गुरुग्राम: ब्रह्माकुमारीज के भोराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ

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तीन दिवसीय बाल व्यक्तित्व शिविर हुआ सम्पन्न
– अनेक प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों ने किया अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन
– ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन
– 300 से भी अधिक बच्चों ने कार्यक्रम में की शिरक

गुरुग्राम,हरियाणा।
ब्रह्माकुमारीज के भोराकलां स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ। 6 से 11 वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए आयोजित तीन दिवसीय शिविर में भौतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक एवं मानसिक स्तर पर अनेक विषयों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में दिल्ली एवं एनसीआर से 300 से भी अधिक बच्चों ने शिरकत की। राजयोग के अनुभवी प्रशिक्षकों एवं विशेषज्ञों द्वारा योग की बारीकियों के साथ गहन अभ्यास कराया गया।

नैतिकता से सम्पन्न व्यक्तित्व ही देश एवं विश्व को दे सकता है सही दिशा –

इस अवसर पर ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने अनुभवयुक्त विचार व्यक्त करते हुए सभी को प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक मूल्यों को अपने जीवन में उतारा है। सत्यता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और परोपकार जैसे गुणों से ही जीवन महान बनता है। उन्होंने कहा कि बचपन में मिली शिक्षाएं ताउम्र याद रहती हैं। बचपन से ही बच्चों में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का समावेश जरूरी है। नैतिकता से सम्पन्न व्यक्तित्व ही देश एवं विश्व को सही दिशा प्रदान कर सकता है।

खेल कूद एवं बौद्धिक प्रतियोगिताओं के द्वारा बच्चों ने दिखाई अपनी कला –

कार्यक्रम में बच्चों के लिए खेल कूद के साथ-साथ अनेक बौद्धिक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन हुआ। जिसमें 100 मीटर दौड़, लेमन रेस, सेक रेस एवं क्विज जैसी प्रतियोगिताएं प्रमुख रही। जिनमें बच्चों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। स्पीच कंपटीशन के द्वारा भी बच्चों ने अपने मानोभाव व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में सभी विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। बीके रेखा ने कहा कि प्रतियोगिताओं का मूल उद्देश्य बच्चों में परस्पर मधुर संबंध एवं सहयोग की भावना को बढ़ाना है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने मोहा सबका मन –

अपनी सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने सबका मन मोहा। बच्चों ने अपने अद्भुत अभिनय के द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति की झलक प्रस्तुत की। कार्यक्रम में नृत्य, नाटक, गीत एवं कविता के माध्यम बच्चों ने अपनी भावनाओं को प्रकट किया। आध्यात्मिक ऊर्जा से पूर्ण ओआरसी परिसर में आकर बच्चों ने एक नई प्रेरणा ली। साथ ही मूल्यपरक जीवन जीने की प्रतिज्ञा की।

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