रायपुर: जीवन में खुशियाँ बहुत हैं लेकिन हम उसकी चाबी भूल गए हैं…ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह

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पैसा हमें कम्फर्ट दे सकता है परन्तु खुशी नहीं… ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह
– जीवन में खुशियाँ बहुत हैं लेकिन हम उसकी चाबी भूल गए हैं…
– मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार कर रहे हैं…

रायपुर, छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर मेंं 19 से 21 मई तक आयोजित जिन्दगी का उत्सव नामक तीन दिवसीय शिविर का शुभारम्भ नगर  पालिक निगम के अध्यक्ष प्रमोद दुबे, डॉ. विवेक गोयल एवं ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने दीप प्रज्वलित करके किया।

इस अवसर पर इन्टरनेशनल माइण्ड व मेमोरी मैनेजमेन्ट ट्रेनर ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह ने कहा कि हमारे जीवन में खुशियाँ बहुत हैं लेकिन हम उसकी चाबी भूल गए हैं। कई लोग खुशी को भविष्य में ढूँढते रहते हैं जो कि ठीक नहीं है। भूतकाल सपना है, भविष्य काल कल्पना है किन्तु वर्तमान तो अपना है। इसलिए वर्तमान में हर छोटी सी छोटी चीज में खुशियाँ ढूँढने का प्रयास करें। जिन्दगी को सेलिब्रेट करना सीखें। खुशियों का रिमोट कन्ट्रोल अपने पास रखें।

पैसा हमें कम्फर्ट दे सकता है, खुशी नहीं:
ब्रह्माकुमार श्क्तिराज ने आगे कहा कि पैसा हमको कम्फर्ट दे सकता है खुशी नहीं। खुशी के लिए हमारी सोच जिम्मेदार होती है। मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार हमें बीमार बना रहे हैं। इस देश में बड़े-बड़े मेडिकल कालेज, इन्जीनियरिंग कालेज, लॉ कालेज आदि सब मिल जाएंगे लेकिन माइण्ड को सेट करने का तरीका सिखलान वाला कोई कालेज नहीं है। यह कार्य ब्रह्माकुमारी संस्थान में सिखलाया जाता है। उन्होंने बतलाया कि माइण्ड को सेट करने के लिए राजयोग मेडिटेशन सबसे अच्छा तरीका है। जैसे मोबाईल की बैटरी को रोज चार्ज करते हैं, उसी प्रकार माइण्ड को भी रोज चार्ज करने की जरूरत है। रात को जब हम सोते हैं तो सिर्फ शरीर को आराम मिलता है किन्तु मेडिटेशन करने से आत्मा को शान्ति की अनुभूति होती है।

तनाव से बचने हेतु मन को दोस्त बना लें:
ब्रह्माकुमार श्क्तिराज ने बतलाया कि अधिकांश बीमारियाँ मन से पैदा होती हैं। चिन्ता, तनाव, भय, दु:ख और अशान्ति के कारण बीमारियाँ बढ़ रही हैं। इसलिए खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि मन को अपना दोस्त बना लो। जब हम तनाव में होते हैं तो इससे हमारी धमनियों में ब्लाकेज होना शुरू हो जाता है। कोलस्ट्रोल बढ़ता जाता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

पद और पोजीशन को भूल बच्चा बन जाएं:
उन्होंने कहा कि निगेटिव एनर्जी को खत्म करने का अच्छा तरीका है कि हम मुस्कुराना सीखें। मुस्कुराने से हम अस्सी प्रतिशत से अधिक बीमारियों से बच जाते हैं। इससे हमारे अन्दर की नकारात्मकता तो खत्म होती  ही है साथ ही वायुमण्डल में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। एक बच्चा सारे दिन में तीन सौ से अधिक बार मुस्कुराता है। उसी प्रकार आप भी पद और पोजीशन भूलकर बच्चा बन जाइए तो तनावमुक्त हो जाएंगे।

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