सा घर बनाया और तूफान बारिश में ढह गया वह खुश था मिठाई लेकर गांव में बांटने निकला सबने कहा यह पागल हो गया है इसका मकान ढह गया और यह मिठाई बांट रहा है तो उसने कहा कि मेरा परिवार जब यहां आ जाता और हम बस जाते और फिर यह मकान ढहता  तो मैं क्या करता  अभी तो यह जड़ है मिट्टी है, यही तो गया है परिवार मेरे साथ है तो परिवार का मूल्य अनमोल है 5 उंगलियां है एक भी कट जाए दर्द होता है तो हमारा परिवार विविधताओं को लेकर अवश्य है लेकिन है तो एक मुट्ठी जो संगठन बन जाता है और कठिन समय में हमारी शक्ति बनता है तो अलग होने का कभी ख्याल मत करो सब को आप जोड़ कर रखते हो यह आप में गुण है क्योंकि आप में सहनशीलता, मधुरता, विनम्रता, पवित्रता ये प्रभु की देन आपके पास है इसको बनाए रखना।
श्रीमान रफीक खान जी (विधायक आदर्श नगर) संत  कबीर दास जी ने कहा है की दानी कितना भी दरिद्र हो जाए, कितना भी उसकी हैसियत खत्म हो जाए लेकिन उसकी प्रवृत्ति दान करने की है तो वो दान करने की उसकी प्रवृत्ति नहीं जाती है तो उसे कुछ ना कुछ देना ही है, नदी सुख भी जाती है। चूंकि कुछ ना कुछ देने की प्रवृत्ति है तो अपना पेट चीर कर भी पानी देती है और लोग नदी के बीच में कुआं खोदकर पानी लेते हैं ऐसे ही आपका जो ब्रह्माकुमारी आश्रम है यहां लेने की नहीं  देने की भावना है और जो उपदेश आप देते हैं जरूर आज इसे सभी अपने साथ लेकर जाएंगे।
श्रीमती सौम्या गुर्जर जी (महापौर, जयपुर ग्रेटर नगर निगम) अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ 1 दिन के लिए नहीं होना चाहिए 365 दिन महिला दिवस होना चाहिए हर लम्हा हम महिलाओं को जीना चाहिए और जिस सम्मान की महिलाएं हकदार है वह सम्मान महिलाओं को मिलना चाहिए | 
 श्रीमती संगीता बेनीवाल जी (अध्यक्ष राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग) मैंने सोचा कि प्रत्येक जिले में बाल कल्याण समिति हैं जो बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य कर रही है  क्यों न उनकी ट्रेनिंग  करवाई जाए तब हमने सोचा कि आबू ब्रह्माकुमारी में करवाई वहा ट्रेनिंग भी हुई और मेडिटेशन भी हमने किया तो हमने वहां पर 3 दिन का कार्यक्रम रखकर प्रदेशभर के काफी संख्या में मेरे साथी वहां पहुंचे और बहुत अच्छा सुकून मिला आखिरी दिन जब समापन समारोह में थी तो मैने वहा जो दीदी थी उनसे पूछा कि इतना ठहराव और इतनी नम्रता कैसे ले आते है जो दीदी मेडिटेशन करवाती या जो बैकस्टेज है उनके चेहरे पर भी एक तेज, एक मुस्कान होती थी | 
श्रीमती मंजू  मीणा जी (उपनिदेशक दूरदर्शन केंद्र, जयपुर, राजस्थान) ने कहा की ब्रह्माकुमारी जो है वह अपने आप में काफी बड़ी मिसाल है जिस तरीके से  हममें आत्मविश्वास पैदा करते हैं आत्मबल ,आत्म अनुभूति पैदा की जाती है क्योंकि जब हम लोग अपने आत्मबल को महसूस करेंगे आत्मविश्वास हममें होगा तो हम लोग मानसिक रूप से सशक्त होंगे।
श्रीमती प्रिया सिंह जी ( राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर) ने कहा कि यहां एक सुकून है, शांति है मुझे यहा आकर दिल से अच्छा लगता है | किसी ने कहा था कि एक सरकारी आदमी पांच साल में इतना नहीं कमा पाता जितना एक साल में बॉडी बिल्डर कमा लेता है तो मैंने काउंट किया की पांच साल मुझे अपने आप पर काम करना है।
श्रीमती राजकुमारी जी ( सदस्य आर.पी.एस.सी.,अजमेर ) ने कहा की अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाते हैं | 8 मार्च 1908 में अमेरिका में महिलाओं ने एक आंदोलन किया था जिसमें करीब हमारी 15000 महिलाओं ने इसमें भाग लेने में, उनकी जो मांग थी वह यह थी की जो हम काम करते है उसकी काम करने की समय अवधि कम की जाए और हमारा वेतन बढ़ाया जाए तो यह आंदोलन चला करीब 1 साल तक चला और 1909 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की नींव रखी गई तो हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
महिला दिवस के उपलक्ष में नारी शक्ति का प्रदर्शन नृत्य नाटिका के द्वारा बच्चों ने देकर  सभी का मन मोह लिया साथ ही बालिकाओं ने स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी एवं संगीत की रंगारंग प्रस्तुति गायक रोहित कटारिया एवं आकांक्षा कटारिया ने दी। कार्यक्रम का संचालन सोडाला सेवाकेंद्र इंचार्ज ब्रह्माकुमारी स्नेहा दीदी ने किया।


 

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