इंदौर, छावनी: ‘’अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस समागम….

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इंदौर, छावनी,मध्य प्रदेश। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में ब्रह्माकुमारीज छावनी केंद्र द्वारा आयोजित “खुशहाल महिला – खुशहाल परिवार” कार्यक्रम के अंतर्गत अनेक समाज सेवी महिलाओं ने भाग लिया और आपस में परिचर्चा की ,कि कैसे अपने परिवार व कार्य व्यवहार में रहते खुशहाल रह सकें| कार्यक्रम की मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारी मधु बहन ने कहा कि हमारी संस्कृति में सदियों से नारी को पुरुषों से भी अधिक सम्मान दिया गया है ,पहले लक्ष्मी फिर नारायण, पहले सीता फिर राम का नाम लेते हैं ।किंतु समय के चलते महिला ही महिला को पीछे करने में और अपने उद्देश्य को भूलने लग गई ।यदि देखा जाए तो महिला ही समाज की धूरी है, माता ही बच्चे की प्रथम गुरु है, यदि ठान लें तो अच्छे भावों और प्रयासों से हम महिलाएं समाज को आदर्श समाज का स्वरूप दे सकती हैं। जब भी कोई नारी या अन्य हमें पीछे करने का प्रयास करें तो हमें याद रखना है ,”झुक- झुक ,मर- मर, सीख -सीख” अर्थात हमें खुशहाल परिवार बनाने के लिए विनम्र बनना है। आलोचनाओं आदि को सहन करना है और सदा कुछ अच्छा सीखने का प्रयास करना है इससे निश्चित ही एक सद्भाव पूर्ण समाज का निर्माण कर सकेंगे।मुख्य अतिथि के रूप में लीनेश क्लब की जिला प्रमुख बहन रचना गुप्ता ने कहा कि हमें हर छोटे-छोटे कार्यो को बहुत ही अच्छे ढंग से करना चाहिए ।हम परिवार के अन्य सदस्यों का तो ध्यान रखते हैं लेकिन अपना ध्यान नहीं रख पाते एक खुशहाल परिवार के निर्माण के लिए अपने स्वास्थ्य व मन का भी ध्यान रखें । साथ ही फिजियोथैरेपिस्ट बहन विनी जैन ने कुछ हेल्थ टिप्स भी दिए । साथ ही ब्रम्हाकुमारीज़ छावनी प्रमुख ब्रम्हाकुमारी कुसुम बहन ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सदा खुश रहने के लिए धीरज, प्रेम और शांति की तीन टेबलेट रोज खाएं । 
कार्यक्रम में शहर के प्रीमियम क्लब प्रमुख कुसुम तिवारी, मंगलम क्लब प्रमुख रेखा अग्रवाल, सर्व ब्राह्मण समाज प्रमुख वर्षा शर्मा, गौड़ ब्राह्मण समाज प्रमुख मंजुला मंडलोई ने ,महिला दिवस की शुभकामनाएं दी । और ब्रह्माकुमारी लीशा बहन ने योग अनुभूति कराई एवं ब्रम्हाकुमारी. ज्योत्सना बहन ने सफल मंच संचालन किया । कार्यक्रम में प्रमुख महिलाओं ने दीप प्रज्ज्वलित किया एवं एक दूसरे को आगे बढ़ाने हेतु प्रतिज्ञा भी की।अंत में सभी महिलाओं ने प्राकृतिक फूलों से इको फ्रेंडली होली मना कर, केमिकल रंगों का उपयोग न करने का संदेश दिया और रास का भी आनंद लिया।

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