शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यकम

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मन की शान्ति के लिए पर्यावरण का साथ जरूरी… प्रेम कुमार, सचिव वन विभागनन्हे बाल कलाकारों ने नृत्य नाटिका के माध्यम से दिया पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश…
कल्प तरू योजना के अन्तर्गत देश में चालीस लाख पौधे लगाने का लक्ष्य…
मन की शान्ति के लिए पर्यावरण का साथ जरूरी… प्रेम कुमार, सचिव वन विभाग
मानवता को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना होगा… प्रो. बल्देव भाई शर्मा, कुलपति
पर्यावरण को बचाना, हम सबकी जिम्मेदारी… ब्रह्माकुमारी कमला दीदी, क्षेत्रीय निदेशिका

रायपुर, छत्तीसगढ़ : वन विभाग के सचिव प्रेम कुमार ने कहा कि वर्तमान समय प्रदूषण इतना विकराल रूप ले चुका है कि हरेक को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने की जरूरत है। पर्यावरण को सरंक्षित और सवंर्धित करने के लिए जहाँपर भी खाली जगह मिले वहाँ पेड़ लगाकर प्रकृति से जुड़ें।
श्री प्रेमकुमार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा विधानसभा रोड स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यकम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि मैं तो वन यानि पर्यावरण से जुड़ा व्यक्ति हूँ, इसलिए जैसे मेडिटेशन में आत्म अनुभूति होती है। वैसे ही मुझे जब मैं वृक्षों को पानी देता हूँ, घायल जानवरों का ईलाज करवाता हूँ, पेड़ों में बने घोसलों में पक्षियों के कलरव को सुनता हँू तो मुझे खुशी मिलती है। रिसर्च से ज्ञात हुआ है कि जो लोग शान्त रहते हैं। पर्यावरण के बीच काम करते हैं जैसे कि वन विभाग के लोग तो उनका जीवन खुशियों से भरा होता है। उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्थान के कल्पतरू योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर जीवन में खुशी चाहते हैं तो अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संवर्धन करें।
कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने कहा कि अगर मानवता को बचाना है तो प्रकृति का सरंक्षण करना ही होगा। इसका और कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों ने हमारे जीवन को जहरीला बना दिया है। पहले लोग कहते थे कि दिन में एक सेब खाओ और बिमारी दूर भगाओ। लेकिन आज यह सेब भी पेस्टीसाईड्स के कारण जहरीला हो गया है। उन्होंने उपभोगवादी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा कि अधिक से अधिक फसल प्राप्त करने के लिए हमने जमीन को जहरीला बना दिया है। जमीन की उर्वराशक्ति कम हो रही है। उन्होंने बतलाया कि भारत की संस्कृति लोक कल्याणकारी और समृद्घ है। ब्रह्माकुमारी संस्थान की बहनें इसी संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं। यह ऋषि परम्परा की बहनें हैं जो समाज को लोक कल्याण का मार्ग दिखा रही हैं। प्रकृति से उतना जितनी आवश्यकता है उतनी ही लें किसी दूसरे का हिस्सा न छिनें।
क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि बेतहासा जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रकृति की दशा दयनीय हो गई है। जंगल कटने से गर्मी बढ़ती जा रही है, पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। उन्होंने बतलाया कि ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा सारे विश्व में पर्यावरण जागृति के लिए किए जा रहे प्रयासों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने हमारी संस्थान को आब्र्जवर स्टेटस प्रदान किया है। उन्होंने बतलाया कि कल्पतरू योजना के अन्तर्गत आने वाले 75 दिनों में हमारी संस्थान का देश में चालीस लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। 
इससे पहले ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने कहा कि जल, जमीन, जंगल और जानवरों की सुरक्षा से ही पर्यावरण सरंक्षण संभव है। दुनिया के तीस सबसे प्रदूषित शहरों में से बाईस हमारे देश के हैं। इस अवसर पर छोटे-छोटे बाल कलाकारों ने सुन्दर नृत्य नाटिका के माध्यम से प्रकृति को बचाने का सन्देश दिया। बाद में वन सचिव प्रेमकुमार और कुलपति प्रो. बल्देव भाई शर्मा ने शान्ति सरोवर में वृक्षारोपण कर कल्पतरू योजना का शुभारम्भ किया।

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