ज़मीन पर बैठना एक तरह की शारीरिक कसरत है। हमने इस आदत को छोड़ दिया है इसलिए इससे होने वाले फायदों से भी अनजान हैं।
ज़मीन पर बैठने का एक अलग ही सुकून है। आपने भी महसूस किया होगा कि हम कितने भी थके हुए हों, ज़मीन पर बैठने पर कितना आराम मिलता है। परंतु अब लोग ज्य़ादातर काम कुर्सी पर बैठकर ही करते हैं। मेज और कुर्सियों के उपयोग में आने से पहले लोग ज़मीन पर बैठकर ही भोजन किया करते थे। अब आदत छूट चुकी है इसलिए अगर कभी बैठते भी हैं तो पैरों में दर्द होने लगता है, ज़मीन चुभती है या शरीर अकड़ जाता है। परंतु ज़मीन पर बैठने से शरीर और स्वास्थ्य दोनों दुरुस्त रहते हैं।
वज़न कम होता है
उठने और बैठने से शरीर की गति तेज़ होती है। मांसपेशियों के खिंचाव से शरीर का लचीलापन बढ़ता है। यदि मोटापा कम करना चाहते हैं तो इसका नियमित रूप से पालन करें।
आराम मिलता है
ज़मीन पर बैठना दिमाग को आराम देने में भी प्रभावी है। तनाव दूर होता है। यह थकान और शरीर की कमज़ोरी को कम करने में भी मदद करता है।
पाचन में सहायक
ज़मीन पर सुखासन में बैठने से पाचन क्रिया बेहतर होती है। थाली को सामने की ओर ज़मीन पर रखें और खाने के लिए शरीर को थोड़ा-सा आगे की ओर ले जाएं और वापस मूल स्थिति में आ जाएं। इस बार-बार होने वाली क्रिया से पेट की मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं, जिससे पेट के एसिड का स्राव बढ़ जाता है और भोजन को तेज़ी से पचाने में मदद मिलती है।
रक्त प्रवाह बढ़ाता है
ज़मीन पर सुखासन में बैठने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है और नसों को शांत करता है। जब हम ज़मीन पर बैठते हैं तो शरीर और हृदय पर कम दबाव पड़ता है। सुखासन में रक्त प्रवाह पूरे शरीर में वितरित होता है।
पीठ के लिए अच्छा है
फर्श पर बैठने से अस्थिपंजर को ताकत मिलती है। मुद्रा और रीढ़ की सेहत में सुधार होता है। पीठ दर्द से राहत मिलती है। बैठने से न केवल तत्काल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि यह कई मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारकों में भी मदद करता है।