देहरादून: “अच्छी सोच, बेहतर जिंदगी” विषय पर कार्यक्रम को ब्रह्माकुमारीज संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका जयंती दीदी जी ने किया संबोधित

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कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए बी के जयंती दीदी, महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी महाराज , बी के हंसा दीदी , बी के मन्जू दीदी 

अच्छी सोच, बेहतर जिन्दगी कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करते हुए बी के जयंती दीदी, महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य गिरी जी महाराज ,भ्राता ज्योतिर्यमय त्रिपाठी जी , बी के हंसा दीदी , बी के मन्जू दीदी 

देहरादून,उत्तराखंड: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, देहरादून सेवाकेंद्र  द्वारा  “अच्छी सोच, बेहतर जिंदगी” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज से विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीपप्रज्वलन करके की गई।

मुख्य वक्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी जयंती दीदी जी, जो वर्तमान में ब्रह्माकुमारीज संस्था की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका हैं, ने कहा कि अच्छी सोच ही बेहतर जिंदगी का आधार है, जैसा हम सोचते हैं वैसा हमारा बोलना और करना स्वतः ही हो जाता है, जब भी कोई बात सामने आए तो बस एक सेकंड के लिए अपनी बुद्धि को पॉज करें और आत्मिक स्मृति में स्थित हो जाए तो हम बुद्धि को अच्छी तरह से राईट ट्रैक पर ला सकते हैं,  जिससे हमारे विचार न केवल पॉजिटिव बनेंगे अपितु प्योर और  श्रेष्ठ भी बनेंगे, अच्छी सोच का प्रभाव न केवल स्वयं पर अपितु एक का प्रभाव अनेकों पर, साइंस के अनुसार 1 व्यक्ति का प्रभाव कम से कम 150 लोगों पर पड़ता है, इस प्रकार राजयोग के द्वारा हम अपनी जीवन और विश्व का परिवर्तन कर सकते हैं।  

महामंडलेश्वर स्वामी 1008 अभिषेक चैतन्य गिरी जी महाराज  (परमाध्यक्ष जगतगुरु सन्यास आश्रम, ऋषिकेश ) ने सर्वप्रथम ब्रह्माकुमारीज के द्वारा किए जाने वाले स्वागत और सत्कार की प्रशंसा करते हुए की जिस प्रकार प्रेम की भावना से स्वागत और आतिथ्य यहां होता है और कहीं नहीं होता, अगर सत्कार  करना सीखना हो तो यहां आकर सीखना चाहिए।  इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रार्थना का वास्तविक अर्थ समझाते हुए  उन्होंने कहा कि प्रभु से हमें यदि प्रार्थना करनी है तो यही करनी चाहिए की प्रभु मेरी बुद्धि शुभ विचारों से आंदोलित हो जाए, उसमें व्यर्थ का नाम न रहे, सांसारिक विषयों से मुक्त हो जाए, ऐसी बुद्धि प्राप्त करने की चाबी है प्रार्थना जो अर्थव वेद में सिखाई गई है।  

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी हंसा दीदी जी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की दादी जानकी जी से हमने सीखा आर्ट ऑफ थिंकिंग , अर्थात सोचता तो हर एक का मन है लेकिन क्या सोचना है वो हमे मेडिटेशन सिखाता है, हमारी जीवन में सादगी हो, लेकिन सोच ऊंची होनी  चाहिए, जैसी हमारी सोच होती वैसा  वाइब्रेशन फैलता है, इसलिए हमारी सोच ऐसी अच्छी हो, जो कोई भी हमारे सामने आए, तो वो कुछ अच्छी फीलिंग लेकर जाए।

इस अवसर पर उत्तराखण्ड सचिवालय से पधारे ज्योतिर्मय त्रिपाठी जी ने अपना अनुभव सुनाते  हुए कहा की इस ईश्वरीय विद्यालय से जुड़कर, मैंने सीखा की नेगेटिविटी को कैसे हैंडल करना है जिससे 2- 3 मास में ही मेरे सोचने का नजरिया बिलकुल बदल गया है जिसके  लिए मैं ब्रह्माकुमारीज  संस्था का  आभारी हूं
ब्रह्माकुमारीज  देहरादून, सबजोन प्रभारी, राजयोगिनी बी के मंजू बहन जी ने अपनी वाणी से सभी अतिथियों का स्वागत किया। कुमारी समृद्धि ने स्वागत नृत्य के द्वारा सभी का अभिनंदन किया। ब्रह्माकुमार सुशील भाई ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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